फतेहपुर तिहरा हत्याकांड: घर से छिनी थी 20 साल की प्रधानी, 4 महीने से चल रही थी खूनी खेल की तैयारी
- 20 साल से प्रधानी उसके घर में थी। राशन की दुकान भी। 4 साल पहले किसान नेता विनोद उर्फ पप्पू सिंह ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने पंचायत चुनाव में पूर्व प्रधान की बहू के खिलाफ मां रामदुलारी को मैदान में उतार दिया। रामदुलारी ने 30 वोटों से जीतकर मुन्नू का 20 साल का साम्राज्य ढहा दिया।

यूपी के फतेहपुर के अखरी गांव का मतलब सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू सिंह परिहार...। रसूख और दबदबे के कारण किसी के बोलने की जुर्रत तो दूर कोई सिर तक नहीं उठाता था। यही वजह रही कि 20 साल से प्रधानी उसके घर में थी। राशन की दुकान भी। चार साल पहले किसान नेता विनोद उर्फ पप्पू सिंह ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने पंचायत चुनाव में पूर्व प्रधान की बहू के खिलाफ मां रामदुलारी को मैदान में उतार दिया। रामदुलारी ने 30 मतों जीतकर मुन्नू का 20 साल का साम्राज्य ढहा दिया। एक साल पहले राशन की दुकान भी चली गई। बस, यहीं से शुरू हुई रंजिश।
इस तिहरे हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उसको देखते हुए पुलिस का भी मानना है कि यह वारदात अचानक उपजे गुस्से का नतीजा नहीं है। इसके पीछे पूरी सोची-समझी साजिश रही। मंगलवार सुबह ट्रैक्टर लेकर गुजरा मुन्नू सिंह का बेटा पीयूष घर के बाहर झाडू लगा रहे किसान नेता विनोद सिंह से विवाद कर उन्हें उकसाता है। इसके बाद वहां से चल देता है। इसी बीच विनोद अपने बेटे और भाई को लेकर बाइक से उसका पीछा करते हैं। पीयूष अपने पिता को सूचना दे देता है। इस पर मुन्नू सिंह दो बेटों विपुल, भूपेंद्र व गांव के ही सज्जन, राहुल पाठक व अन्य लोगों के साथ अखरी से करीब एक किमी पहले रमेश सिंह की दूध डेयरी के सामने पहुंच जाते हैं। विनोद सिंह जैसे ही पहुंचते हैं आरोपी उन पर गोली चला देते हैं। अचानक हुए हमले से विनोद, उनका बेटा और भाई वहीं गिर जाता है। इसके बाद एक-एक कर तीनों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। डेयरी और खेतों में मौजूद किसान गोलीबारी देख मौके से भाग निकले। कोई पेड़ की ओट में छिप गया तो कोई नलकूप की कोठरी में घुस गया।
पहले भी कई बार आए आमने-सामने
अखरी गांव में बैस क्षत्रियों का बहुलता है। करीब 90 साल पहले पूर्व प्रधान मुन्नू सिंह परिहार के पिता रामआसरे परिहार बैस परिवार की गद्दी में आए थे। पूर्व में यह परिवार साधारण था, लेकिन मुन्नू सिंह कुछ स्थानीय बड़े नेताओं के संपर्क में आया। सियासी छत्रछाया मिलने के साथ ही मुन्नू सिंह का गांव में दबदबा बढ़ने लगा। वर्ष 2000 में उसने पंचायत की राजनीति में कदम बढ़ाया और ग्राम प्रधान चुना गया। उसके दो बेटे व बहू भी प्रधान चुनी गई। राशन की दुकान भी घर आ गई। नतीजन गांव का गरीब व अमीर हर तरह से पूर्व प्रधान के सामने नतमस्तक हो गए, लेकिन भाकियू नेता ने मुखालफत शुरू कर दी। वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव में किसान नेता ने मां को पूर्व प्रधान की बहू वंदना सिंह पत्नी पीयूष के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। दोनों पक्षों में इसी के साथ तनातनी रंजिश में तब्दील हो गई। चुनाव में पर्चा खारिज न हो, इसलिए पूर्व प्रधान के पुत्र पीयुष सिंह व किसान नेता के भाई ने भी नामांकन किया था लेकिन चुनाव रामदुलारी व वंदना सिंह के बीच ही हुआ। अब ग्रामीण पूर्व प्रधान से दूरी बनाने को ठान चुके थे। इसी का नतीजा रहा कि रामदुलारी को 466 तो वंदना सिंह को 430 मत मिले। पंचायत चुनाव में हार की बौखलाहट में पूर्व प्रधान ने सबक सिखाने को ठान ली। नतीजन एक-दूसरे के खिलाफ शिकवा शिकायतों का दौर शुरू होकर अफसरों व शासन की चौखट पर पहुंचन लगा। रार इस कदर गहराई कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को राह चलते घेरने लगे।
जांच के बाद राशन की दुकान भी छिनी
प्रधानी रंजिश में एक-दूसरे को मात देने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जाने लगे। ग्राम पंचायत हाथ में आने पर किसान नेता ने पूर्व प्रधान के घर संचालित राशन की दुकान पर निगाह टिका दी। कार्ड धारक भी प्रधान के पक्ष में उतर आए। शिकायत दर शिकायत पर जांच के बाद पूर्व प्रधान के घर संचालित राशन की दुकान भी निरस्त हो गई। इसके बाद अंदर ही अंदर पनप रही रंजिश इस मोड़ पर आ पहुंची।
मुन्नू सिंह को अखरा पप्पू का नाम के आगे अखरी लगाना
मुन्नू सिंह अखरी वाले...। इस तमगे के खिलाफ पप्पू सिंह ने भी अखरी सर नेम लगाकर मोर्चा खोल दिया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म और दूसरे क्षेत्रों में पप्पू सिंह पप्पू अखरी लिखने लगे। किसान नेता की पहचान भी पप्पू अखरी के नाम से चर्चित हो गई। यह बात भी पूर्व प्रधान व उनके पुत्रों को अखरने लगी।
ऐलानिया कत्ल... गांव में कहता था पप्पू के रास्ते से हटाकर रहेगा
फतेहपुर, संवाददाता। वर्ष 2026 में संभावित पंचायत चुनाव और ग्रामीणों के बीच गिरते रसूख को लेकर पूर्व प्रधान ने चार माह पहले किसान नेता की हत्या करने की साजिश रचनी शुरू कर दी थी। दो दिन पहले पूर्व प्रधान ने चौराहे पर खड़े होकर पप्पू को जल्द रास्ते से हटाने की बात कही थी। माना जा रहा कि साजिश के तहत ही सुबह उसके बेटे पीयूष ने पप्पू से गाली-गलौज की। इस विवाद के जरिये पप्पू को गांव से बाहर लाने की साजिश थी और उसमें वह सफल भी हो गया। सूत्रों की मानें तो चार माह पहले मुन्नू सिंह एक नेता के पास जाकर रो पड़ा था। उसने कहा था कि वह अब तंग आ चुका है। खुद गोली मार लेगा या पप्पू के परिवार को खत्म कर देगा। हालांकि नेता ने उसे बात टालने की नसीहत दी थी। इसके बाद वह खुलकर लोगों से बोलने लगा था कि पप्पू को रास्ते से हटाकर रहेगा।
अवैध असलहों से खेला खूनी खेल
पूर्व प्रधान ने अवैध असलहों से खूनी खेल को अंजाम दिया। बताते हैं कि पूर्व प्रधान व उसकी पत्नी के पास लाइसेंसी असलहे थे। पत्नी की मौत के बाद असलहा निरस्त हो गया था, जबकि पूर्व प्रधान का लाइसेंस दुकान में जमा है। मौके से मिले तीन खोखे व शवों पर दिख रहे घावों से इस बात का अनुमान है कि घटना में कई अवैध असलहों का इस्तेमाल किया गया है।