बोले मेरठ : औद्योगिक क्षेत्र की दूर हों समस्याएं तो विदेशों तक चमके मेरठ के उत्पाद
Meerut News - मेरठ के औद्योगिक क्षेत्रों में विकास की योजनाएं फंड की कमी से रुकी हुई हैं। मोहकमपुर क्षेत्र में जलभराव और टूटी सड़कों की समस्याएं हैं। उद्यमियों ने नई औद्योगिक भूमि के विकास की मांग की है, ताकि...
मेरठ। शहर के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र मोहकमपुर के साथ ही अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की सूरत बदलने के लिए बार-बार योजनाएं बनतीं है। बजट फाइनल होता है, लेकिन फंड के अभाव में औद्योगिक विकास की योजनाएं परवान नहीं चढ़ पाती। हालात यह है कि दुनियाभर में स्पोर्ट्स से लेकर अन्य उत्पादों के निर्यात करने वाले औद्योगिक क्षेत्र सालाना करोड़़ों का राजस्व देते है, लेकिन यहां के हालात नारकीय है। नाले-नालियां टूटी है। लीज होल्ड को फ्री होल्ड में नहीं बदला जा रहा। उद्योगपुरम में 40 करोड़ से काम शुरू हुए है, लेकिन कार्यों की गति धीमी है। दिल्ली रोड का नाला औद्योगिक इलाकों में उद्यमियों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है।
मोहकमपुर में बरसात में दिल्ली रोड के नाले का पानी बैक मारता है और औद्योगिक इकाईयां जलमग्न हो जाती है। उद्यमी नए औद्योगिक क्षेत्र के विकसित होने तथा समस्याओं के बादल छटने के साथ सुविधाएं मिलने के इंतजार में है। मेरठ के उत्पादों की चमक दुनियाभर में है। 100 से ज्यादा देशों में दिल्ली रोड स्थित मोहकमपुर में खेल सामान बनाने वाली कंपनियों के उत्पाद निर्यात होते है। केंद्र और प्रदेश सरकार के खजाने में दिल्ली रोड स्थित औद्योगिक इलाकों में तीन हजार से ज्यादा बड़ी फैक्ट्रियों से करोड़ों का राजस्व जाता है। देश-दुनिया में बड़ी चमक और गुणवत्ता वाले उत्पादों के किन हालातों में तैयार किया जाता है, यह उद्यमी है बेखूबी जाते है। उद्योगपुरम-परतापुर में भले ही यूपीसीडा ने 40 करोड़ की लागत से विकास कार्यों की शुरूआत कराते हुए इसे विश्वस्तरीय औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए कदम बढ़ाया है, लेकिन इन कार्यों को पूरा होने में एक साल से ज्यादा समय लगेगा। तब तक उद्योगपुरम और परतापुर के उद्यमियों को नारकीय हालातों के बीच रहकर उत्पादों का प्रोडक्सन का काम करना होगा। उद्योगपुरम, शताब्दीनगर, सांई पुरम, मोहकमपुर, मेजर ध्यानचंद नगर के हालात है कि सड़के टूटी है। गंदगी के ढेर लगे रहते है। नगर निगम न तो नियमित सफाई कराता है और न ही कूड़े का उठान। ऐसे में जगह-जगह कूड़े के ढेर जलने और नाले-नालियों का गंदगी से अटे होने से उठती बदबू और जलभराव औद्योगिक क्षेत्र का बदहाल बना रही है। सालों से नए औद्योगिक क्षेत्र की दरकार बीते तीन दशकों से शहर में कोई नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हुआ। कताई मिल को लेकर उद्यमी लगातार मेरठ से लेकर लखनऊ तक मांग कर रहे है। मुख्यमत्री से मिल चुके है। जनप्रतिनिधि भी प्रयास कर रहे है, लेकिन अभी तक कताई मिल को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ। कताई मिल के पीछे की कोतवाल खाते की जमीन सूबे के गृह विभाग को चल गई। हालांकि उद्यमी बताते है कि यह जमीन वापस हो रही है। वह चाहते है कि सरकारी जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाए। उद्यमियों को जमीन का आवंटन हो, ताकि औद्योगिक विकास हो और रोजगार के अवसर बढ़े। मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र की दूर हो जलभराव की समस्या उद्यमियों का कहना है कि सालों से मोहकमपुर क्षेत्र दिल्ली रोड के नाले की वजह से बरसात में हर साल जलभराव की समस्या झेलता है। फैक्ट्रियों में पानी घुस जाता है। उत्पादन प्रभावित होता है और तैयार माल, रॉ मैटीरियल खराब हो जाता है। कूड़े के ढेर लगे रहते है। सफाई नही होती है। ऐसे में संक्रामक रोगों का प्रकोप होता है। सड़के बनाई थी, लेकिन जलभराव के कारण सड़के अधिक समय नहीं चलती और टूट जाती है। स्पोर्टस कॉम्पलेक्स और उद्योगपुरम में लीजहोल्ड औद्योगिक भूमि हो फ्री होल्ड स्पोर्टस कॉम्पलेक्स और उद्योगपुरम के उद्यमियों की बड़ी समस्या है कि करीब 40-50 साल पहले विकसित किए गए औद्योगिक इलाकों में उद्यमियों को जो आवंटन किए गए थे, वह औद्योगिक भूमि लीजहोल्ड पर है। उद्यमी लगातार इसे फ्री होल्ड किए जाने की मांग कर रहे है। उद्यमियों का कहना है कि लीज होल्ड जमीन होने के कार टीओडी का लाभ उद्यमियों को नहीं मिल सकता है। हालांकि यह समस्या पूरे प्रदेश की है। जबकि देश के अन्य राज्यों हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाड़ु में लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड में बदलने की पॉलिसी है। उद्यमी कहते है कि लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड किए जाने से उद्योगों में विकास होगा और सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक है। उद्यमियों को औद्योगिक भूमि फ्री होल्ड नहीं होने से अपने उद्योग में कोई नया उत्पाद बनाने, बैंक लिमिट में बदलाव करने और बैंक बदलने में दिक्कतें आती है। अपने उद्योग को ब्लड रिलेक्शन में हस्तांतरित नहीं कर सकते। उद्योग की भूमि एवं भवन किराए पर देने अथवा भूमि का अमलगमेशन या सेपरेशन करने में भी दिक्कत होती है। छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी यूपीसीडा अथवा उद्योग निदेशालय से अनुमति लेने को चक्कर लगाने पड़ते है। औद्योगिक क्षेत्रो पर एक नजर - यूपीसीडा की ओर से विकास उद्योगपुरम और परतापुर, मोहकमपुर स्थित स्पोर्ट्स गुड्स कॉम्पलेक्स, जिला उद्योग केंद्र द्वारा उद्योगपुरम में कुछ हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया हुआ है। मेरठ विकास प्राधिकरण ने मेजर ध्यानचंद नगर को विकसित किया - निजी तौर पर विकसित औद्योगिक क्षेत्र : मोहकमपुर, सरस्वती इंडस्ट्रीयल एरिया, कुंडा, गगोल रोड, बागपत रोड पांचली, साईपुरम उद्यमियों ने कहा शताब्दीनगर समेत कमोवेश सभी औद्योगिक इलाकों में नाले और नालियों कूड़े-सिल्ट से अटे है। नगर निगम नियमित न तो सफाई कराता है और न ही कूड़े का उठान कराता है। ऐसे में उद्यमी परेशान है। संदीप गर्ग, अध्यक्ष शताब्दीनगर इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन औद्योगिक इलाको में विकास कार्यों के साथ ही सफाई कार्यों के लिए भी नगर निगम और मेरठ विकास प्राधिकरण दोनों एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे है। शिकायत पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। सत्यप्रकाश मिश्रा, अध्यक्ष शताब्दीनगर इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन औद्योगिक इलाकों में टूटी सड़के और नियमित सफाई का नहीं बड़ी समस्या है। बैठकों में उद्यमी आवाज उठाते है तो नगर निगम विकास कार्यों के लिए फंड का रोना रोता है। सफाई भी नहीं कराता। तनुज अग्रवाल, अध्यक्ष आईआईए मेरठ चैप्टर अन्य राज्यों की तरह सूबे में भी सरकार औद्योगिक भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड में बदलें, ताकि उद्यमियो को आ रही विभिन्न दिक्कतों का समाधान हो सके। कारोबार को बढ़ावा मिल सके। गौरव जैन, सेक्रेटरी आईआईए मेरठ चैप्टर उद्यमी लगातार अफसरों के सामने बैठकों में औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याएं उठाते आ रहे है। कुछ समस्याएं हल हो जाती है, लेकिन अधिकांश समस्याएं हल नही होने से उद्यमी परेशान हो रहे है। कमल ठाकुर, निदेशक विश्वकर्मा इंडस्ट्रीयल एरिया बागपत रोड औद्योगिक क्षेत्रों में सफाई और ड्रेनेज सिस्टम खत्म हो चुका है। बारिश शुरू होते ही जलभराव हो जाता है। नाले और नालियां टूटी हुई पड़ी है। अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते है, सुधार के कार्य नहीं हो रहे। राजेंद्र कुमार जैन, सचिव स्पोर्ट्स गुड्स मैन्यु. एंड एक्सपोर्ट्स एसो. उद्योगपुरम में यूपीसीडा ने 40 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की शुरूआत कराई है, लेकिन अभी कार्यों की रफ्तार धीमी है। ऐसे में बरसात के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। निपुण जैन, अध्यक्ष परतापुर इंडस्ट्रीयल मैन्यु. एसोसिएशन सरकार का औद्योगिक विकास और उद्यमियों की सुविधाओं पर फोकस है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अफसरों को चाहिए कि वह औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर फोकस करें और परेशानियों को दूर कराएं। रामकुमार गुप्ता, अध्यक्ष वेस्टर्न यूपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री उद्योगपुरम में पानी की निकासी नहीं होने, टूटी सड़कों, बिजली समस्या से उद्यमी परेशान है। अभी कुछ समय से ही औद्योगिक क्षेत्र में विकास कार्य शुरू कराएं है। हल्की सी हवा में बिजली चली जाती है। पंकज जैन, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती औद्योगिक क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्टर जीरो हो चुका है। कैसे कारोबार बढ़े। नाले-नालियों की हालत खराब है। सुधार होना चाहिए। 15वें वित्त आयोग की बैठक में चर्चा हुई, लेकिन नतीजा अभी तक सिफर ही है। राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष सरस्वती इंडस्ट्रीयल एरिया हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाड़ु में लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड में बदलने की पॉलिसी है। यूपी सरकार भी इसे लागू करें और मेरठ समेत पूरे प्रदेश के उद्यमियों को लाभ दें। रवि ऐलन, अध्यक्ष मेरठ इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट फोरम सरकारी तौर पर विकसित औद्योगिक इलाकों में विकास कार्य कराएं जाए। निजी औद्योगिक क्षेत्रों में रखरखाव पर ध्यान देने के साथ विकास कार्य हो। इंडस्ट्रीयल हब बनाने की उद्यमियों को सरकार का साथ मिले। पंकज गुप्ता, पूर्व राष्ट्रीय चेयरमैन आईआईए सरकार की मंशा के अनुसार उद्योग स्थापित कर चलाया जा रहा है, तो उद्यमी को किरायेदारी से मालिकाना हक दिया जाना न्यायसंगत होगा। लीडहोल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड किया जाएगा। सरित अग्रवाल, उद्यमी शताब्दीनगर और उद्योगपुरम औद्योगिक क्षेत्रों के हालत नारकीय है। गंदगी, नाले-नालियों एवं अन्य समस्याएं तमाम स्तर पर आवाज उठाने के बावजूद भी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। सरित अग्रवाल, उद्यमी बोले जिम्मेदार उद्योगपुरम और परतापुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 40 करोड़ की लागत से विकास कार्य शुरू हो गए है। स्पोर्टस कॉम्पलेक्स के लिए भी कार्ययोजना बनाकर विकास कार्य कराएं जाएंगे। समस्याएं दूर कराई जा रही है। राकेश झा, आरएम यूपीसीडा जिला एवं मंडलीय उद्योग बंधु बैठक के जरिए एवं औद्योगिक संगठनों के माध्यम से जो भी समस्याएं आती है, उनके समाधान के लिए विभिन्न विभागों के जरिए कार्य कराए जाते है। औद्योगिक क्षेत्रों का विकास प्राथमिकता में है। दीपेंद्र कुमार, उपायुक्त उद्योग समस्याएं - औद्योगिक इलाकों में नियमित तौर पर सफाई नहीं होना - पार्कों में घास-फूंस का उगना और चाहरदीवारी का टूटे होने - लीज होल्ड औद्योगिक भूमि फ्री होल्ड में नहीं बदलना - जर्जर तार और खंभों के कारण हवा चलते ही बिजली गुल होना - विकास कार्यों के लिए मेडा और नगर निगम का आपस में उलझना - टूटी सड़कों का निर्माण नहीं होने से सड़कों में गड्डों का बढ़ते जाना - दिल्ली रोड पर नाला निर्माण में लापरवाही का बरते जाना - जमीन के अभाव में नई औद्योगिक इकाईयां नहीं लग पा रही समाधान - सरकारी जमीन पर नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर जमीन दी जाए - औद्योगिक इलाको में सफाई और जल निकासी की व्यवस्था हो - लीज होल्ड औद्योगिक क्षेत्रों को सशर्त फ्री होल्ड कर दिया जाए - टूटी सड़कों का निर्माण हो, सड़कों को गड्डामुक्त किया जाए - जहां 50-70 इंडस्ट्री लग गई, वहां सड़क, नाली, पानी-बिजली की व्यवस्था हो - उद्योगपुरम बिजलीघर में जरा सी बारिश में जलभराव हो जाता है, इसमें काम हो - औद्योगिक क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए मेडा-नगर निगम अफसरों की जिम्मेदारी तय हो - उद्योगपुरम औद्योगिक क्षेत्र मे चल रहे विकास कार्यों की गति तेज कराकर कार्य जल्द हो
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