पांच साल में आकार नहीं ले पाया 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल
Kushinagar News - कुशीनगर में 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल बनाने की अनुमति पांच साल पहले मिली थी, लेकिन जमीन न मिलने के कारण निर्माण रुका हुआ है। जिले में 42 आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हैं, लेकिन नए अस्पताल के निर्माण...

कुशीनगर। जिले में 50 बेड का एक राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया जाना है। इसकी शासन से अनुमति मिल चुकी है, लेकिन जमीन न मिलने के कारण अस्पताल नहीं बन पा रहा है। वैसे तो जिले भर में 42 राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली से और अधिक लोगों को लाभांवित करने के लिए जनपद मुख्यालय पर 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया जाना है। पांच साल पहले इसकी अनुमति मिलने के बाद से जमीन तलाशी जा रही है, लेकिन जमीन न मिलने के कारण यह आयुर्वेदिक अस्पताल आकार नहीं ले पा रहा है। हालांकि, विभागीय स्तर पर कई बार पत्राचार किया गया है, लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं मिल रहा है।
------- चार-चार बेड के आयुर्वेदिक अस्पतालों का चल रहा निर्माण- आयुर्वेदिक अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की दिशा में शासन स्तर से प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में चार-चार बेड के अन्य अस्पतालों के निर्माण की स्वीकृति भी मिली है। इनमें एक खड्डा में बन गया है। कुशीनगर में नींव डाली गई है। एक आयुर्वेदिक अस्पताल पड़री पिपरपाती में भी बन रहा है। इनमें प्रत्येक की लागत लगभग 29 लाख रुपये बताई जा रही है। इसी तरह सकरौली में बने आयुर्वेदिक अस्पताल में 20 लाख रुपये की लागत से चहारदीवारी का निर्माण कराया जा रहा है। जनपद मुख्यालय पर 50 बेड का एक आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया जाना है। पांच साल पहले ही इसकी स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन जमीन न मिलने के कारण निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसके लिए कई बार पत्राचार किया गया है। इसके अलावा जिले के विभिन्न हिस्सों में चार-चार बेड के तीन आयुर्वेदिक अस्पतालों का निर्माण चल रहा है तथा एक की चहारदीवारी बनवाई जा रही है। डॉ. दयाशंकर वर्मा, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, कुशीनगर
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