अब ई ट्रैक्टर से खेतों में होगी जुताई
Lucknow News - -दुर्गापुर के सीएमईआरआई ने विकसित की तकनीकी -सीमैप में ई ट्रैक्टर और टिलर के मॉडल

-भारत में बना पहले छोटी कैटगिरी का ई-ट्रैक्टर व टिलर -सब्सिडी के बाद करीब छह लाख रुपये तक होगी कीमत लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता सीएसआईआर की पश्चिम बंगाल स्थित दुर्गापुर शाखा केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने स्वदेशी और सौ फीसदी इलेक्ट्रिक पावर से चलने वाला छोटा ई-ट्रैक्टर विकसित किया है। 11 हार्सपावर का यह ई-ट्रैक्टर न केवल खेतों में जुताई कर सकता है, बल्कि डेढ़ टन तक की ट्राली को 22 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से खींचने में भी सक्षम है। लखनऊ के केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के परिसर में गुरुवार को ई-ट्रैक्टर व ई-टिलर तकनीकी का लाइव प्रदर्शन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ई ट्रैक्टर की नई तकनीकी जल्द ही खेतों तक पहुंच सकेगी। इससे खेती-किसानी में बचत भी होगी। कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल एवं प्रभावी कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना। इस मौके पर सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी भी मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथि एमएसकेएन के एमडी सुधा रेड्डी ने तकनीक हस्तांतरण करते हुए कहा कि ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर की कॉम्पैक्ट डिजाइन है। छह घंटे चार्जिंग पर चार घंटे खेत में काम करेगी भारत के प्रयोगशाला में विकसित ई ट्रैक्टर व ई टिलर घरेलू बिजली से छह से सात घंटे में चार्ज किया जा सकता है। एक बार चार्ज होने पर यह चार घंटे तक पूरे लोड के साथ खेत में काम कर सकता है। इस मॉडल पर बना ई ट्रैक्टर सब्सिडी के बाद करीब छह लाख रुपये कीमत होगी।
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