न्यूरो विकासात्मक विकार है ऑटिज्म
Gorakhpur News - गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रोफेसर महिमा मित्तल ने ऑटिज्म के लक्षण और हस्तक्षेप के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम...

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शुक्रवार को विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महिमा मित्तल ने ऑटिज्म के बाबत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म न्यूरो विकासात्मक विकार है। इससे पीड़ित बच्चों की दुनिया बाकी बच्चों से अलग होती है। वे अक्सर लोगों से नजरें नहीं मिलाते। नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया नहीं देते। अपनी दुनिया में ही खोए रहते हैं।
कई मामलों में वे बोलने में देरी करते हैं, दोहराव वाले व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, या कुछ विशेष रुचियों में असामान्य रूप से गहराई से डूबे रहते हैं। समय पर पहचान और उचित हस्तक्षेप से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को एक बेहतर जीवन देने में मदद मिल सकती है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के प्रति अभिभावकों और स्वास्थ्य कर्मियों को जागरूक करना है।
कार्यक्रम में ऑटिज्म के प्रारंभिक लक्षणों एवं सामाजिक-व्यवहारिक संकेतों के बारे में विस्तार से बताया गया। बाल रोग विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. गरिमा ने ऑटिज्म पर एक प्रस्तुति दी। इसमें निदान, उपचार और अभिभावकों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति के सामाजिक संपर्क, संचार कौशल और व्यवहार को प्रभावित करता है। यह समस्या जीवनभर बनी रह सकती है, और इसके लक्षण बचपन में ही प्रकट हो जाते हैं। उन्होंने वीडियो क्लिप व केस स्टडीज के माध्यम से प्रतिभागियों को ऑटिज्म के व्यवहारिक लक्षणों को समझने में मदद की। इस अवसर पर डॉ. मनीष कुमार, डॉ. अंचला भारद्वाज, डॉ. ममता गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया।
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