Kaptanganj Sugar Mill Faces Challenges Ahead of New Crushing Season बकाया भुगतान के बाद अब बंद चीनी मिल को चलाना चुनौती, Kushinagar Hindi News - Hindustan
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बकाया भुगतान के बाद अब बंद चीनी मिल को चलाना चुनौती

Kushinagar News - कप्तानगंज चीनी मिल ने किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया है, लेकिन अब मिल को फिर से चालू करने की चुनौती है। मिल को अगले पेराई सत्र से पहले मेंटीनेंस और मशीनों के रिप्लेसमेंट के लिए 25...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरTue, 3 June 2025 08:14 AM
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बकाया भुगतान के बाद अब बंद चीनी मिल को चलाना चुनौती

कुशीनगर। पिछले तीन पेराई सत्र से बंद कप्तानगंज चीनी मिल ने वर्षों से किसानों के बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान तो कर दिया मगर अब नये सिरे से चीनी मिल को चलाना चुनौती होगी। मिल नये पेराई सत्र से मिल चलाने का दावा किया है। उधर गन्ना मुल्य भुगतान का श्रेय लेने में सत्त पक्ष के साथ ही विपक्ष भी जुट गया है। गन्ना किसानों के बकाये के कारण तीन वर्षों से कप्तानगंज की चीनी बंद पड़ी रही। तकनीकी जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ के मुताबिक 20 से 25 करोड़ की रकम कल पुर्जों के रिप्लेसमेंट और मेंटीनेंस कार्य में लगने की उम्मीद है।

चीनी मील के कल पुर्जों को संचालित करने के साथ इससे जुड़ी अदृश्य समस्याएं भी काफी मात्रा में हैं, जिन्हें पुन: पटरी पर लाना होगा। मिल का बॉयलर, बॉयालिंग हाउस, पाइप लाइन समेत दर्जनों अन्य मशीनरियां विभाग को दुरुस्त करनी होंगी। चीनी मिल के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश सक्सेना ने बताया कि किसानों का बकाया मिल मालिक द्वारा कर्ज लेने के साथ अपनी संपत्ति बेचकर चुका दिया गया है। अब हमारी अगली चुनौती मिल को अगले सत्र से पहले एक बार पुनः चलाने के लिए मेंटीनेंस और रिपेयरिंग पूरा कर लेने की है। मिल चलाने के लिए हमें मेंटीनेंस और मशीनों के रिप्लेसमेंट में करीब 25 करोड़ की पूंजी के अलावा वर्किंग कैपिटल की भी व्यवस्था भी करनी पड़ रही है। इसके साथ ही मिल चलाने के लिए शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था करनी होगी। कप्तानगंज चीनी मिल पर इसके साथ ही डीआरडी में पहले से लोन रिकवरी का मुकदमा चल रहा है। कुल मिलाकर चीनी मिल के दोबारा संचालित होने का रास्ता आसान नहीं दिख रहा। मिल चालू रहने की स्थिति में प्रतिवर्ष बरसात बाद मेंटीनेंस का कार्य शुरू हो जाता था, लेकिन 3 वर्षों से बंद होने की वजह से इस बार इस कार्य में दोगुना समय लगने की उम्मीद है। इस समय अधिकतम 10 से 12 कर्मचारी अधिकारी और 18 से 20 सिक्योरिटी कर्मचारी बचे हैं। मिल चालू रहने की स्थिति में इनकी संख्या 1000 के करीब होती थी, जबकि कप्तानगंज चीनी मील से जुड़े किसानों की संख्या 30 हजार थी। कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि नयी नियुक्ति के लिए नए विज्ञापन प्रकाशित हो चुके हैं। फंड मैनेजमेंट किया जा रहा है। इसके साथ ही वर्कर कर्मचारी और अधिकारियों की तैनाती कर ली जाएगी।

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