समृद्ध साहित्य सामाजिक विकास की जरूरत
Gangapar News - गौहनिया, हिन्दुस्तान संवाद। समृद्ध साहित्य सामाजिक विकास की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। लोगों को जोड़ने के
समृद्ध साहित्य सामाजिक विकास की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। लोगों को जोड़ने के लिए कविताएं लिखी जाती है, नई पीढ़ी के विचारों को आखर स्वरूप देने के लिए नए तरीके अपनाने पड़ेंगे। उक्त बातें राज्य सूचना आयुक्त पीएन द्विवेदी ने व्यक्त किया l वह रविवार को समदरिया स्कूल में साहित्य श्री तथा हुडसा द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक दौर में व्यस्तता का हवाला देते हुए लोग साहित्य से किनारा बनाते है लेकिन कविताएं या साहित्यिक रचनाएं स्वयं से साक्षात्कार करवाती हैं और सुकून देती है इसलिए इसकी प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी, सीखना और जानना है तो समय निकालना होगा। कवि सम्मेलन की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। नीलम तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना वहीं समसामयिक कवि संतोष शुक्ल समर्थ ने दे दो सारी सुख सुविधा ऐ मेरे अभिभावक गण, लेकिन बच्चों को थोड़ा संस्कार सिखा देना जैसी बहुचर्चित रचना पढ़कर कवि सम्मेलन की नींव रखी। संचालक हास्य व्यंग के शीर्षस्थ रचनाकार अशोक बेशर्म ने विचार है ना कोई धारा है, यही अपनी विचारधारा है के साथ कई रोचक काव्यांश प्रस्तुत किया। आकर्षण के केंद्र रहे संयोजक कवि आनंद श्रीवास्तव का गीत नाव कागज की गहरा पानी है, जिंदगी की यही कहानी है बहुत सराहा गया। व्यंग्यकार नजर इलाहाबादी की मिली कुंभ में मोनालिसा गजब सुंदरी लाखों में रचना ने खूब तालियां बटोरी वहीं खड़क, त्रिशूल, अस्त्रधारी का स्वागत नामक रचना पढ़कर ओज कवित्री आयुषी त्रिपाठी ने माहौल को गंभीर बना दिया। इसके अलावा वाराणसी से आए हास्य व्यंग कवि नागेश शांडिल्य, गीतकार जितेंद्र जलज तथा गजलकार कृष्णकांत कामिल की प्रस्तुतियां भी प्रशंसनीय रहीं। अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक डॉक्टर मणि शंकर द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर बालकृष्ण पाण्डेय, राजेंद्र मिश्रा बबुआन, दिनेश तिवारी, समाज शेखर, लक्ष्मी शंकर तिवारी, अश्विनी श्रीवास्तव, सत्यभामा मिश्रा आदि रहे।
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