लखीमपुर में तेंदुए का खौफ! जाल बिछाकर वन विभाग ने एक और आदमखोर को पकड़ा, इलाके में अब भी दहशत
लखीमपुर खीरी में वन विभाग की टीम ने एक और तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया है। पकड़ा गया तेंदुए की उम्र दो साल और मादा है। तेंदुआ स्वास्थ्य परीक्षण में पूरी तरह स्वस्थ पाया गया है। हालांकि तेंदुए के पकडे़ जाने के बाद भी गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

लखीमपुर खीरी के शारदा नगर रेंज के मझरा फार्म में वन विभाग की टीम ने एक और तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया है। पकड़ा गया तेंदुए की उम्र दो साल और मादा है। तेंदुआ स्वास्थ्य परीक्षण में पूरी तरह स्वस्थ पाया गया है। दक्षिण खीरी वन प्रभाग की शारदानगर रेंज के मझरा फार्म, इंदिरा मनोरंजन पार्क व आसपास इलाके में करीब डेढ़ वर्ष से कई तेंदुए दहशत का पर्याय बने हुए थे, जिससे सितंबर 2023 को एहतियातन इंदिरा मनोरंजन पार्क को भी बंद कर दिया गया था।
इलाके के ढकवा गांव में एक बच्चे को तेंदुआ ने शिकार भी बनाया था। उसके बाद गंगाबेहड़ गांव के रहने वाले मुनव्वर के 12 वर्षीय बेटे को गन्ने के खेत में खींच ले गया था, जिससे बच्चे की मौत हो गई थी। दो बच्चों की मौत होने से वन विभाग की टीम ने पिंजरे, जाल व ट्रिपिंग कैमरे लगाकर मझरा फार्म में दो तेंदुओं को पिंजरे में कैद कर लिया था। ग्रामीण व राहगीर फिर भी तेंदुआ व उनके शावक देखे जाने की बात कर रहे थे। जिससे विभाग ने कैमरे लगा रखे थे।
गुरुवार की रात मझरा फार्म में लगाये गये पिंजरे में एक तेंदुआ फिर कैद हो गया। पिंजरे में कैद तेंदुआ की सूचना पाकर शुक्रवार की सुबह वन विभाग की टीम पहुंच गई। और तेंदुए को रेंज ऑफिस ले जाया गया और चिकित्सीय परीक्षण किया गया। मझरा फार्म में तीन तेंदुआ पकड़े जाने के बाद भी ग्रामीण व राहगीर दहशत में है। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में अभी भी इनके शावक मौजूद हैं। रेंजर अभय कुमार मल्ल ने बताया कि करीब दो साल की तेंदुआ मादा है और पूरी तरह से स्वस्थ है।
बदल रहा बाघों का व्यवहार, केन टाइगरों का नया ठिकाना बन रहे गेहूं के खेत
लखीमपुर में गन्ने के खेतों में रहने के आदी हो चुके केन टाइगर्स का बर्ताव फिर बदल रहा है। अब उन्हें गेहूं के खेत भाने लगे हैं। वे गेहूं की फसल के बीच आराम करते नजर आ रहे हैं। ड्रोन कैमरों से बाघों के इस नए ठिकाने की जानकारी हुई है। इससे गन्ने की फसल कटने के बाद बाघों के जंगल लौटने की राह देख रहे वन विभाग के लिए चुनौती बढ़ गई है।
दक्षिण खीरी और दुधवा टाइगर रिजर्व दोनों के जंगलों से निकलकर बाघ अब तक गन्ने के खेतों में ठिकाना बनाते थे। दरअसल बाघों को छिपने और शिकार के लिए ऊंची घास की जरूरत होती है। गन्ने की फसल बाघों के लिए घास जैसी होती है इसलिए वहां आसानी से छिप जाते हैं लेकिन खेत के आसपास किसी के आने पर हमलावर हो जाते थे। इस बार जब गन्ने की फसल कटी तब यह माना गया कि बाघ वापस जंगल लौट जाएंगे और नई फसल तैयार होने तक कुछ राहत मिलेगी लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिख रहा। अब बाघों ने अपना नया ठिकाना गेहूं के खेतों में बनाना शुरू कर दिया है। इस बात की तस्दीक पिछले दिनों आए एक ड्रोन वीडियो के बाद हुई।
मैलानी वन रेंज से सटे गेहूं के खेत में एक बाघ लेटा हुआ दिखाई दिया। इसके बाघिन होने की बात सामने आई है। हालांकि वन विभाग का दावा है कि यह वीडियो ग्रामीणों ने बनाया है। वन विभाग के पास ड्रोन ही नहीं है। यह भी दावा किया गया कि यह वीडियो खुटार रेंज के करीबी गांव का है। पर इन सब के बीच गेहूं के खेत में बाघिन की मौजूदगी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले भी इसी रेंज में एक बाघ खेत में टहलता दिखा था।
गेहूं की कटाई का समय, किसानों में खौफ
वन विभाग के सामने अब एक नई चुनौती सामने आ गई है। यह समय भी गेहूं कटाई का है तो ग्रामीणों में डर भी है। दक्षिण खीरी प्रभाग के डीएफओ संजय विश्वाल का कहना है कि गेहूं और गन्ने के खेतों में बड़ा फर्क है। हो सकता है कि किसी शावक या अवयस्क बाघ उसमें छिप गया हो। पर बाघ गन्ने के खेत में ही ज्यादातर डेरा बनाते हैं। गेहूं के खेत में वे ज्यादा दिन नहीं रह सकते। फिर भी सभी को सतर्क किया गया है। बाघों के दिखने पर तुरंत विभाग को सूचना देने को कहा गया है।