IAS अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ीं, विजिलेंस-ED पीछे पड़ी; पुराने फैसलों की भी होगी जांच
- ईडी यह भी पता कर रही है कि अभिषेक प्रकाश के सम्पर्क में आने से पहले निकांत जैन की माली हालत क्या थी। कैसे अचानक उसके पास अकूत सम्पत्ति आ गई। अभिषेक प्रकाश को 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर निलम्बित किया गया है।

IAS Abhishek Prakash News: सस्पेंड किए जा चुके आईएएस अभिषेक प्रकाश की मुसीबत और बढ़ने वाली है। विजिलेंस जांच के आदेश के बाद अब ईडी भी उनके मामले में जांच शुरू कर सकती है। ईडी की एक टीम ने अभिषेक प्रकाश और निकांत जैन की सम्पत्ति की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। वहीं अब अभिषेक प्रकाश के पुराने फैसलों की जांच भी होगी।
वहीं, उद्योगपति से रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार निकांत जैन के दफ्तर को पुलिस ने सील कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक ईडी पहले निकांत जैन की सम्पत्ति का ब्योरा जुटाएगी, फिर आगे की कार्रवाई करेगी। ईडी यह भी पता कर रही है कि अभिषेक प्रकाश के सम्पर्क में आने से पहले निकांत जैन की माली हालत क्या थी। कैसे अचानक उसके पास अकूत सम्पत्ति आ गई। अभिषेक प्रकाश को दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री के आदेश पर निलम्बित किया गया है।
सोलर ऊर्जा से जुड़े एक प्रकरण में उद्योगपति से पांच प्रतिशत कमीशन मांगने में उसके करीबी और बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले गोमतीनगर निवासी निकांत जैन को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके खिलाफ गोमती नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। इसकी जांच चल रही है।
दस्तावेज गायब न हो, इसलिए जड़े ताले
निकांत के घर शुक्रवार को ताला लगा मिला था। इसकी जानकारी पर पुलिस ने दस्तावेज न गायब हो, इसलिए अपना ताला भी लगा दिया है। निकांत जैन की गिरफ्तारी के दूसरे दिन उसके विराट खंड स्थित इस दफ्तर में ताला लगा मिला था।
अभिषेक प्रकाश के निवेश निर्णयों की जांच होगी
सोलर इनर्जी कंपनी से रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के अब पुराने फैसलों की भी जांच होगी। वह ढाई साल से ज्यादा वक्त तक इन्वेस्ट यूपी के सीईओ रहे। इस दौरान निवेश संबंधी आए प्रस्तावों व उस पर मूल्यांकन समिति द्वारा लिए गए फैसलों संबंधीं पत्रावली तलब की गई है।
औद्योगिक विकास विभाग अब इस मामले की तह तक जाएगा। यह देखा जाएगा कि पूर्व में किन किन निवेश प्रस्तावों को निरस्त किया गया और किस आधार पर यह निर्णय हुआ। यह भी देखा जाएगा कि जो प्रस्ताव मंजूर हुए उसमें किसी निवेशक को अनुचित लाभ तो नहीं दिया गया। इन्वेस्ट यूपी में मूल्यांकन समिति की बैठक अमुमन हर महीने होती है। पूरे कार्यकाल में उनके फैसले अब जांच के दायरे में हैं।
असल में निवेश प्रस्ताव पहले मूल्यांकन समिति में आते वहां पर उसका परीक्षण किया जाता है। इससे पहले कंसल्टिंग फर्म और विभागीय कर्मचारी निवेशकों से सभी जरूरी दस्तावेज देखते हैं। मूल्यांकन समिति की मंजूरी के बाद फाइल आईडीसी की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी में भेजी जाती है। सूत्र बताते हैं कि निजी कंसल्टिंग फर्म के कार्मिकों की भूमिका भी संदिग्ध है।
भूमि अधिग्रहण के नाम पर खूब खेल हुआ
डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए खूब नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। असंक्रमणीय भूमि से संक्रमणीय करने के लिए राजस्व संहिता में दी गई व्यवस्था का भी पालन नहीं किया गया। चंद दिनों या महीनों में ही भूमि को संक्रमणीय करते हुए दूसरों के नाम पर करवा दिया गया। उस समय डीएम से लेकर मंडलायुक्त तक के यहां की गई शिकायतों का भी संज्ञान नहीं लिया गया, लेकिन तत्कालीन राजस्व परिषद के अध्यक्ष की जांच में यह खुलासा होता है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन अपर जिलाधिकारी प्रशासन द्वारा समिति को उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार कथित आवंटन पत्रावली के आधार पर वर्ष 2020 में कपिपय व्यक्तियों के प्रार्थना पत्र पर उनके नाम असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज करने के आदेश दिए गए। इसके अतिरिक्त कथित आवंटन व्यक्तियों को असंक्रमणीय से संक्रमणीय घोषित करने की कार्यवाही 11 मार्च 2021 में की गई।