मुख्यमंत्री से 17 निदेशकों की चयन प्रक्रिया निरस्त कर, जांच की मांग
Lucknow News - पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनियों में 17 निदेशकों के पदों पर जानबूझकर दलित और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया गया। संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस...

- पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने लगाया आरोप कि जानबूझकर दलित और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का नहीं किया गया चयन लखनऊ, विशेष संवाददाता
बिजली कंपनियों में 17 निदेशकों के पदों पर एक भी दलित और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन न किए जाने पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कड़ा ऐतराज जताया है। संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूरी प्रक्रिया निरस्त करके मामले की जांच करवाने की मांग की है। संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाय कि जानबूझकर पिछड़ा और दलित अभ्यर्थियों को चयनित नहीं किया गया।
संगठन के अध्यक्ष आरपी केन और कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन ने पहले तो दलित और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार ही नहीं किया था। उन्हें इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर तक नहीं दिए थे। संगठन के विरोध और पिछड़ा वर्ग आयोग व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह कॉल लेटर दिए गए और इंटरव्यू लेने की औपचारिकता पूरी की गई। हालांकि जैसे पहले मंशा थी, उसी के अनुरूप किसी भी दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी को निदेशक के तौर पर चयनित नहीं किया गया।
निजी कंपनियों के अभ्यर्थियों को बनाया गया डायरेक्टर
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले कंपनी पूर्वांचल और दक्षिणांचल में उन्हीं निजी कंपनियों के अभियंताओं को निदेशक बनाना चाहती थी, ताकि निजीकरण करने में आसानी हो। जो चयनित सूची जारी हुई है, उसमें बड़ी चालाकी से पावर कॉरपोरेशन के इंजीनियरों को बाहर कर निजी कंपनियों के इंजीनियरों को निदेशक बना दिया गया है। दक्षिणांचल में टोरेंट पावर के एक अभ्यर्थी को निदेशक (वित्त) बनाया गया है जबकि बीएसईएस के एक अभ्यर्थी को दक्षिणांचल का निदेशक (टेक्निकल) बनाया गया है। टाटा पावर के अभ्यर्थी को पूर्वांचल में डायरेक्टर (कॉमर्शियल) बनाया गया और बीएसईएस के एक अभ्यर्थी को पावर कॉरपोरेशन का डायरेक्टर (कॉमर्शियल) बनाया गया है। एसोसिएशन ने अंदेशा जताया है कि निजी कंपनियों से निदेशक बनाए गए इंजीनियर अपनी मूल कंपनियों गोपनीय डेटा उपलब्ध करवाएंगे, जिसका इस्तेमाल वे निजीकरण की प्रक्रिया में हिस्सा लेने में करेंगी।
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