गर्भस्थ शिशु की जान ले रहा गर्भवती का बीपी, शुगर और एनीमिया
Gorakhpur News - गर्भावस्था के दौरान बढ़ता रक्तचाप और शुगर अजन्मे शिशु के लिए खतरनाक है। हर 1000 में से 15 शिशुओं की प्रसव से पहले मौत हो जाती है, जिसे स्टिलबर्थ कहा जाता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रोजाना 3 से 4...

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। गर्भावस्था के दौरान बढ़ने वाला रक्तचाप (बीपी) और शुगर (डायबिटीज) अजन्मे शिशु की जान खतरे में डाल रहा है। इससे गर्भस्थ शिशु की प्रसव से पहले ही मौत हो जाती है। इसे स्टिलबर्थ कहते हैं। प्रदेश में हर 1000 शिशु में से 15 की मौत प्रसव से पूर्व हो जाती है। जबकि देश में प्रति एक हजार में करीब 14 गर्भस्थ शिशु की मौत होती है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रोजाना 3 से 4 मामले स्टिलबर्थ के आते हैं। इनमें से दो तिहाई स्टिलबर्थ गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में होता है।
गर्भावस्था के कारण बढ़ता है रक्तचाप व शुगर
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. वाणी आदित्य ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर के हार्मोन में परिवर्तन होता है। महिला के शरीर के अंदर एक शिशु का विकास शुरू होता है। इस दौरान हार्मोन असंतुलित होते हैं। इससे महिला तनाव में भी रहती है। हार्मोन के असंतुलन से गर्भवती का रक्तचाप बढ़ जाता है। शुगर असंतुलित हो जाता है। गर्भवतियों में करीब 35 फीसदी में रक्तचाप और शुगर असंतुलित रहता है। इसके अलावा गर्भवतियों में खून की कमी भी पाई जाती है। करीब 55 फीसदी गर्भवतियों में खून की कमी मिलती है। जिनमें से 15 फीसदी में बहुत गंभीर स्थिति में खून की कमी रहती है। इन्हें सीवियर एनीमिक कहा जाता है। यह तीनों ही गर्भस्थ शिशु की मौत की वजह बनती हैं।
जन्मजात विकृति से भी हो जाती है मौत
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के गायनी के विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि जन्मजात विकृति भी गर्भस्थ शिशु की जान खतरे में डाल देता है। इससे गर्भ में शिशु के शरीर में गंभीर बीमारियां होती हैं। इससे भी शिशु की गर्भ में मौत हो जाती है।
प्रसव के दौरान हो जाती है मौत
डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद गर्भस्थ शिशु की मौत को स्टिलबर्थ कहते हैं। यह प्रसव से पहले या प्रसव के दौरान हो सकता है। गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भस्थ की मौत को गर्भपात कहा जाता है।
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