Bole Firozabad: system changed but the university could not change itself बोले फिरोजाबादः सिस्टम तो बदला पर खुद को न बदल पाया विवि, Firozabad Hindi News - Hindustan
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बोले फिरोजाबादः सिस्टम तो बदला पर खुद को न बदल पाया विवि

डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि की कार्यप्रणाली छात्र-छात्राओं के लिए टेंशन बन गई है। न तो सेमेस्टर का अता-पता है, न परीक्षा का। कॉलेज में क्लासेस भी अव्यवस्थित हैं। छात्रवृत्ति को लेकर भी कई छात्र-छात्राएं परेशान हैं तो निर्धन छात्रों की पढ़ाई संकट में पड़ जाती है।

Naresh kumar हिन्दुस्तान टीमFri, 11 April 2025 06:03 PM
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बोले फिरोजाबादः सिस्टम तो बदला पर खुद को न बदल पाया विवि

डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि की कार्यप्रणाली छात्र-छात्राओं के लिए टेंशन बन गई है। न तो सेमेस्टर का अता-पता है, न परीक्षा का। कॉलेज में क्लासेस भी अव्यवस्थित हैं। छात्रवृत्ति को लेकर भी कई छात्र-छात्राएं परेशान हैं तो निर्धन छात्रों की पढ़ाई संकट में पड़ जाती है। वहीं ओएमआर शीट पर होने वाली परीक्षा को भी छात्र-छात्राएं ठीक नहीं मानते हैं। इससे विषय को गहनता से समझने की ललक खत्म हो रही है तो सिर्फ मॉडल पेपर से ही पढ़ कर छात्र परीक्षा में पहुंच जाते हैं। छात्रों की मानें तो नई शिक्षा प्रणाली ठीक है, लेकिन सरकार कम से कम विवि एवं कॉलेजों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव का प्रयास करे।

हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत छात्रों की समस्याओं को लेकर एसआरके महाविद्यालय में बीकॉम एवं बीए के छात्रों से संवाद किया तो कई तरह की समस्याएं एवं मुद्दे सामने आए। विवि ने अब वेब पंजीकरण शुल्क भी बढ़ा दिया है। पहले 100 रुपये शुल्क लगता था, जिसे अब 300 रुपये कर दिया है। इससे भी छात्र-छात्राएं परेशान दिखाई दिए। इनका कहना था कि इस तरह से वेब पंजीकरण शुल्क को बढ़ाना गलत है। छात्राओं की मानें तो एक तरफ बेटियों की पढ़ाई पर सरकार जोर दे रही है तो दूसरी तरफ विवि द्वारा इस तरह से शुल्क बढ़ाए जा रहे हैं। निर्धन परिवारों की बेटियां किसी तरह से चूड़ी का काम कर अपनी फीस को जुटाती हैं, लेकिन सरकार के इस तरह फीस बढ़ोत्तरी से इन बेटियों के समक्ष संकट बढ़ता जा रहा है।

इधर कॉलेज में भी कम समस्याएं नहीं हैं। कॉमन रूम न होने से फ्री टाइम में छात्राओं को कैंपस में ही टहलना पड़ता है या फिर पार्क में बैठना पड़ता है, जबकि कॉलेज शुल्क लेता है तो कॉमन रूम की व्यवस्था भी होनी ही चाहिए। इधर परीक्षाओं के लिए भी छात्र-छात्राओं को परीक्षा से 15 दिन पूर्व स्कीम भेजनी चाहिए, ताकि उस स्कीम के आधार पर छात्र तैयारी कर सकें। ऐन वक्त पर वाट्सएप ग्रुप पर परीक्षा का मैसेज डालने की प्रक्रिया को खत्म किया जाए।

दीर्घकालीन सवालों से बढ़ता था ज्ञान

छात्रों का कहना था कि ओएमआर शीट पर परीक्षा कराई जाती है। सिर्फ विकल्पों के जवाब देने पड़ते हैं, इसके लिए मॉडल पेपर से काम चल जाता है, लेकिन यह गलत है। पहले की तरह से किताबों को पढ़ाना चाहिए। बच्चे दीर्घकालीन एवं लघु उत्तरीय सवालों के लिए विषय को पूरी तरह से समझते थे तो उनके ज्ञान में भी इजाफा होता था। इससे छात्र-छात्राएं पास तो हो जाते हैं, लेकिन उनका ज्ञान उतना नहीं बढ़ पाता है।

मार्कशीट की गलतियों को सुधरवाए कॉलेज

विवि स्तर पर अंकतालिकाओं में भी काफी गलतियां की जा रही हैं। कई बार री एक्जाम देने के बाद भी छात्र की अंकतालिका में सुधार नहीं हो पाता है। कॉलेज में जाएं तो बाबू कहते हैं कि विवि स्तर से गलती हुई है। छात्रों का कहना है कि जब वह फीस कॉलेज को जमा करते हैं तो परीक्षाओं से लेकर अंकतालिका तक की जिम्मेदारी भी कॉलेज प्रशासन की होती है। इस स्थिति में कॉलेज प्रशासन को ही इन गलतियों को सुधरवाना चाहिए। इन गलतियों को छात्रों पर थोप कर विवि के लिए जाने पर विवश नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने स्तर पर यह कार्य करना चाहिए।

नियमित हों सेमेस्टर विधिवत हो पढ़ाई

छात्रों की मानें तो सेमेस्टर तो छह माह का तय है, लेकिन कभी दो माह में खत्म हो जाता है तो कभी तीन माह में। एक सेमेस्टर की परीक्षा के बाद रिजल्ट एवं अन्य कार्य में लेटलतीफी के कारण विवि का दूसरा सेमेस्टर देर से शुरू होता है, लेकिन इसकी परीक्षाएं तय अवधि पर ही कराने पर विवि का जोर रहता है। इस स्थिति में न तो कॉलेज में ही विधिवत कक्षाएं संचालित हो पाती हैं, न ही छात्र भी अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं। छात्रों की मानें तो सेमेस्टर के साथ ही विवि परीक्षा एवं परिणाम के लिए समय सारिणी तय कर लें तथा उसके आधार पर ही सभी कार्य कराए, ताकि सेमेस्टर नियमित हो सकें।

ये कहना है इनका

कई बार रिजल्ट में री-एक्जाम विवि अंकित कर भेज देता है। कई बार प्रयास करने के बाद भी रिजल्ट की खामियां दुरस्त नहीं हो पाती हैं। इससे छात्र छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-अंजली शर्मा

वेब पंजीकरण की फीस को विवि प्रशासन द्वारा बढ़ा दिया गया है। इस फीस को कम कर छात्र-छात्राओं को कुछ राहत देनी चाहिए। इसके साथ में शिक्षण का भी एक शेड्यूल तय करना चाहिए।

-नरायन, बीए चतुर्थ सेमेस्टर

कॉलेज में क्लासेस नहीं लगती हैं। स्कॉलरशिप के संबंध में भी अभी तक कुछ पता नहीं है। विवि प्रशासन को एक नियमावली बनानी चाहिए, उसके आधार पर ही क्लास एवं अन्य शेडयूल पहले से तय होने चाहिए।

-ईशा, बीए द्वितीय सेमेस्टर

विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली परेशानी का सबब बन रही है। रिजल्ट में री-एक्जाम दे देते हैं। री की परीक्षा देने के बाद भी परीक्षाफल में सुधार नहीं हो पाता है। कॉलेज प्रशासन से संपर्क करने पर कहा जाता है कि विवि प्रशासन के स्तर से गलती हुई है।

-सौम्या शर्मा, बीए सिक्स सेमेस्टर

विवि द्वारा ओएमआर शीट पर परीक्षाएं कराई जा रही हैं, जो ठीक नहीं है। पहले जब परीक्षाएं होती थी लघु एवं दीर्घ प्रश्न होते थे तो उनके जवाब के लिए बच्चे किताबों का गहनता से अध्ययन करते थे तो पूरा भाव समझ में आ जाता था।

-अर्जुन, बीकॉम द्वितीय वर्ष

छात्रवृत्ति पहले आसानी से आ जाती थी, लेकिन ऑनलाइन सिस्टम के बाद में इतनी औपचारिकताएं कर दी हैं कि कई बार इसमें ही छात्रवृत्ति उलझ जाती है, इससे निर्धन छात्रों के समक्ष दिक्कत आती है।

-उज्जवल, बीए द्वितीय सेमेस्टर

कॉलेज में पानी की भी एक बड़ी समस्या है। छात्रों को सरकार खेल से जोड़ने पर जोर दे रही है, लेकिन यहां पर खेल नहीं होते हैं। छात्राओं के फ्री टाइम में बैठने के लिए भी कॉमन रूम की व्यवस्था नहीं है। कॉलेज को व्यवस्थाएं करनी चाहिए।

-हेमलता

कॉलेज स्तर पर भी समुचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हमारे एसआरके महाविद्यालय में वॉशरूम की भी समस्या है। इसकी अच्छी तरह से नियमित रूप से सफाई न होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-पवन यादव, बीए सिक्स सेमेस्टर

अनावश्यक रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा फीस बढ़ाई जा रही है। हमारे हिंदी विभाग में तो पंखे भी नहीं चलते हैं। गर्मी की शुरूआत के साथ ही छात्रों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

-कन्हैया, बीए प्रथम सेमेस्टर

विवि द्वारा छह-छह माह के सेमेस्टर की बात तो की जा रही है, लेकिन हकीकत में विवि छह महीने पढ़ाई भी नहीं करा पा रहा है। कई बार तो रिजल्ट एवं अन्य कार्य में विवि इस कदर लेटलतीफी कर देता है कि छह माह का होने वाला दूसरा सेमेस्टर दो माह का ही रह जाता है।

-कृष्णा गुप्ता, बीकॉम

वेब पंजीकरण की फीस बढ़ाकर छात्रों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है। एक तरफ सरकार बेटी पढ़ाओ की तरफ जोर देती है तो विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह से फीस बढ़ा दी जाती है। कॉलेज में कई बार पानी के लिए भी परेशान होना पड़ता है।

-जाह्नवी, बीकॉम द्वितीय सेमेस्टर

हमारी बड़ी बहन को ग्रेजुएशन किए काफी वक्त गुजर गया है, लेकिन डिग्री नहीं मिल रही है। छह-छह महीने तक विवि डिग्री के लिए लटकाए रखता है। हमने बड़ी बहन को टीसी के लिए भी कई-कई दिन चक्कर काटते हुए देखा है।

-देविका, बीए द्वितीय सेमेस्टर

कॉलेज फीस तो वर्तमान के हिसाब से ले रहा है, लेकिन सुविधाएं काफी पुरानी हैं। शिक्षण कक्षों में जो पंखे लगे हए हैं, वह बहुत धीरे-धीरे चलते हैं। गर्मियों में इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-खुशी गुप्ता, बीए द्वितीय सेमेस्टर

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