Fitness certificate was made only seeing photo of bus which turned into fire RI suspended enquiry committee formed फोटो से बना दिया था फिटनेस प्रमाण पत्र, RI निलम्बित, आग का गोला बनी थी बस, जांच समिति गठित, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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फोटो से बना दिया था फिटनेस प्रमाण पत्र, RI निलम्बित, आग का गोला बनी थी बस, जांच समिति गठित

बिहार से दिल्ली जा रही जो बस लखनऊ में गुरुवार को आग का गोला बन गई थी, उसे लेकर अहम खुलासा हुआ है। बस का फिटनेस प्रमाण पत्र गोरखपुर से जारी हुआ था। जारी करने वाले आरआई ने केवल बस की फोटो देखकर फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया था।

Yogesh Yadav लखनऊ, प्रमुख संवाददाताFri, 16 May 2025 09:44 PM
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फोटो से बना दिया था फिटनेस प्रमाण पत्र, RI निलम्बित, आग का गोला बनी थी बस, जांच समिति गठित

लखनऊ में किसान पथ पर बस में पांच यात्रियों के जिंदा जलने के मामले में संभागीय निरीक्षक-प्राविधिक (आरआई) राघव कुमार कुशवाहा को परिवहन आयुक्त ने निलम्बित कर दिया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। यह जांच वाराणसी के संभागीय परिवहन अधिकारी शिखर ओझा को दी गई है। उन्हें यह जांच तीन महीने में पूरी करनी है। निलम्बित आरआई राघव कुमार वर्तमान में बरेली में तैनात है। इसके साथ ही एक साल में जारी सभी फिटनेस प्रमाण पत्रों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी गई है।

प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि दुर्घटनाग्रस्त डबल डेकर बस का फिटनेस प्रमाण पत्र सिर्फ फोटो देख कर ही पिछले साल आठ अप्रैल को गोरखपुर से जारी किया गया था। यह प्रमाण पत्र कहीं से भी फिटनेस जारी करने के नियम के तहत जारी हुआ था। संचालक अपनी बस को गोरखपुर नहीं ले गया था। इस वजह से ही आरआई को यह पता ही नहीं चला कि बस में आपातकालीन द्वार बंद कर वहां सीट लगा दी गई थी।

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एक साल में जारी सभी फिटनेस प्रमाण पत्र की जांच होगी

परिवहन आयुक्त ने बताया कि इस बस हादसे को गम्भीरता से लिया गया है। कहीं भी फिटनेस प्रणाली (एनीवेयर फिटनेस) के तहत पिछले एक साल में जारी सभी फिटनेस प्रमाण पत्रों की जांच कराई जाएगी। इस जांच के लिए प्रदेश स्तरीय समिति गठित की गई है। इसके अध्यक्ष अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) संजय सिंह को बनाया गया है। समिति 15 दिन में पूरे प्रदेश में इस प्रणाली के दुरुपयोग के बारे में भी जांच करेंगे।

आग लगने की वजह शार्ट सर्किट

बस हादसे की शुरुआती जांच में आग लगने की वजह इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट पाया गया है। जांच में ही सामने आया है कि इस बस का फिटनेस प्रमाण पत्र पिछले साल आठ अप्रैल को गोरखपुर से जारी किया गया था। इसमें बस मौके पर नहीं ले जाई गई थी। यह प्रमाण पत्र कहीं भी फिटनेस प्रणाली के तहत जारी हुआ था। बस की फोटो देखकर ही प्रमाण पत्र दे दिया गया था। इसमें एआईएस-119 के मानक के अनुसार न तो सीट ले आउट था और न ही आपात निकास द्वार था। इसकी पुष्टि भी हो गई कि 38 सीटर इस बस में आपात निकास द्वार को बंद कर बस में 10 सीटें और बढ़ा दी गई थी। यही वजह थी कि जब बस में आग लगी तो अंदर सभी यात्री समय से बाहर नहीं निकल सके।

परमिट में खेल कर पूरे प्रदेश में दौड़ रही डग्गामर बसें और जीप

लखनऊ। किसान पथ पर बस में जिंदा जले यात्रियों की मौत परमिट में खेल का ही नतीजा है। यूपी में इस खेल की बदौलत ही डग्गामार बसें और जीपें हाइवे पर फर्राटा भर रही हैं। हर बड़े जिले में आउटर पर अवैध तरीके से बने बस अड्डों पर इन डग्गामार माफिया का सिक्का चल रहा है। कई हादसों के बाद भी जिम्मेदार अफसरों ने बड़ी कार्रवाई नहीं की। परिवहन मंत्री ने अब निगम के अफसरों से अवैध बस अड्डों और डग्गामार बसों के संचालन पर जवाब मांगा है।

दो मुख्य परमिटों पर खेल

आरटीओ में साठगांठ कर यह खेल कांट्रैक्ट कैरिज परमिट और स्टेज कैरिज परमिट के साथ ही स्पेशल परमिट के रूप में किया जा रहा है। इस खेल में ही बसों का परमिट पार्टी बुकिंग के लिए बनता है और फिर उस पर सवारियों को ले जाया जाता है। निजी बस संचालक कांट्रैक्ट कैरिज परमिट और स्टेज परमिट के नाम पर सारा वारा-न्यारा करते हैं। विभाग के अफसरों के मुताबिक, कांट्रैक्ट कैरिज परमिट में बस को एक तय स्थान से सवारियों को लेकर दूसरे तय स्थान पर छोड़ना होता है। ये रास्ते में फुटकर सवारी नहीं बैठा सकते हैं। इसी तरह स्टेज कैरिज परमिट बनने पर बस में फुटकर सवारियां बैठाई और उतारी जा सकती है। इन्हें अनुबंध के आधार पर बस स्टेशन पर रुकने की छूट होती है। यही से खेल शुरू होता है। कांट्रैक्ट कैरिज परमिट का शुल्क स्टेज कैरिज परमिट की तुलना में काफी कम होता है। इस वजह से ही कांट्रैक्ट कैरिज परमिट बनवाकर बस संचालक उसमें फुटकर सवारियां भरवाते हैं। ऐसा परमिट लेने वाले ही शर्तो का उल्लंघन ज्यादा करते हैं।

ज्यादातर हाइवे पर इन माफिया का चलता सिक्का

डग्गामार वाहन चलाने के लिए कुछ परिवहन विभाग पर हावी है। इनकी दबंगई के आगे सब चुप रहते है। इनकी साठगांठ ऐसी है कि पुलिस और प्रशासन इनके अवैध स्टैण्ड हटवाती है पर कुछ दिन बाद ही फिर से स्टैण्ड शुरू हो जाते है। सीतापुर रोड, हरदोई रोड, सुलतानपुर रोड, अयोध्या रोड, कानपुर रोड पर डग्गामार बसें, जीपे फर्राटा भरती रहती है। कोई बड़ा हादसा होने पर प्रवर्तन दल इनके खिलाफ कार्रवाई करता है पर कुछ दिन बाद ही इन माफिया का गठजोड़ फिर दिखने लगता है। परिवहन आयुक्त का कहना है कि विभाग के अफसरों को डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए है।