Eid-ul-Azha Celebrated with Faith and Sacrifice in Lucknow ईद-उल-अजहा पर अमन, तरक्की के लिए उठे हजारों हाथ, Lucknow Hindi News - Hindustan
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ईद-उल-अजहा पर अमन, तरक्की के लिए उठे हजारों हाथ

Lucknow News - ईद-उल-अजहा का पर्व लखनऊ में शांति और सादगी के साथ मनाया गया। सभी ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज अदा की गई और देश की सलामती की दुआ की गई। लोग एक-दूसरे को बधाई देते रहे और कुर्बानी का सिलसिला सूरज डूबने...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 8 June 2025 07:18 PM
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ईद-उल-अजहा पर अमन, तरक्की के लिए उठे हजारों हाथ

नमाज अदा कर अल्लाह की राह में पेश की कुर्बानी अकीदत और एहतेराम के साथ मनाया गया ईद उल अजहा का पर्व लखनऊ, कार्यालय संवाददाता। ईद-उल-अजहा पर्व शांति, सादगी, मुहब्बत, अकीदत के साथ शनिवार को मनाया गया। शहर के सभी ईदगाहों व मस्जिदों में नमाज अदा की गई और देश के अमन, सलामती, तरक्की, भाईचारे की दुआएं की गईं। लोगों ने गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद दी। ऐशबाग ईदगाह में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और आसिफी मस्जिद (बड़ा इमामबाड़ा ) में मौलाना कल्बे जवाद ने नमाज अदा कराई। इसके साथ नदवतुल उलमा, टीले वाली मस्जिद, जामा मस्जिद तहसीनगंज समेत शहर की सभी मस्जिदों ईद अजहा की नमाज हुई।

इस मौके पर डॉ. दिनेश शर्मा और विभिन्न राजनेताओं, अधिकारियों ने ईदगाह आकर ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद पेश की। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कुर्बानी को इस्लाम का अभिन्न अंग बताया। आसिफी मस्जिद में मौलाना कल्बे जवाद ने कहा ईद उल अजहा पर हमें सिर्फ जानवरों की कुर्बानी नहीं अपने अहंकार की कुर्बानी देनी चाहिए। नमाज के लिए चल पड़े ईदगाह और मस्जिद ईद-उल-अजहा की नमाज के लिए लोग सुबह से ही तैयार होने लगे। बच्चों व बड़ों ने नए कपड़े पहने। सिर पर टोपी पहनी। चल पड़े ईदगाह व मस्जिद की ओर। जबान पर तकबीरे तशरीक की सदा थी। रंग-बिरंगी, सफेद पोशाकों से हर ओर खुशनुमा नजारा था। तय समय पर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई। खुतबा पढ़ा गया। दुआ मांगी गई। ईद-उल-अजहा मुबारक की सदाएं हर ओर गूंजने लगी। छोटे से लेकर बड़ों ने एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दी। ईदगाह, मस्जिद व कुर्बानीगाह के पास काफी चहल पहल रही। सभी तकबीरे तशरीक पढ़ते हुए घर वापस हुए। नमाज के बाद हुई कुर्बानी नमाज के बाद कुर्बानी का दौर शुरू हुआ। उलेमाओं की अपील का असर दिखा और कहीं भी खुले में कुर्बानी नहीं हुई। सभी ने पैगंबर हजरत इब्राहीम व पैगंबर हजरत इस्माइल की कुर्बानी को याद करते हुए परम्परा के अनुसार कुर्बानी की अदा की। कुर्बानी का सिलसिला सूरज डूबने तक चलता रहा। इससे पहले जानवरों को सजाया गया। अल्लाह की बारगाह में कुर्बानी के कबूल होने की दुआ मांगी गई। रविवार को भी कुर्बानी हुई और सोमवार को भी कुर्बानी होगी। घरों में महकी पकवानों की खुशबू ईद-उल-अजहा की खुशियों में चार-चांद लगाने में मुस्लिम महिलाएं दिलो जान से लगी रहीं। रात में ही ईद-उल-अजहा के पकवानों का सामान तैयार किया। मेंहदी लगाई। सुबह उठकर फज्र की नमाज पढ़ी। बच्चों के साथ घर के अन्य लोगों को तैयार करवाया। फिर जुटीं सेवईयां बनाने में। सेवईयां बन गई तो मटर, दही बड़ा व सुबह का नाश्ता तैयार किया। इसके बाद कुर्बानी की तैयारी शुरु की। कुर्बानी हो गई तो गोश्त की तक्सीम तक जुटी रहीं। जब यह काम खत्म हुआ तो महिलाएं पकवान बनाने में जुट गईं। दोपहर से दावत का दौर शुरू हुआ जो पूरे दिन तक चलता रहा।

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