जेई सस्पेंड, एई और अधिशासी अभियंता पर लटकी कार्रवाई की तलवार, जानें पूरा मामला
चकाचक हाटा-गौरीबाजार-रुद्रपुर मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर मंगाए गए छह करोड़ रुपये के बजट के मामले में लोक निर्माण विभाग के जेई को शनिवार की देर शाम निलंबित कर दिया गया जबकि अब एई व अधिशासी अभियंता पर कार्रवाई करने की तैयारी है।

चकाचक हाटा-गौरीबाजार-रुद्रपुर मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर मंगाए गए छह करोड़ रुपये के बजट के मामले में लोक निर्माण विभाग के जेई को शनिवार की देर शाम निलंबित कर दिया गया जबकि अब एई व अधिशासी अभियंता पर कार्रवाई करने की तैयारी है। इनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजे जाने की बात कही जा रही है। उधर लोक निर्माण विभाग कार्यालय देवरिया में तैनात एक लिपिक का भी वीडियो वायरल होने के बाद उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है। कप्तानगंज-हाटा-गौरीबाजार-रुद्रपुर मार्ग के चौड़ीकरण तथा हाटा-गौरीबाजार-रुद्रपुर मार्ग के सुदृढीकरण के लिए हाल ही में छह करोड़ का प्रस्ताव बनाकर कर्मचारियों ने शासन से बजट भी मंगा लिया। जबकि यह सड़क पहले ही बन चुकी है।
इसका खुलासा होने के बाद एक माह पहले विभाग ने बजट को शासन को वापस कर दिया। साथ ही मंडलीय अधीक्षण अभियंता गोरखपुर ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। मिली जानकारी के अनुसार जांच में जेई राम गणेश पासवान, एई व अधिशासी अभियंता भी दोषी पाए गए हैं। जेई राम गणेश पासवान को लोकनिर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष मुकेश चंद शर्मा ने निलंबित कर दिया है। साथ ही उन्हें गोरखपुर के चीफ इंजीनियर कार्यालय से जेई को संबद्ध कर दिया गया है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अजय चौहान ने एई व अधिशासी अभियंता के विरुद्ध कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी है।
यह है पूरा मामला
वर्ष 2015 में कप्तानगंज से रुद्रपुर तक 50 किमी सड़क बनाने के लिए लोकनिर्माण विभाग ने टेंडर किया। इसमें गौरीबाजार से रुद्रपुर तक के हिस्से का टेंडर जय शक्ति कंस्ट्रक्शन को मिला। उस समय इसका बजट लगभग 16 करोड़ रुपये था। काम शुरू हो गया और सड़क का एक हिस्सा उसी समय बन गया। उस दौरान सड़क के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने फंडिंग कर दी। जय शक्ति कंस्ट्रक्शन ने जितना काम किया था, उसका 10 करोड़ रुपये का बिल भुगतान कर दिया गया। बाकी रुपये सरकार को सरेंडर कर दिए गए। इस बीच एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इस सड़के लिए 38 करोड़ 64 लाख 20 हजार रुपये जारी किए। इस राशि से लोक निर्माण विभाग ने 2022 में सड़क का निर्माण पूरा किया। अब दस साल बाद 2015 के बांड को खोलकर तथ्यों को छुपाते हुए बचे हुए 6 करोड़ रुपये की डिमांड देवरिया से लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भेज दी। इसका बजट भी आ गया। बाद मामला खुला तो आनन-फानन में उसे शासन को लौटा दिया गया। विभागीय जानकारों का कहना है कि काम पहले से हो चुका था। इस बजट का बंदरबाट करने की तैयारी थी लेकिन उसी दौरान पोल खुल जाने से मामला बिगड़ गया।
वायरल वीडियो के मामले में हो सकती है लिपिक पर कार्रवाई
लोक निर्माण विभाग के एक लिपिक का वीडियो इस प्रकरण पर वायरल हो गया है। जिसमें उसने कहा है कि किसी की औकात नहीं, जो उसके ऊपर कार्रवाई का ठीकरा फोड़ दें। अधीक्षण अभियंता समेत अन्य अधिकारियों को शासन तक पहुंचा दूंगा। हम शासन से जुड़े हुए हैं। वीडियो वायरल होने के बाद विभाग में खलबली मच गई है। जानकारों का कहना है कि इसके विरुद्ध भी कार्रवाई करने की तैयारी है।
सपा मुखिया ने भी इसको लेकर किया था ट्वीट
सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से लिखा है कि जब भाजपाई विधायक जी को नहीं मिला हिस्सा, तब ही खुला किस्सा! भ्रष्टाचार की परतों पर छिपी भाजपाई चोरी तभी खुलती है, जब बंटवारे को लेकर झगड़ा होता है। भाजपाईयों ने हर विभाग को, ऊपर से लेकर नीचे तक, भ्रष्टाचार के जाल में फंसा रखा है, जो ईमानदार बाबू या अधिकारी हैं, वह भाजपाई मेगा-करप्शन के इस मेगा-नेटवर्क में बहुत घुटन महसूस कर रहे हैं। जो भाजपाई विधायक बड़े मासूम बनकर कह रहे हैं कि ये सिर्फ छोटे कर्मचारियों की मिलीभगत से संभव नहीं है, बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, तो उन्हें अपनी बात पूरी करते हुए ये भी कहना चाहिए कि ये गोरख धंधा सिर्फ भाजपाई विधायक के स्तर पर संभव नहीं है।