बोले फर्रुखाबाद: अनुदेशकों की कमी से जूझ रहे हम
Farrukhabad-kannauj News - राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान अनुदेशकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 21 ट्रेडों में से केवल 11 अनुदेशक उपलब्ध हैं, जिससे छात्रों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही...
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ठंडी सड़क में युवा प्रशिक्षण पूरा करने के बाद नौकरी के सपने देखते हैं, मगर प्रशिक्षण के समय जो दिक्कतें आ रही हैं उसका निराकरण नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत सभी ट्रेडों में अनुदेशक के न होने की है। जिन ट्रेडों में प्रशिक्षण कराया जा रहा है उनमें कई में अनुदेशक हैं ही नहीं। दूसरे अनुदेशकों से काम चलाना पड़ रहा है। शासन की ओर से कौशल विकास पर भले ही मजबूती के साथ काम चलाया जा रहा है पर छात्रों के प्रशिक्षण मेें जो कारक बाधक हैं उसके निवारण की कोशिश नहीं हो रही है।
आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान पीयूष ने दर्द को साझा करते हुए कहा कि यदि यहां पर सभी ट्रेडों में पर्याप्त अनुदेशकों की व्यवस्था हो जाए तो इससे बेहतर कोईआईटीआई नहीं हो सकती है। रोजगार के सपने लेकर हम लोग यहां पर प्रशिक्षण लेने को आते हैं। अनुदेशकों की भी मजबूरी है कि उन्हें कई कई ट्रेडों में काम करना पड़ता है। इस वजह से सीधे तौर पर प्रशिक्षण पर भी असर पड़ता है। हमारी सरकार से यही गुजारिश है कि यदि युवाओं को रोजगार के सपने दिखा रहे हो तो कम से कम जो बुनियादी दिक्कत हैउसका तो निवारण कर दीजिए। छात्र रोहित कहने लगे कि समय-समय पर रोजगार मेले लगते हैं यह तो बेहतरीन कदम है पर सरकारी उपक्रमों में भी रोजगार के अवसर मिलने चाहिए इसके लिए शासन स्तर से कोई न कोई प्रावधान हो। कैंपस में ही सरकारी उपक्रमों के माध्यम से प्लेसमेंट होना चाहिए। इसके लिए जिस तरह से प्राइवेट कंपनियां प्लेसमेंट को आईटीआई में आती हैं उसी तरह से सरकारी उपक्रमों के प्रतिनिधि भी यहां पर आकर ऑनस्पाट आईटीआई पास आउट का चयन करें। अंशिका कहती हैं कि प्रशिक्षण तो बेहतर हो रहा है पर और बेहतर करने के लिए रिक्त अनुदेशकों के पदों पर भर्ती होनी चाहिए। जब तक भर्ती न हो तब तक संविदा के आधार पर अनुदेशकों को तैनात कर दिया जाए। छात्र मोहम्मद सैफ कहने लगा कि आईटीआई परिसर मेें इधर-उधर जाना भी काफी कठिन है। क्योंकि अन्ना मवेशी आफत बने हैं। यहां का सुंदरीकरण भी किया जाना चाहिए। हास्टल में संचालित है चौकी : राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के पास अपना कोई हास्टल तक नहीं है। वर्षों पहले जो हास्टल बना था उसमें आईटीआई चौकी संचालित होने लगी है। छात्रों के लिए हास्टल सुविधा न होने से उनके सामने दिक्क्तें हैं। दूर दराज से जो छात्र प्रशिक्षण को आते हैं उनको समस्या होती है। रहने को जगह तक नहीं मिलती है। 21 ट्रेडों में प्रशिक्षण कराने वाले सिर्फ 11 : आईटीआई में ऐसा नहीं हैकि ट्रेडों में कोई कमी हो। ठंडी सड़क के आईटीआई में बेसिक डिजाइनर से लेकर ड्राफ्टमैन सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रीशियन, इलेक्ट्रानिक्स मैकेनिक, फिटर, मशीनिस्ट, मशीनिस्ट ग्राइंडर, मैकेनिक मोटर व्हीकल, टर्नर बेल्डर, वायरमैन जैसी महत्वपूर्ण ट्रेड हैं। इसमें हर एक ट्रेड में छात्र छात्राओं की भी कोई कमी नहीं है। 715 छात्र छात्राओं के पंजीकरण 2024 में हुए थे। मगर आईटीआई में प्रशिक्षण कराने वाले अनुदेशकों की संख्या महज 11 ही है जबकि नियमानुसार 53 अनुदेशक होने चाहिए। छात्र-छात्राएं कहते हैं कि यदि अनुदेशकों की पूर्ति हो जाए तो काफी सहूलियत मिलेगी। प्रशिक्षण की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। इसके साथ ही अनुदेशकों से गुवणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिलने पर छात्रों की दक्षता-कुशलता बढ़ेगी और उन्हें रोजगार पाने में काफी सहूलियत हो जाएगी।
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