बोले प्रयागराज : गांवों में बने हाट में हो रहा जुआ, जुट रहे नशेड़ी
Gangapar News - बहरिया में किसानों के उत्थान के लिए बीस साल पहले हाट बाजार बनाए गए थे, लेकिन सरकारी लापरवाही के कारण ये वीरान हो गए हैं। ग्रामीणों को इनका महत्व समझ में नहीं आया, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने के...

बहरिया में हाट का हाल गावों में किसानों के उत्थान के लिए बीस साल पहले बड़ी ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की जमीन पर हाट बाजार के नाम से लाखों रुपये खर्च कर शेड का निर्माण कराया गया था। सरकार की सोच थी कम दूरी तय कर गांव के किसान अपने खेत से उपजाए गए सब्जियों और अनाज को लेकर गांव में ही हाट बाजार पहुंचे और बेच दें। किंतु सरकार द्वारा बनाए गए हाट बाजार को ग्रामीण समझ ही नहीं सके की किस मकसद से हाट के लिए शेड बनाया गया है। यही कारण है कि गांव में बने हाट शोपीस बनकर खड़े रह गए।
सरकार, अधिकारी और ग्राम पंचायतें हाट बाजार बनवाकर प्रचार प्रसार करना भूल गए जिसके कारण सरकार का लाखों रुपये खर्च करना बेमतलब साबित हो रहा है। अफसरों की लापरवाही के कारण किसान कई किलोमीटर चलकर दूर की मंडियों में जाकर अपनी उपज बेच रहा है। गांव के लोग भी कस्बा और बड़ी मार्केटों में जाकर ऊंचे दामों में सब्जी और अनाज की खरीदारी करते है। हाट बाजार शेड को अराजकत्त्वों ने अपने कब्जो में करके जुआ और शराब पीने के अड्डा बना लिया है। गांव में लोगों को सुलभ स्वरोजगार के लिए बनाए गए हाट बाजार अनदेखी के कारण गुलजार नहीं हो सके। लाखों की लागत से बने हाट बाजार वीरान हो गए हैं। अफसरों की बेरुखी और दम तोड़ती योजना का आलम यह है कि इन पर लोगों ने कब्जे कर लिए हैं। कुछ जगहों पर तो इनका नामोनिशान तक मिट गया है। बहरिया ब्लॉक की अधिकांश बड़ी पंचायतों में वर्ष 2004 से 2005 के बीच हॉट बाजार बनाए गए थे। इसके पीछे का मकसद था कि गांव के किसान और बेरोजगार लोग हाट बाजार में अपनी दुकानें लगाएं, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिले। इसके लिए सरकारों ने गृह उद्योग को बढ़ावा भी दिया। मगर समय के साथ सब कुछ बदलता चला गया। हालात यह है कि रुरल मार्केटिंग योजना के तहत बनाए गए हाट पैठ (हाट बाजार) जर्जर हो चुके हैं। लोग यह भी भूल गए हैं कि गांव में हाट बाजार लगने के लिए भी हाट बाजार शेड सरकार ने बनवाया है। अनदेखी के कारण गांवों में बने हाट बाजार शेड भी गुलजार होती नजर नहीं आई। यही कारण है कि गांव से निकल कर लोग कस्बों का रुख कर रहे हैं। गांव बघौला में बनाए गए हॉट बाजार में चार लाख 50 हजार, सराय रायजोत में चार लाख 70 हजार, छाता में छह लाख रुपये का बजट खर्च किया गया था। वहीं मंसूरपुर पांच लाख 50 हजार, कहली में पांच लाख रुपये के बजट से बनाए गए थे, जो आज जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। 50 लाख से बना लेकिन नहीं लगती बाजार 50 लाख रुपये खर्च कर सरकार की ओर से बहरिया के छाता, बघोला, मंसूरपुर, सराय रायजैत, कपसा गांव में बनवाए गए हाट बाजार शेड में बाजार कभी लगा ही नहीं। इससे क्षेत्र के गांवों में सब्जी की खेती करने वाले किसान परेशान हैं। उन्हें अपनी सब्जी बेचने के लिए दूर-दराज की मंडियों में जाना पड़ रहा है। वहीं रख-रखाव, जानकारी के अभाव में हाट बाजार शेड और प्लेट फार्म धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। शेड में लगे सीमेंट को अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। पूर्व विधायक रंग बहादुर पटेल के प्रस्ताव पर सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए लगभग 50 लाख रुपये की लागत से 2004-05 में ग्राम सभा की भूमि पर हाट बाजार का निर्माण कराया गया था। गांव में हाट बाजार लगने के लिए और सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रचार-प्रसार के अभाव में किसान और दुकानदारों ने कभी इस हाट बाजार की तरफ कभी रुख ही नहीं किया। बड़ी ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए खर्च कर अधिकारी और ग्राम प्रधान ने हाट बाजार शेड का निर्माण कराकर भूल गए। यही कारण है कि ग्रामीण किसान और दुकानदार हाट बाजार के शेड तक अपनी दुकान और खेती में उपजे सब्जी और अनाज लेकर आज तक नहीं पहुंच सके। ज्यादातर किसान और ग्रामीणों को जानकारी भी नही है कि हाट बाजार शेड उनके विकास के लिए ही सरकार ने निर्माण कराया है। किसानों का इंतजार करते गायब हो गया शेड बहरिया के बघोला गांव में लाखों रुपये खर्च कर सरकार गांव के किसानों के विकास के लिए उनके गांव में ही बीस साल पहले हाट बाजार शेड का निर्माण कराया था। जिसमे ग्राम प्रधान और ब्लाक के अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी कि किसानों और दुकानदारों को हाट बाजार तक वह पहुंचाए। किंतु गांव के किसान हाट बाजार तक नही पहुंच सके। हाट बाजार शेड किसानों और दुकानदार का इंतजार करते करते वह खुद गायब हो गया। अराजकतत्वों ने शेड में लगा लोहा और सीमेंट चादर को उखाड़ ले गए। अब बचे हुए शेड में रात को अराजकतत्व अपना डेरा जमाए रहते हैं। बोले जिम्मेदार जिस जिस स्थान पर हाट बाजार बने हैं उनको संबंधित पंचायत सचिवों को भेजकर निरीक्षण कराया जायेगा। साथ ग्राम पंचायत में बैठक कर हाट बाजार में मार्केट लगाने के लिए कोशिश की जाएगी। ताकि किसानों को इसका सीधा लाभ मिल सके। -अनिल पाल, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, बहरिया हमारी भी सुनें लगभग 19 साल पहले बनाए हाट बाजार अनदेखी के कारण जर्जर हो चुके। प्लेटफार्म उखड़ चुके है। यहां तक कि सीमेंट की चादर और लगे एंगल भी गायब चुके है। पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। लोग हाट बाजार का मकसद भी नहीं जानते हैं। -विजय कुमार बघोला शासन को चाहिए वह उजड़े शेड, पेयजल और प्लेटफार्म दुरुस्त कराए। जहां जहां बाजार नही लग पा रही है। वहां बाजार लगवाएं। तभी सरकार की मंशा साकार हो सकेगी। साथ ही रूरल मार्केटिंग योजना सफल होगी। -लाल बहादुर, मंसूरपुर, बहरिया गांव में हाटबाजार लगवाने के लिए हाट बाजार शेड में मेला आयोजित किया जाय। गांव के सभी घरों और किसानों को मेला में बुलाकर हाट बाजार योजना से संबंधित जानकारी दिया जाय तभी हाट बाजार सफल होगा। -विनोद कुमार, मंसूरपुर, बहरिया गांव में हाट बाजार शेड बनवाने में सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर दिया। अधिकारी और ग्राम प्रधान हाट बाजार का निर्माण करा कर भूल गए। मार्केटिंग व्यवस्था की जानकारी ग्रामीणों को देना भी भूल गए। जिसके कारण रूरल मार्केटिंग व्यवस्था से ग्रामीण अनिभिज्ञ रहे। -अवधेश कुमार, मंसूरपुर गांव में हाट बाजार योजना ग्रामीणों के लिए वरदान साबित होता किंतु अधिकारी बाजार शेड बनवाकर ग्रामीणों को कोई जानकारी ही नहीं दिया। यदि अधिकारी और पूर्व प्रधान हाट बाजार योजना की जानकारी दिए होते तो सभी किसान और दुकानदार हाट बाजार अपनी दुकान लगाए होते तो गांव की महिलाएं भी गांव के बाजार से उचित और सस्ती दर पर खाने पीने की चीज कम दूरी पर आसानी से ले लिया करती किंतु अधिकारी के लापरवाही के कारण सरकार का लाखों रुपये खर्च के बावजूद गांव का हाट बाजार वीरान है। -शीला बघोला, बहरिया हाट बाजार शेड में बाजार लगने के लिए संबंधित अधिकारी और प्रधान गांव और कस्बा में डूग्गी बजवाएं तभी बाजार शेड में बाजार लग पाएगी। किसानों के हित में अफसरों को इसके लिए ठोस पहल करनी होगी तभी यह योजना सार्थक सिद्ध हो सकेगी। -रामनरेश मंसूरपुर बहरिया हाट बाजार में पीने के लिए पानी और लाइट की व्यवस्था भी होनी चाहिए। टूटे शेड का मरम्मत कराकर गांव स्तर पर हाट बाजार तीन दिवसीय मेला का आयोजन कर बाजार लगने को लेकर प्रचार प्रसार होना चाहिए। - प्रेम यादव, धमौर, बहरिया
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