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बिहार, झारखंड, बंगाल, असम के मजदूरों के बच्चों का लखनऊ में बिना आधार एडमिशन नहीं

  • लखनऊ के सरकारी स्कूलों में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम समेत दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूरों के बच्चों को आधार कार्ड के बिना दाखिला नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों का स्थायी आवास नहीं है तो आवासीय प्रमाण पत्र भी नहीं है।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, सुशील सिंह, लखनऊSat, 5 April 2025 08:27 PM
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बिहार, झारखंड, बंगाल, असम के मजदूरों के बच्चों का लखनऊ में बिना आधार एडमिशन नहीं

प्राइमरी स्कूलों में बिना आधार वाले बच्चों के दाखिले का संकट गहरा गया है। कई स्कूलों ने बिना आधार वाले बच्चों का दाखिले देने मना कर दिया है। अभिभावकों को 15 दिन में आधार बनवाकर देने की शर्त पर बच्चों को स्कूल में सिर्फ बैठने की इजाजत दे रहे हैं लेकिन दाखिला तभी देंगे जब आधार बनाकर देंगे। दूसरे जिलों और राज्यों से आए मजदूरों के पास निवास और जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने से बच्चों का आधार बनने में अड़चनें आ रही है। नए सत्र के तीन दिन में स्कूलों में बिना आधार वाले करीब 200 बच्चे दाखिले के लिये पहुंचे हैं लेकिन इनके दाखिले अभी नहीं हुए हैं। बीते वर्ष 15 हजार से अधिक बच्चों के आधार नहीं बने होने से अपार आईडी, यू डायस और डीबीटी के तहत यूनीफार्म का पैसा इन्हें मिला था।

लखनऊ में 1619 प्राइमरी स्कूल संचालित हो रहे हैं। 1 अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया। विभागीय अधिकारी बच्चों के दाखिले बढ़ाने के लिये शिक्षकों से स्कूल चलो अभियान और प्रभात फेरी करने कह रहे हैं। अभिभावक दाखिला दिलाने स्कूल आ रहे हैं लेकिन आधार नहीं होने से शिक्षक इनका नाम लिखने से मना कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यदि बच्चों को दाखिला दे दिया तो अपार आईडी और यू डायस पर एंट्री कैसे करेंगे। इससे असमंजस की स्थिति बन रही है।

वेतन रोकने से शिक्षकों में भारी आक्रोश

बिना आधार छात्र-छात्राओं को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। फरवरी महीने में अपार आईडी नहीं बनने पर बीएसए ने शिक्षकों को वेतन रोक दिया था। इससे शिक्षकों में भारी आक्रोश है। यही वजह है कि बिना आधार वाले बच्चों के दाखिले नहीं ले रहे हैं।

बाहर से आए मजदूरों के पास आधार नहीं

गोमती नगर स्थित कम्पोजिट स्कूल की प्रधानाध्यापिका का कहना है कि हर रोज दो से तीन बच्चे दाखिले के लिये आ रहे हैं। जिन बच्चों के आधार नहीं हैं, ऐसे अभिभावकों को 15 दिन में आधार बनवाकर देने की शर्त पर बच्चों को स्कूल में बैठने की इजाजत देते हैं। जो आधार बनाकर देने में असमर्थता जताते हैं, उनके बच्चों को स्कूल में नहीं बैठने देते हैं। बाहर से आए मजूदरों के बच्चों के पास आधार नहीं हैं। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, पश्चिम बंगाल समेत यूपी के दूसरे जिलों से आए मजदूर भारी संख्या में लखनऊ में रह रहे हैं। इनके बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र और आधार नहीं बने हैं।

पार्षद और प्रधान भी नहीं लिखकर देते पत्र

मजूदरों का स्थायी निवास नहीं होने की वजह से पार्षद और प्रधान भी आवास प्रमाण पत्र के लिए लिखकर नहीं देते हैं। इससे इनके आगे निवास और जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में अड़चन आ रही है। फिर आधार भी नहीं बन पा रहा है। इनके बच्चों के दाखिले नहीं हो पा रहे हैं। लखनऊ मंडल के बेसिक शिक्षा के सहायक निदेशक श्याम किशोर तिवारी ने कहा कि प्रत्येक बीआरसी पर 6 से 14 वर्ष के बच्चों के आधार बनाने की व्यवस्था है। दाखिला लेने वाले जिन बच्चों के आधार नहीं बने हैं, स्कूलों के प्रधानाध्यापक अभिभावकों की मदद से इन बच्चों के आधार बनवा रहे हैं।

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा है कि पहले आधार बनाना और संशोधन आसान था। अभिभावक से शपथ पत्र बनवाकर प्रधानाध्यापक की संस्तुति पर आधार बन जाता था। अब जन्म प्रमाण पत्र के बिना आधार नहीं बन पा रहे हैं। इसे सरल करना चाहिए।