गीता का सार भगवान की शरणागति : जयप्रकाश
Mainpuri News - मैनपुरी। स्वामी एकत्वानंद सरस्वती ज्ञान प्रसार समिति के तत्वावधान में बीती शाम गीता सत्संग गोष्ठी का आयोजन होली पब्लिक स्कूल में हुआ।

स्वामी एकत्वानंद सरस्वती ज्ञान प्रसार समिति के तत्वावधान में बीती शाम गीता सत्संग गोष्ठी का आयोजन होली पब्लिक स्कूल में हुआ। गीता के नवम अध्याय का सामूहिक पारायण, मंगलाचरण, हरिनाम संकीर्तन आदि प्रस्तुत किए गए। अध्यक्षता करते हुए जयप्रकाश मिश्रा ने कहा कि गीता उपनिषदों का सार है और गीता का सार भगवान की शरणागति है। जो प्राणी भगवान की शरणागति में आता है, उसे भगवान सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। मुख्य अतिथि बृजनंदन सिंह टिल्लू ने मां सरस्वती, भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया। संस्थाध्यक्ष भारत भूषण मिश्रा ने कहा कि भगवान भक्त वत्सल्य है।
जो भक्त प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि उन्हें अर्पण करता है, वे सगुण रूप से प्रकरण होकर उसे ग्रहण करते हैं। गीता के नवम अध्याय के प्रसंग में पूर्व प्रधानाचार्य सत्यदेव मिश्रा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मैं सब भूतों में समभाव से व्यापक हूं। सब मुझमें हैं और मैं सबमें हूं। कोई दुराचारी से अनन्य भाव से मुझको भजता है तो वह शीघ्र धर्मात्मा हो जाता है। उर्मिला पांडेय ने गीता पर सुंदर भजन प्रस्तुत किए। गीता आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ गीता संगोष्ठी संपन्न हुई। महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने गीता प्रेमियों को धन्यवाद दिया।
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