Dudhwa Tiger Reserve Discovers Rare Codanurus Sand Snake - First Record in Uttar Pradesh दुधवा में पहली बार पाया गया दुलर्भ कॉडानारस सैंड स्नेक , Lakhimpur-khiri Hindi News - Hindustan
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दुधवा में पहली बार पाया गया दुलर्भ कॉडानारस सैंड स्नेक

Lakhimpur-khiri News - दुधवा टाइगर रिजर्व में पहली बार कॉडानारस सैंड सांप की पहचान की गई है। यह सांप मृत अवस्था में पाया गया था, और इसकी पहचान बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी ने की। यह प्रजाति उत्तर प्रदेश में पहले कभी नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीMon, 5 May 2025 11:10 PM
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दुधवा में पहली बार पाया गया दुलर्भ कॉडानारस सैंड स्नेक

पलियाकलां। दुधवा टाइगर रिजर्व अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। साथ एक और उपलब्धि जुड़ गई है। पार्क में गैंडों के खुले विचरण वाले क्षेत्र में दुधवा व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने एक मृत सांप को देखा जिसकी पहचान बाद में कॉडानारस सैंड सांप के रुप में की गई। सांप की यह प्रजाति प्रदेश में पहली बार देखी गई है। इससे पहले इस सांप के यहां पाए जाने का कोई रिकार्ड नहीं है। दुधवा के बायोलाजिस्ट अपूर्व गुप्ता, जूनियर असिस्टेंट सुशांत सिंह और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रतिनिधि रोहित रवि जंगल के मार्ग पर गश्त कर रहे थे। टीम को एक मृत सांप घास के पास दिखाई दिया।

सांप पेट की ओर उल्टा पड़ा था। उसकी चमकदार धारियों तथा विशेष शरीर संरचना ने टीम का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद सावधानीपूर्वक निरीक्षण के बाद टीम ने सभी कोणों से सांप की तस्वीरें खींचीं। बाद में इन तस्वीरों को वैज्ञानिक पहचान के लिए विपिन कपूर सैनी को भेजा गया। बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी ने तस्वीरों का हर पहलू से विश्लेषण करते हुए उसकी पहचान कॉडानारस सैंड स्नेक प्रजाति के रूप में की। सांप की विशेषता यह एक मध्यम विषैला, दिनचर और तीव्रगामी कोलुब्रिड प्रजाति का सांप है। यह मुख्यत: छिपकलियों और छोटे स्तनधारियों का शिकार करता है। यह आमतौर पर शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है और भारत के उत्तर पश्चिमी प्रायद्वीपीय हिस्सों, नेपाल और पाकिस्तान में इसका उल्लेख मिलता है। उत्तर प्रदेश में अब तक इस प्रजाति का कोई फोटोग्राफिक रिकार्ड उपलब्ध नहीं था। जैविक तंत्र का संरक्षण जरूरी दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक डॉ. रंगाराजू टी ने बताया कि हमारी फील्ड टीम द्वारा दुर्लभ सांप की प्रजाति को खोजना दुधवा की निगरानी प्रणाली की संवेदनशीलता को दर्शाता है। कॉडानारस सैंड स्नेक जैसी प्रजातियां कम चर्चित हैं, लेकिन पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह रिकॉर्ड इस बात का प्रमाण है कि दुधवा में निरंतर नई प्रजातियां सामने आ रही हैं और यह क्षेत्र शोधकर्ताओं के लिए एक प्रयोगशाला बनता जा रहा है। फील्ड डायरेक्टर डॉ. एचराजा मोहन ने बताया कि बीते दो वर्षों में हमारी टीम और सहयोगी संस्थाओं ने प्रदेश में चार प्रजातियों का पहला रिकार्ड प्रस्तुत किया है। जिसमें यह कॉडानारस सैंड स्नेक भी शामिल है। यह हमारे संरक्षण के प्रति समर्पण और वैज्ञानिक प्रयासों की सफलता का परिचायक है। हमारी प्राथमिकता न केवल बड़ी प्रजातियां हैं बल्कि उन सभी जीवों का संरक्षण है जो इस जैविक तंत्र को जीवित रखते हैं।

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