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संघ दर्शन से संस्कारित हो रहे हैं भावी आचार्य

Maharajganj News - आनंदनगर कस्बे में सरस्वती विद्या मंदिर में जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई है। 26 मई से 5 जून तक चलने वाली इस कार्यशाला में शिक्षकों को शारीरिक, बौद्धिक और...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजSat, 31 May 2025 12:30 PM
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संघ दर्शन से संस्कारित हो रहे हैं भावी आचार्य

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। आनंदनगर कस्बे में इन दिनों शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रनिष्ठा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। सरस्वती विद्या मंदिर आनंदनगर में आयोजित जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत की प्रांतीय नव-चयनित आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला में शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें राष्ट्र निर्माण की चेतना से भी सशक्त किया जा रहा है। 26 मई से प्रारंभ हुई यह कार्यशाला 5 जून तक चलेगी, जिसमें प्रदेश भर से आए नव-आचार्यों को शारीरिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं वैचारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यशाला के पांचवें दिन जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के अध्यक्ष विनोद कांत मिश्र ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: हमारी प्रेरणा का स्रोत विषय पर प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए न केवल संघ के ऐतिहासिक संदर्भों को स्पष्ट किया, बल्कि भविष्य की दिशा भी रेखांकित की।

उन्होंने संघ की स्थापना, उद्देश्य और शताब्दी वर्ष में होने वाले कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए पंच परिवर्तन जैसे विषयों पर विशेष बल दिया। कहा कि यह केवल प्रशिक्षण नहीं, एक दृष्टिकोण निर्माण की प्रक्रिया है। एक आचार्य जब कक्षा में जाता है, तो केवल ज्ञान नहीं देता है, वह एक विचार संस्कारित करता है। आयोजकों के अनुसार इस शिविर में एक ओर जहाँ आचार्यों के भीतर सांस्कृतिक चेतना का संचार किया रहा है, वहीं दूसरी ओर इन्हें शिक्षा को रोज़गार से उठाकर राष्ट्रधर्म के स्तर पर प्रतिष्ठित करने को प्रेरित किया जा रहा है। कार्यक्रम में सरस्वती विद्या मंदिर, सिकंदरपुर बस्ती के प्रधानाचार्य अशोक मिश्र भी मौजूद रहे। प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख दिवाकर राम त्रिपाठी ने सत्र संचालन करते हुए प्रशिक्षुओं को वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में भारतीयता के पुनर्प्रतिष्ठान की आवश्यकता समझाई। कार्यशाला में बौद्धिक सत्रों के साथ-साथ संघ-योग, गीत, सृजनात्मक गतिविधियाँ, कथा-चर्चा और सांस्कृतिक अभ्यास का क्रम भी जारी है। यहां आचार्यों को केवल शिक्षक नहीं, बल्कि समाज के अग्रदूत के रूप में गढ़ा जा रहा है, जो विद्यालय से बाहर भी मूल्य व विचारों की मशाल थामे रहेंगे।

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