सूखी बीती होली, ईद पर भी जेब खाली; यूपी के मनरेगा मजदूरों को 5 महीने से मजदूरी का इंतजार
- यूपी में केंद्र से पैसा नहीं आने से मनरेगा के काम प्रभावित हो रहे हैं। मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी और सामग्री का कुल 2180 करोड़ रुपये बकाया है। नतीजतन गांवों में पक्के काम लगभग बंद हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरी पर करीब 130 करोड़ रुपये, जबकि सामग्री मद में 2050 करोड़ रुपये बकाया हैं।

Mahatma Gandhi NREGA: यूपी के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) मजदूरों की होली सूखी-सूखी बीत गई। अब जब ईद करीब है तो भी मजदूरों की जेब खाली ही है। यूपी के मनरेगा मजदूरों को 5 महीने से मजदूरी का इंतजार है। प्रदेश में केंद्र से पैसा नहीं आने से मनरेगा के काम प्रभावित हो रहे हैं। मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी और सामग्री का कुल 2180 करोड़ रुपये बकाया हैं। नतीजा यह है कि गांवों में पक्के काम लगभग बंद हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरी पर करीब 130 करोड़ रुपये, जबकि सामग्री मद में 2050 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसके अलावा, प्रदेश में रोजगार सेवकों को बीते आठ महीने से मानदेय नहीं मिला है।
मनरेगा मजदूर पिछले पांच महीने से अपनी मजदूरी का इंतजार कर रहे हैं। मजदूर आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण, खेल के मैदान, ओपेन जिम , अन्नपूर्णा भवन बनाने में लगे हैं। इससे ही मानव सृजन दिवस के लक्ष्य को पूरा किया जा रहा है। गांवों में मनरेगा से ज्यादातर केवल कच्चे काम ही हो रहे हैं।
क्या बोले अधिकारी
लखनऊ में मनरेगा के संयुक्त आयुक्त अनिल पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार से पैसा नहीं आया है। यही वजह है कि बकाया इतना ज्यादा हो गया है। सरकार से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ग्रांट आ जाएगी और भुगतान हो जाएगा।
मनरेगा का बजट बढ़ा, आवंटन को लेकर मतभेद
मनरेगा मजदूरी को लेकर यह दिक्कत तब आ रही है जब पिछले कुछ सालों में इसका बजट आवंटन लगातार बढ़ा है। असल में पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के तहत राज्यों को मिलने वाले धन के आवंटन को लेकर मतभेद सामने आए हैं। यदि, आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में मनरेगा में 86,000 करोड़ रुपये पैसा दिया है, जो अब तक सबसे अधिक बजटीय आवंटन है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2006-07 के लिए मनरेगा बजट आवंटन 11,300 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 33,000 करोड़ हो गया। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने लोगों की आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2020-21 में योजना के तहत रिकॉर्ड 1,11,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे।