काव्य संध्या में कवियों ने प्रस्तुत की रचनाएं
Mau News - मऊ में काव्य संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें डॉ. कमलेश राय ने पर्यावरण पर चिंता व्यक्त की। युवा कवियों ने जीवन के सच और आर्थिक युग में युवाओं की बेवशी का चित्रण किया। जितेन्द्र मिश्र काका और अन्य कवियों...

मऊ। तमसा साहित्य लोक मंच के तत्वावधान में रविवार की शाम को डॉ.कमलेश राय की अध्यक्षता में वरिष्ठ कवि जितेन्द्र मिश्र काका के आवास पर काव्य संध्या का आयोजन किया गया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए डॉ.कमलेश राय ने 'दिया में बचल जिन्दगी कुछ त होई ,अन्हारे घरे रोशनी कुछ त होई ,चलऽ छोड़ के देखीं उज्जर कबूतर , गगन के तपन में कमी कुछ त होई' सुनाकर दूषित हो रहे पर्यावरण पर अपनी चिंता व्यक्त की। काव्य-पाठ की शुरूआत करते हुए युवा कवि सुमित उपाध्याय ने 'ये जो बहुत से चेहरे, नए पुराने सामने आते हैं, मानो ये विस्तार हैं, मेरी अनंत इच्छाओं' कविता सुनाकर जीवन के सच को दिखाने वाली तस्वीर प्रस्तुत की।
बृजेश गिरि ने ग़ज़ल 'वो अच्छा है अच्छा सोचता है मेरे बारे में कितना सोचता है। ऐसे दौर में किसी के लिए कोई कहाँ इतना सोचता है सुनाई। जितेन्द्र मिश्र काका ने कुम्हलाया दिन है बहुत उमस है, ऊंघते बादल देख पवन भी चुप रहने को हुआ विवश है, पंक्तियों के माध्यम से जागरुक किया। उभरते हुए कवि व शायर कुंवर तुफान सिंह ने मेरा गांव मुझको बुलाता रहा, मैं लाचार खुद को बताता रहा, सुनाकर आर्थिक युग में युवाओं की बेवशी का चित्र प्रस्तुत किया।
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