एक-एक कर तोड़े गए गोडधोइया नाले के सभी 47 कॉफर डैम तोड़े गए, दुरुस्त हुआ पानी का बहाव
Gorakhpur News - गोरखपुर में मानसून के आगमन के साथ गोड़धोईया नाले का निर्माण कार्य ठप हो गया है। जल निगम ने सभी 47 कॉफर डैम को तोड़कर पानी की निकासी पर ध्यान केंद्रित किया है। स्थानीय नागरिकों ने सुरक्षा के मुद्दों को...

गोरखपुर, मुख्य संवाददाता मानसून के दस्तक के साथ ही गोड़धोईया नाले का निर्माण कार्य लगभग ठप हो गया है। विभाग का जोर फिलहाल पानी निकासी पर है। ऐसे में जल निगम ने एक-एक कर सभी 47 कॉफर डैम को तोड़ दिया गया। जिससे पानी का बहाव ठीक हो गया। मंगलवार की रात शक्तिनगर के राजनगर में कुछ मकानों में दरार के बाद हंगामा हुआ था। वहां भी पानी का स्तर एक मीटर तक कम हुआ है। उधर, स्थानीय नागरिकों ने मांगों को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। जल निगम ने गोड़धोइया नाला निर्माण का काम बुधवार से ठप कर दिया।
साथ ही निर्माण के लिए नाले में शेष बचे 10 कॉफर डैम तोड़ बुधवार की शाम 5 बजे तोड़ दिए गए। गोडधोईया नाले का पानी रामगढ़ झील में पूरे प्रवाह के साथ पहुंच रहा है। झील का पानी देवरिया बाईपास रोड पाम पैराडाइज के साथ बने नाले से मलौनी बांध पर बनाए गए तरकुलानी रेगुलेटर की ओर जा रहा है। गोड़धोईया नाले के पानी की आसपास के लोगों को दिक्कत नहीं हो इसे लेकर 40 की संख्या में पोकलेन और जलनिगम के स्टाफ तैनात है। जहां सिल्ट अधिक है, उसे पोकलेन मशीन से निकाला जा रहा है। फातिमा अस्पताल, बिछिया, मैत्रीपुरम आदि मोहल्ले के पास पोकलेन मशीन से सिल्ट की निकासी की गई। जल निगम के जिम्मेदारों के मुताबिक, गुरुवार को गोड़धोइया नाले का आटो लेवल सर्वेक्षण भी कराया जाएगा। जहां पानी का प्रवाह अवरुद्ध होगा, वहां लांग बूम से सफाई कराई जाएगी। उधर बारिश में नाले के सभी बने भवनों को सुरक्षित रखने के लिए शोरिंग (लोहे का गर्डर और प्लेट) लगाई गई है। वहीं, लोहे की शीट पाइल (लोहे की 10 मीटर लम्बी एवं 10 एमएम मोटी शीट) भी लगाई गई है। नाराज लोगों ने डीएम और मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन बुधवार को राजनगर निवासी रंजीत सिंह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच कर ज्ञापन सौंपा। हालांकि जिलाधिकारी से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। नागरिकों ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत भी की। नागरिकों ने आरोप लगाया कि खुदाई से नाले और मकान के बीच में जो खाली जमीन थी उसको लेवल तक भरने का काम संबंधित विभाग ने नहीं किया। बुधवार को खजांची बाईपास से कॉफर डैम तोड़ा गया, जिससे नाले का पानी तीन फिट ऊपर आ गया। इससे उनका और दूसरों का मकान कभी भी गिर सकता है। मांग किया कि जिम्मेदार जल निगम कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराया जाए। मुआवजा देकर विभाग ने नहीं किए सुरक्षा इंतजाम मंगलवार को राजनगर में जहां नागरिकों ने जलभराव और मकान में दरार की बात करते हुए हंगामा किया था, वहां आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने लोगों का दर्द साझा किया। राजनगर में मकान संख्या 398 की मालकिन संयोगिता सिंह ने बताया कि भवन और जमीन की रजिस्ट्री उपरांत 16 लाख रुपये के करीब मुआवजा मिला। भवन को बचाने के लिए सुरक्षा संबंधी कार्य किए गए हैं लेकिन अचानक ज्यादा पानी आने से नाले की दीवार और मकान के बीच जलभराव से खतरा बढ़ गया। उधर, रंजीत सिंह के भाई किशन सिंह पुत्र चंद्रजीत सिंह का आरोप है कि मकान की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। मिट्टी खिसकी तो मकान गिर जाएगा। बताते हैं कि जमीन की रजिस्ट्री और भवन की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा मिला है। परिवार के लोग 25 अप्रैल को गांधी नगर में शिफ्ट हो गए, वे स्वयं अकेले रहते हैं। उधर, उनके पड़ोस में रहने वाली नूतन श्रीवास्तव ने भी मुआवजा और रजिस्ट्री उपरांत मकान छोड़ दिया है। रंजीत के पड़ोस में अंजू मिश्रा और अपनी बेटी संग रहती हैं। कहती हैं कि 75 फीट जमीन रजिस्ट्री हुई 2.44 लाख मुआवजा मिला लेकिन भवन का क्षतिपूर्ति नहीं मिला है। मोहल्ले के अशोक निगम का आरोप है कि उनके मकान के पीछे की जमीन नाले में गई जिसकी रजिस्ट्री के उपरांत अपने हिस्से में दीवार बना लिया था। मंगलवार की शाम अचानक पानी आने पर दीवार गिर गई। दावा किया कि जहां नई दीवार बनी थी, वहां मिट्टी नहीं भरी गई थी। हालांकि उनका मकान नाले से काफी दूर है। उनके पड़ोसी रविंद्र उर्फ झीनक कहते है कि नाले की जद में आए जमीन के हिस्से का 8 लाख रुपये मुआवजा मिला। नाले और मकान के बीच के हिस्से में मिट्टी भी भरा गया लेकिन रविंद्र उर्फ झीनक के घर के पीछे मिट्टी नहीं डाली। बोले अफसर सभी 47 कॉफर डैम को तोड़ कर अब पूरा जोर पानी की निकासी पर है। इंजीनियरों की मौजूदगी में शेड्यूल बना कर डैम को तोड़कर पानी निकासी सुनिश्चित कर रहे हैं। राजनगर में पानी अब उतर चुका है। सभी को जमीन की रजिस्ट्री और मकान की क्षतिपूर्ति का भुगतान हो चुका है। यदि कोई छूटा होगा तो उस पर विचार होगा। नाला निर्माण के साथ सभी भवनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है। पंकज सिंह, अधिशासी अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम नगरीय
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