बीपी मापने में फेल हैं झोलाछाप डॉक्टर, किसी को बना देते मरीज
Kushinagar News - कुशीनगर में हाईपरटेंशन तेजी से बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण तनावपूर्ण जीवनशैली और अनियमित खानपान है। इसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते। विशेषज्ञों के अनुसार,...

कुशीनगर। हाईपरटेंशन मौजूदा समय में तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इसकी बड़ी वजह तनावपूर्ण जीवनशैली, अनियमित दिनचर्या, बढ़ती उम्र, नशीली वस्तुओं का सेवन और खानपान में लापरवाही बताई जा रही है। हाईपरटेंशन एक साइलेंट किलर है, जो बिना लक्षण के दिल, किडनी और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। आज की तारीख में गांव से लेकर छोटे-बड़े चौराहों पर झोलाछाप सक्रिय हैं, जो गुमटी या दुकानों में अपनी क्लीनिक खोलकर इलाज कर रहे हैं, लेकिन इनमें अधिकांश सही मायने में मैनुअल मशीन से बीपी तक ठीक से नहीं माप पाते। झोलाछाप की लापरवाही से मरीजों की हालत बिगड़ने या मौत की घटनाएं अक्सर सामने आ रही हैं।
हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के प्रति जागरूक करना है। क्योंकि हाइपरटेंशन दिल, किडनी और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। जिले में बीते कुछ वर्षों से उच्च रक्तचाप के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। जिले के मेडिकल कॉलेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा निजी अस्पतालों में आने वाले हर 10 मरीज में से 3 में हाई बीपी की समस्या पाई जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बढ़ती उम्र, अनियमित दिनचर्या, तंबाकू और शराब का सेवन, खानपान में लापरवाही व तनाव इसके प्रमुख कारण हैं। क्या है हाईपरटेंशन? हाईपरटेंशन अर्थात हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो दिल का दौरा, लकवा (स्ट्रोक), किडनी फेल होना जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। नॉर्मल बीपी कितना होना चाहिए? एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 एमएमएचजी होता है। 120 = सिस्टोलिक (दिल की धड़कन के समय का दबाव) 80 = डायस्टोलिक (दिल के आराम की स्थिति में दबाव) कैसे बचें हाईपरटेंशन से? -रोजाना 30 मिनट वॉक या व्यायाम करें। -नमक का सेवन सीमित करें। -धूम्रपान और शराब से बचें। -फल, सब्जियां और फाइबरयुक्त आहार लें। -तनाव से बचें, ध्यान और योग करें। -नियमित रूप से बीपी की जांच कराएं। हाईपरटेंशन के लक्षण- हाई बीपी को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है। क्योंकि कई बार इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ लोगों में ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं। ऐसी स्थिति में लगातार सिर दर्द, चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द या घबराहट, सांस फूलना, नाक से खून आना (कभी-कभी), थकावट या चिड़चिड़ापन देखने को मिल सकता है। दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं? अगर हाई बीपी का समय पर इलाज न हो, तो यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। जैसे दिल पर असर, दिल का दौरा (हार्ट अटैक), हार्ट फेलियर, मस्तिष्क पर असर, लकवा (स्ट्रोक), याददाश्त में कमी, किडनी पर असर, किडनी फेल होना, आंखों पर असर, दृष्टि कमज़ोर होना या अंधापन, रक्त वाहिकाओं पर असर, धमनी फटने का खतरा (एन्यूरिज़्म)। हाईपरटेंशन सुनामी की तरह लोगों को जकड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि लोग खानपान अधिक ले रहे हैं, लेकिन मेहनत कम कर रहे हैं। इससे शरीर में एनर्जी ज्यादा बन रही है, इसके सापेक्ष काम कम किया जा रहा है। सेच्युरेटेड फैट्स खाने से नसें कड़ी हो रही हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन रही हैं। इसे मापने के लिए आजकल डिजिटल बीपी मशीनें आ गई हैं, जिसे लोग अपनी सुविधानुसार घर या क्लीनिक में रख रहे हैं, लेकिन सही बीपी मैनुअल बीपी मशीन (सिग्मोमेनोमीटर) से ही पता चलता है। डॉ. अजय शुक्ल, वरिष्ठ चिकित्सक, पडरौना
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