Mau s Gender Ratio Crisis Government Campaigns Fail to Curb Female Foeticide पिछले पांच सालों से नहीं बढ़ रहा लिंगानुपात, Mau Hindi News - Hindustan
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पिछले पांच सालों से नहीं बढ़ रहा लिंगानुपात

Mau News - मऊ में लिंगानुपात में सुधार के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन इसके बावजूद बेटियों की भ्रूण हत्या जारी है। पिछले पांच वर्षों में लिंगानुपात में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वर्तमान में 1000 लड़कों...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊSat, 17 May 2025 02:31 AM
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पिछले पांच सालों से नहीं बढ़ रहा लिंगानुपात

मऊ। सरकार लड़कियों की दिशा-दशा सुधारने के लिए पिछले कुछ वर्षों से सरकारी स्तर पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कई महत्वपूर्ण अभियान चला रही है। फिर भी बेटियां जन्म लेने से पहले कोख में मौत के घाट उतारी जा रही है। हाल यह है कि मऊ में बीते पांच सालों से लिंगानुपात बढ़ नहीं रहा है। वर्तमान समय में मऊ जनपद में 1000 लड़कों पर मात्र 979 लड़कियां हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 987 और शहरी क्षेत्र में कुल 951 महिलाएं, 1000 पुरुषों हैं। यहीं नहीं बच्चों के लिंगानुपात की स्थिति काफी बेहद चिंताजनक है। यह 1000 पर मात्र 926 है, यानि ग्रामीण क्षेत्रों के हालात काफी बिगड़े हुए हैं।

जनपद में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1000 लड़कों पर 926 लड़कियां थी। वर्ष 2019-20 में 1000 बालकों पर 951 और वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 1000 बालकों पर 979 लड़कियों तक पहुंच गया, लेकिन इसके बाद से बढ़ नहीं रहा है, यानि पिछले पांच साल से यह आंकड़ा रुका हुआ है। लिंगानुपात के बिगड़ते संतुलन की रिपोर्ट मंडल के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसे बेहतर बनाने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लाडली बेटी योजना, सुकन्या समृद्धि योजना सरीखी सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अलावा मीडिया द्वारा चलाया गया कैंपेन सेल्फी विद डाटर, नारी सशक्तीकरण की दिशा में अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद महत्वाकांक्षी योजनाओं के परिणाम निराशाजनक रहे। हालांकि, जिला प्रशासन द्वारा सरकारी योजनाओं पर युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। तहसील से लेकर ब्लाक तक इन योजनाओं का खूब प्रचार हो रहा है, लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा है। अब जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र लिंगानुपात को लेकर बेहद गंभीर है। वह बीते दिनों कलक्ट्रेट में बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कहा किसी भी कीमत पर भ्रूण की जांच नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी। महिला कल्याण विभाग करता है जागरूक महिला कल्याण विभाग की तरफ से सरकार की योजनाओं का खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। यही नहीं विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लगा दिया गया है। टीम गांव-गांव जाकर लोगों को सरकार की योजनाओं को बता रही है बावजूद स्थिति में सुधार न होना चिंताजनक है। 82 अल्ट्रासाउंड पंजीकृत जनपद में कुल 82 अल्ट्रासाउंड सेंटर पंजीकृत है। इन सेंटरों पर आए दिन लिंग परीक्षण की शिकायत मिलती रहती है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक को हिदायत दी गई है। लिंग परीक्षण करने वाली महिलाओं को समझाएं। इसके अलावा किसी प्रकार के दबाव या लालच में काम न करें। गर्भ में मार डाली जाती हैं बेटियां नारी को या तो जन्म लेने से पहले ही कन्या भ्रूण हत्या के रूप में समाप्त करने के प्रयास होते हैं या फिर उसे दहेज की बलिवेदी पर जिंदा जला डालने की कुत्सित कोशिशें की जा रही हैं। सरकार की योजनाएं लागू होने और नियम कानून बनने के बाद भी इसमें इजाफा हो रहा है। बेटियों को देवी मानते हैं लोग एक ओर जहां हिंदुओं में लड़की को घर की लक्ष्मी अथवा देवी वहीं मुस्लिमों में बेटियों को नेमत माना गया है। इसके बाद भी लड़कियों के साथ जिस तरह का दोयम व्यवहार किया जा रहा है, वह न केवल हमारी खोखली और विकलांग सामाजिक मानसिकता का परिचायक है, वहीं हमारी कथित आधुनिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाने के लिए पर्याप्त है। समीकरण बेहतर होने की ओर विभाग की तरफ से सरकार की योजनाओं का खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। यही नहीं विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लगा दिया गया है। यह गांव-गांव जाकर लोगों को सरकार की योजनाओं को बता रही हैं। यही वजह है कि यहां का लिंगानुपात समीकरण बेहतर होने की ओर है। जल्द ही इसे बराबर कर दिया जाएगा। - डॉ. श्वेता त्रिपाठी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, मऊ।

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