एम्स: खाने की गुणवत्ता और डॉक्टरों की कमी का मुद्दा छाया
Gorakhpur News - गोरखपुर के एम्स में इंस्टीट्यूशनल बॉडी और गवर्निंग बॉडी की बैठक हुई। सांसद रमाशंकर राजभर ने कम सदस्यों की उपस्थिति पर नाराजगी जताई और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता बताई। उन्होंने इमरजेंसी में...

गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। एम्स में इंस्टीट्यूशनल बॉडी (आईबी) और गवर्निंग बॉडी (जीबी) की बैठक शुक्रवार को देर रात तक हुई। इसमें एम्स के संचालन, सुविधाओं की गुणवत्ता, मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं सहित कैंटीन पर चर्चा होनी थी, लेकिन आईबी में कुल 17 में से केवल सात सदस्य ही बैठक में शामिल हुए। इसमें पांच ऑनलाइन जुड़े रहे। केवल दो सदस्य ही शारीरिक रूप से मौजूद रहे। इस लापरवाही पर सांसद ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एम्स प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर बैठक में पहली बार शामिल हुए। बैठक में कम सदस्यों की मौजूदगी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आईबी और जीबी देश के हर एम्स की रीढ़ होते हैं, जो संस्था की नीति निर्धारण, बजट, नियुक्तियों और व्यवस्थाओं की समीक्षा करती है। यदि इसके सदस्य ही गंभीर नहीं होंगे तो एम्स के विकास का काम प्रभावित होगा।
कहा बैठक से पहले सभी सदस्यों को सूचना समय से भेजी गई थी। इसके बाद भी अधिकांश सदस्य नहीं आए। यह एम्स के लिए ठीक नहीं है। बैठक में डॉ. आनंद मोहन दीक्षित को रिसर्च डीन बनाने की मंजूरी मिली।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सामने उठेगा मुद्दा
सांसद राजभर ने मरीजों को एम्स की इमरजेंसी में दाखिला न मिलने और रेफर किए जाने का सवाल उठाया। सांसद ने कहा कि एम्स गोरखपुर में ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए बजट तो मिल चुका है, लेकिन अब तक निर्माण की प्रक्रिया क्यों शुरू नहीं हो सकी है। उन्होंने इस मुद्दे को लोकसभा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष उठाने की बात कही। सासंद ने केवल 33 प्रोफेसर के भरोसे पूरा एम्स संचालित होने पर चिंता जताई। एम्स के सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों की भारी कमी और नियुक्तियां को भरने का सुझाव दिया।
सांसद रविकिशन ने भी व्यवस्थाओं पर जताई नाराजगी
सांसद रविकिशन शुक्ला ने भी बैठक में एम्स की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई। मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता, डॉक्टरों की संख्या में कमी और आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया। कहा कि आए दिन मरीज यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें मिलने वाला खाना बेहद खराब है। इस पर तत्काल सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। कहा कि एम्स में डॉक्टरों की कमी तो है ही, साथ ही जो डॉक्टर नियुक्त किए जाते हैं, वे कुछ ही दिनों में संस्थान छोड़कर चले जाते हैं। ऐसा क्यों हो रहा है। इस पर एम्स विचार करें और अच्छे डॉक्टरों को रोके। कहा कि एम्स में आज तक एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, यह बेहद गंभीर मामला है।
डॉ. सतीश रवि की बर्खास्तगी सही
पिछले साल एनाटमी विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश रवि को एम्स प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया था। एम्स के मुताबिक, बर्खास्तगी के बाद जीबी की बैठक में इसे सही माना गया है। अब इस निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीलबंद लिफाफा में प्रस्तुत किया जाएगा। सितंबर 2024 को एनाटमी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कुमार सतीश रवि को अनुभव कम होने का आधार बनाते हुए बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद से आईबी और जीबी की बैठकें हुई, लेकिन उन बैठकों पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस बार आईबी और जीबी की बैठक में यह मुद्दा उठा।
कोट
सांसद की ओर से उठाई गई समस्याओं का संज्ञान लिया गया। जल्द ही भोजन की गुणवत्ता की निगरानी एम्स प्रबंधन की ओर से की जाएगी। किचेन का संचालन अब सीधे संस्थान की निगरानी में होगा। साथ ही मरीजों की शिकायतों को प्राथमिकता पर हल किया जाएगा।
-सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक, एम्स
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