Baisakhi 2025 : सिख धर्म का प्रमुख त्योहा बैसाखी आज, जानें इस दिन का महत्व
- Baisakhi 2025 : हर साल पूरे हर्षोल्लास के साथ बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। बैसाखी मनाने के पीछे धार्मिक व ऐतिहासिक कारण जुड़ा है। यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है।

Baisakhi 2025 : हर साल पूरे हर्षोल्लास के साथ बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। बैसाखी मनाने के पीछे धार्मिक व ऐतिहासिक कारण जुड़ा है। यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। यह त्योहार कृषि से जुड़ा है। इसे रबी की फसल पकने के मौके पर मनाते हैं।बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं। इस दिन किसान अपने फसलों की कटाई कर शाम के समय में आग जलाकर उसके चारों ओर इकट्ठे होते हैं। बैशाखी के दिन से ही देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरु होती है। इस त्योहार को सिखों के नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस साल 13 अप्रैल, 2025 को बैसाखी है। सिख समुदाय के द्वारा आज 326वां वैशाखी पर्व हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।
बैसाखी का महत्व
बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। सिखों के नौवें गुरु के पुत्रों ने बैसाखी वाले दिन ही सिखों को उपदेश दिया था, जिसके बाद 5 लोगों ने अपने जीवन को हमेशा के लिए खालसा पंथ की रक्षा करने हेतु समर्पित कर दिया। जिन्हें आज हम पंच प्यारे के नाम से जानते हैं, इसलिए बैसाखी का पर्व मनाया जाता है।
बैसाखी को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं।
बैसाखी बंगाली कैलेंडर का पहला दिन माना जाता है। बंगाल में इस दिन उत्सव मनाया जाता है। बंगाल में इस दिन बेहद ही शुभ माना जाता है।
सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी का सिर मुगलों ने आज ही के दिन कलम किया था।
बैसाखी वाले दिन ही सिखों ने अपना उपनाम सिंह स्वीकार करके इस पर्व को आयोजित किया था।
बैसाखी वाले दिन गुरु गोविंद सिंह जी का राज्याभिषेक हुआ था।