आपसी विवाद में 100 करोड़ का टेंडर निरस्त, कूड़ा प्रबंधन को झटका
Lucknow News - पार्षदों के विरोध और अनियमितताओं के आरोपों के चलते निरस्त किया गया टेंडर अब अदालत

राजधानी में कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। नगर निगम द्वारा प्रस्तावित 100 करोड़ से प्रस्तावित कूड़ा ट्रांसफर स्टेशनों (पीसीटीएस) का टेंडर निरस्त कर दिया गया है। पार्षदों और महापौर के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोपों के चलते इसे निरस्त किया गया। टेंडर निरस्त करने के बाद अब मामला अदालत पहुंच गया हैं। कई पार्षदों ने आरोप लगाया कि जिन कंपनियों ने टेंडर डाले थे, उनके निदेशक आपस में जुड़े हुए थे। महज 28 दिन में टेंडर आमंत्रित करने से लेकर कंपनी के साथ अनुबंध तक की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इंजीनियरों और अधिकारियों ने मिलकर मनमाने ढंग से टेंडर आवंटन कराया था। भाजपा पार्षद प्रमोद सिंह राजन ने कहा, टेंडर प्रक्रिया में काफी अनियमितता बरती गई थी, इसलिए इसका विरोध किया गया और अंततः टेंडर रद्द कर दिया गया।
झगड़े की वजह से अटका कूड़ा प्रबंधन
महापौर और पार्षदों के बीच लगातार खींचतान से राजधानी की कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था पहले ही पटरी से उतरी हुई है। ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण न होने से कचरे का कुशलतापूर्वक संग्रहण और निस्तारण नहीं हो पा रहा है। पूर्व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के कार्यकाल में इस परियोजना का टेंडर कराया गया था, लेकिन विवादों के कारण उन्हें इसे निरस्त करना पड़ा।
15 दिन में काम शुरू न करने का बहाना बनाकर रद्द किया टेंडर
नगर निगम के अधिकारियों ने टेंडर निरस्त करने के लिए यह तर्क दिया कि जिस कंपनी को काम सौंपा गया था, वह 15 दिन बीतने के बाद भी साइट पर काम शुरू नहीं कर सकी। निरीक्षण में मौके पर कोई सामग्री या गतिविधि नजर नहीं आई, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि कंपनी काम में रुचि नहीं दिखा रही है। इसी आधार पर रिपोर्ट बनाकर टेंडर रद्द कर दिया गया।
अब अदालत से प्रकरण निपटाने के बाद होगा निर्माण
नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान के अनुसार, पुराना टेंडर निरस्त कर दिया गया है। टेंडर निरस्त होने के बाद कंपनी अदालत चली गई है। अब आगे अदालत के आदेश पर ही कार्यवाही होगी।
ट्रांसफर स्टेशन के अभाव में बाधित है कूड़ा निस्तारण।
प्रस्तावित योजना के तहत जोन-1, 3, 4, 6 और 7 में ट्रांसफर स्टेशन बनाए जाने थे। कुल 32 पीसीटीएस का निर्माण होना है। इन स्टेशनों के जरिये कूड़ा सीधे प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाया जाना था, जिससे गाड़ियों का समय, खर्च और प्रदूषण तीनों में कमी आती। अब टेंडर निरस्त होने से यह पूरा सिस्टम ठप हो गया है और शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिख रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, ट्रांसफर स्टेशन के बनने तक कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था को पटरी पर लाना मुश्किल रहेगा। हर दिन निकलने वाले हजारों टन कूड़े का समय से संग्रहण और निस्तारण बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
कोट
इस मामले में अदालत से आदेश हुआ है। लेकिन अभी अपलोड नहीं हुआ है। अब आगे अदालत के आदेश के हिसाब से ही काम किया जाएगा।
- मनोज प्रभात, मुख्य अभियंता, नगर निगम आर आर विभाग
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