यूपी में डीएल के लिए अब नहीं चल सकेगा जुगाड़, यह करना जरूरी, वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी
यूपी में अब डीएल के लिए जुगाड़ तकनीक नहीं चल सकेगी। अभी तक बिना गाड़ी चलाकर दिखाए लाइसेंस बन जाते थे। अब नई व्यवस्था में ऐसा नहीं हो सकेगा। गाड़ी चलाकर दिखाना होगा। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी। सभी आरटीओ में जल्द ही यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।

यूपी में डीएल यानी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं चल सकेगा। अब बिना गाड़ी चलाकर दिखाए लाइसेंस नहीं बन सकेगा। ड्राइविंग टेस्ट की अब वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाएगी। अभी तक जुगाड़ होने पर बिना गाड़ी चलाने का टेस्ट दिए ही लाइसेंस की औपचारिकताएं पूरी कर दी जाती है। इसमें दलाल आवेदक से मोटी रकम वसूलते हैं। इस नई व्यवस्था से दलालों के इस कृत्य पर रोक लगेगी। साथ ही अपात्र लोगों का स्थाई लाइसेंस नहीं बन सकेगा।
परिवहन विभाग में कुछ समय पहले लर्निंग लाइसेंस बनवाने समेत 51 सेवाएं ऑनलाइन कर दी गई थी। इससे काफी हद तक आरटीओ कार्यालयों में दलालों पर रोक लग गई थी। हालांकि इसमें भी साइबर कैफे संचालक लनिंग लाइसेंस बनवाने के लिए दलाल की भूमिका निभाने लगे थे। यह इस समय भी बेरोक-टोक चल रहा है। लर्निंग लाइसेंस की अवधि छह महीने होती है। नियम के मुताबिक, लर्निंग लाइसेंस के एक महीने पूरा होने से लेकर छह महीने का समय खत्म होने तक आवेदन अपने लाइसेंस को स्थाई लाइसेंस में बदलवा सकता है।
स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन को एआरटीओ कार्यालय जाकर वहां टेस्ट देना होता है। इस टेस्ट में आवेदक से गाड़ी चलवा कर देखा जाता है। कई बार लोग दो पहिया वाहन ही चलाकर दिखाते थे और उनका चार पहिया गाड़ी चलाने का लाइसेंस भी बन जाता था। इस व्यवस्था पर रोक लगाने के लिए ही टेस्ट की वीडियो रिकार्डिंग कराने की कवायद शुरू कर दी गई है। इससे अगर कोई शिकायत आती है तब और कुछ शंका होने पर एआरटीओ इस रिकार्डिंग को देखकर असलियत जान सकता है। पूर्व परिवहन आयुक्त चन्द्रभूषण सिंह ने सबसे पहले इस व्यवस्था को लागू करने को कहा था। पर, कई कारणों से इसमें विलम्ब हो गया था।
माना जाता है कि सबसे ज्यादा मौतें रोड एक्सीडेंट में ही हो रही हैं। इसका भी बड़ा कारण भी ड्राइविंग को लेकर लापरवाही ही मानी जाती है। तमाम लोगों के पास ज्यादा अनुभव नहीं होता और सीखने के दौरान ही हाइवे आदि पर गाड़ी दौड़ाने लगते हैं। इससे भी हादसे हो रहे हैं। इसे रोकने की भी कई पहल सरकार की तरफ से की गई है।