बीमा कंपनी की चालाकी फेल! ट्रेन हादसे में पैर गंवाने वाले को मिलेंगे 51 लाख, उपभोक्ता आयोग का आदेश
आगरा की जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को तगड़ा झटका देते हुए एक व्यक्ति को 51 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। दरअसल छह साल पहले युवक ने एक रेल हादसे में अपने दोनों पैर गंवा दिये थे। उस वक्त बीमा कंपनी ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था।

आगरा की जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल आयोग ने जिले के रहने वाले एक व्यक्ति को 51 लाख रुपये 6 फीसदी ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है। जिसने छह साल पहले एक रेल हादसे में अपने दोनों पैर गंवा दिये थे। यह जानकारी एक वकील ने शुक्रवार को दी।
वकील ने बताया कि उक्त रेल हादसे में प्रांजल गुप्ता के दोनों पैर कट गए थे। उन्होंने बताया कि जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने यह फैसला बीमा कंपनी के खिलाफ दिया जिसने प्रांजल गुप्ता का दावा रद्द कर दिया था। वकील ने बताया कि आयोग ने कंपनी को उक्त राशि पर छह प्रतिशत ब्याज देने का भी निर्देश दिया है। दरअसल आगरा निवासी प्रांजल गुप्ता 27 दिसंबर, 2019 को कालिंदी एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे और उस दौरान वे हाथरस जंक्शन के पास गिर गए और उनके दोनों पैरों में गंभीर चोटें आईं।
प्रांजल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कायम सिंह ने बताया कि उपचार के दौरान सेप्टिक संक्रमण होने के कारण चिकित्सकों को प्रांजल गुप्ता के घुटने के नीचे से दोनों पैर काटने पड़े। दुर्घटना के समय गुप्ता के पास नीवा बूपा इंश्योरेंस (पूर्व में मैक्स बूपा) की एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी थी, जो उन्होंने 29 मार्च, 2019 को ली थी और यह 28 मार्च, 2020 तक वैध थी।
हालांकि जब पीड़ित ने दावा दायर किया तो बीमा कंपनी ने विभिन्न आधारों पर इसे अस्वीकार कर दिया था। वकील ने बताया, "हाल ही में अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह के नेतृत्व में जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसला सुनाया कि नीवा बूपा को प्रांजल गुप्ता को ब्याज सहित 51 लाख रुपये का भुगतान करना चाहिए।"
दामाद की मौत के बाद बीमा के कागजात लेने पहुंचे ससुर की हत्या
उधर, मथुरा जिले के छाता थाना इलाके में अपने दामाद की मौत के बाद उसके बीमा के कागजात लेने बेटी के घर आए ससुर की उसकी बेटी के जेठ और सास ने कथित तौर पर हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके शुक्रवार को अदालत में पेश किया और अदालत के आदेश पर न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया।