Hindustan Special: एक लाख मुसलमानों की जकात से बन सकता है अस्पताल और स्कूल; जानें कैसे
रमजान मुबारक में यदि एक लाख मुसलमान केवल जकात दें तो 65 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। इससे अस्पताल बनाकर व अनेक अन्य सुविधाएं देकर समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। सुन्नी उलमा काउंसिल ने एक रिपोर्ट तैयार की है।

रमजान मुबारक में मुस्लिम धार्मिक नियमों के अनुसार अनिवार्य रूप से दान करते हैं। यह दान जकात, फितरा, फ़िदया के रूप में दिया जाता है। यदि एक लाख मुसलमान केवल जकात दें तो 65 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। इससे अस्पताल बनाकर व अनेक अन्य सुविधाएं देकर समाज की तस्वीर बदली जा सकती है।
सुन्नी उलमा काउंसिल ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें दावा किया गया है कि अगर मात्र कानपुर में जकात और फितरा बैतुल माल (वित्तीय कोष) बनाकर जुटाया जाए तो इसके अनेक लाभ मिल सकते हैं। रमजान माह में प्रमुख रूप से तीन दान किए जाते हैं। हर प्रकार के दान मिलाकर कुल 65 करोड़ से अधिक रुपये एकत्रित किए जा सकते हैं। काउंसिल के अनुसार एक लाख मुस्लिमों को खुशहाल मान कर गणना की गई है।
यदि 500 लोगों की आमदनी एक करोड़ रुपया है तो 2.5 फीसदी जकात 12.50 करोड़ रुपये बनती है। 1000 लोगों की आमदनी 50 लाख प्रति व्यक्ति हो तो इससे भी 12.50 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। 2000 लोगों की आमदनी वार्षिक 25 लाख (12.50 करोड़), 5000 लोगों की आमदनी प्रति वर्ष 10 लाख (12.50 करोड़), 91500 रुपए वार्षिक आमदनी 40 हजार लोगों (9.50 करोड़) की अनुमानित मान कर गणना की गई है। नौ लाख लोगों का प्रति व्यक्ति 60 रुपए की दर से 5.40 करोड़ जुटाए जा सकते हैं।
काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस के अनुसार इस तरह कुल धनराशि 64.55 करोड़ जुटाए जा सकते हैं। इससे चैरिटेबल अस्पताल बनाया जा सकता है। छोटे रोजगार दिए जा सकते हैं। गरीब महिलाओं को वजीफा दिया जा सकता है। स्कूल, कॉलेज खोले जा सकते हैं। तालीम के लिए वजीफा दिया जा सकता है।
रमजान मुबारक में मुस्लिम धार्मिक नियमों के अनुसार अनिवार्य रूप से दान करते हैं। यह दान जकात, फितरा, फ़िदया के रूप में दिया जाता है। यदि एक लाख मुसलमान केवल जकात दें तो 65 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। इससे अस्पताल बनाकर व अनेक अन्य सुविधाएं देकर समाज की तस्वीर बदली जा सकती है।
सुन्नी उलमा काउंसिल ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें दावा किया गया है कि अगर मात्र कानपुर में जकात और फितरा बैतुल माल (वित्तीय कोष) बनाकर जुटाया जाए तो इसके अनेक लाभ मिल सकते हैं। रमजान माह में प्रमुख रूप से तीन दान किए जाते हैं। हर प्रकार के दान मिलाकर कुल 65 करोड़ से अधिक रुपये एकत्रित किए जा सकते हैं। काउंसिल के अनुसार एक लाख मुस्लिमों को खुशहाल मान कर गणना की गई है।
यदि 500 लोगों की आमदनी एक करोड़ रुपया है तो 2.5 फीसदी जकात 12.50 करोड़ रुपये बनती है। 1000 लोगों की आमदनी 50 लाख प्रति व्यक्ति हो तो इससे भी 12.50 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। 2000 लोगों की आमदनी वार्षिक 25 लाख (12.50 करोड़), 5000 लोगों की आमदनी प्रति वर्ष 10 लाख (12.50 करोड़), 91500 रुपए वार्षिक आमदनी 40 हजार लोगों (9.50 करोड़) की अनुमानित मान कर गणना की गई है। नौ लाख लोगों का प्रति व्यक्ति 60 रुपए की दर से 5.40 करोड़ जुटाए जा सकते हैं।
काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस के अनुसार इस तरह कुल धनराशि 64.55 करोड़ जुटाए जा सकते हैं। इससे चैरिटेबल अस्पताल बनाया जा सकता है। छोटे रोजगार दिए जा सकते हैं। गरीब महिलाओं को वजीफा दिया जा सकता है। स्कूल, कॉलेज खोले जा सकते हैं। तालीम के लिए वजीफा दिया जा सकता है।|#+|
यह भी जानें
हैसियत वालाः दान केवल हैसियत वाला कर सकता है। जिसके पास 52.5 तोला चांदी या 07.5 तोला सोना हो उसे हैसियत वाला माना गया है।
जकातः सोना, चांदी व आमदनी आदि पर साल गुजर जाने पर 2.5 की दर से जकात (दान) गरीबों में बांटने के लिए निकाली जाती है।
फितराः प्रत्येक व्यक्ति की ओर से दान दिया जाता है। यह रकम एक निश्चित भार और एक निश्चित दर के आधार पर तय की जाती है। वर्ष 2025 में शहर काजी के अनुसार गेहूं-आटा के ऐतबार से 75 रुपये, जौ के आधार पर 204 रुपये, मुनक्का के आधार पर 2860, खजूर के ऐतबार से 1700 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से धनराशि दान करना होगा।
फिदयाः इस नाम से मनचाहा दान किया सकता है।