सवा तीन साल की ड्यूटी में ही उतर गई दारोगा की वर्दी, भर्ती के समय किया फर्जीवाड़ा पकड़ाया
यूपी में फर्जीवाड़ा कर दारोगा बने एक युवक की कारस्तानी नियुक्ति के सवा तीन साल बाद पकड़ी गई है। हाईकोर्ट के आदेश पर हुई जांच में आरोप सही साबित हुए और केस भी दर्ज हो गया है।

यूपी में दारोगा बनने के सवा तीन साल में ही एक दारोगा की वर्दी उतर गई है। परीक्षा के समय किया गया फर्जीवाड़ा हाईकोर्ट के आदेश पर हुए जांच में सही पाया गया है। दारोगा के खिलाफ केस भी हो गया है। मुकदमा उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के निरीक्षक ने ऑनलाइन दर्ज कराया था। सेंटर आगरा के सिकंदरा थाने में था। ऐसे में विवेचना सिकंदरा पुलिस को मिली है। इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार ने निर्भय सिंह जादौन के खिलाफ सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मुकदमा लिखाया है।
मुकदमे में लिखाया गया है कि उप निरीक्षक नागरिक पुलिस, प्लाटून कमांडर पीएसी, अग्निशमन विभाग के लिए वर्ष 2020-21 में लिखित परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती हुई थी। निर्भय सिंह जादौन ने भी आवेदन किया था। उसका सेंटर सिकंदरा क्षेत्र में यूपीएसआईडीसी लाइफ लाइन पब्लिक स्कूल स्थित यश इनफोटिक ऑनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर में पड़ा था। सुबह नौ से 11 की पाली में उसने परीक्षा दी थी। चयनित हुआ। मेडिकल के बाद ट्रेनिंग हुई और तैनाती मिल गई।
लखनऊ हाईकोर्ट में संदीप परिहार व 28 अन्य नाम से एक याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिए। आदेश के तहत चयनित अभ्यर्थी निर्भय सिंह जादौन के अंगुष्ठ छाप का मिलान कराया जाना था। निर्भय सिंह जादौन का परीक्षा केंद्र पर और मेडिकल के समय बायोमेट्रिक हुआ था। भर्ती के बाद उसकी अंगुष्ठ छाप ली गई। पूर्व में हुए बायोमेट्रिक के साथ नई छाप को मिलान के लिए अंगुली चिन्ह ब्यूरो लखनऊ भेजा गया। बायोमेट्रिक मैच नहीं हुए। साफ हो गया कि परीक्षा किसी और ने दी थी।
भर्ती होने के लिए निर्भय सिंह जादौन ने अपने स्थान पर किसी और को परीक्षा देने भेजा था। यह मानते हुए मुकदमा लिखाया गया है। एसीपी हरीपर्वत आदित्य ने बताया कि विवेचना के दौरान आरोपित से यह पूछा जाएगा कि उसके बदले परीक्षा देने कौन आया था। इस मामले में उसे भी आरोपित बनाया जाएगा। दोनों के खिलाफ साक्ष्यों के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।