मिर्जापुर : एक दिन में तीन चुनौतियों को भेद रचित ने रचा रिकार्ड
Mirzapur News - मिर्जापुर के रचित अग्रवाल ने जर्मनी में एंड्योरेंस रेस में 'आयरनमैन हंबरिंग' खिताब जीतकर इतिहास रचा। यह पूर्वांचल के किसी खिलाड़ी की पहली अंतरराष्ट्रीय सफलता है। उन्होंने 180 किमी साइकिलिंग, 42.2 किमी...

मिर्जापुर। चौबेटोला के रचित अग्रवाल ने इतिहास रच दिया। जर्मनी में एंड्योरेंस रेस में उन्होंने ‘आयरनमैन हंबरिंग जर्मनी खिताब अपने नाम किया। यह पहला मौका है जब पूर्वांचल के किसी खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी सफलता मिली। उन्होंने एक दिन में 180 किमी साइकिलिंग, 42.2 किमी मैराथन और 3.8 किमी तैराकी पूरी की। बचपन से ही उन्होंने गंगा में तैराकी शुरू कर दी थी। इसका फायदा यह हुआ कि उन्होंने कठिनतम स्पर्धा आसानी से जीत ली। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के रचित ने वर्ष 2005 में 12वीं की परीक्षा पास की। ट्रिपल आईटी प्रयागराज से इंजीनियरिंग की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की हैदराबाद शाखा में सीनियर इंजीनियर बन गए।
मन नौकरी में नहीं लगा। मन-मस्तिष्क में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2013 में बोस्टन कंसाइंट ग्रुप के नाम से स्टार्टअप शुरू किया। फिर 2019 में इसे अमेरिकी कंपनी सिटी होम्स को बेच दिया। कुछ समय पहले उन्होंने एडमिट कार्ड नाम से दूसरी कंपनी शुरू की है। इसके जरिये वह विदेशों में पढ़ने के इच्छुक बच्चों की मदद करते हैं। नोएडा में रहने वाले 37 वर्षीय रचित बताते हैं कि परिजनों और दोस्तों की सलाह पर वजन घटाने के लिए उन्होंने मार्निंग वॉक शुरू किया। फिर जॉगिंग करने लगे। बताया कि बचपन में ही वह गंगा में तैराकी करने लगे थे। बाद में उन्होंने तैराकी की बारीकियां सीखीं। उनके दिमाग में जर्मनी की एंड्योरेंस रेस प्रतियोगिता जीतने की योजना पहले से थी। साइकिलिंग और तैराकी से वजन घटाया मिर्जापुर। रचित अग्रवाल का वजन बहुत अधिक था। एंड्योरेंस रेस प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले उन्होंने इसे घटाने का प्रयास शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई। दो वर्षों में उनका वजन घट गया। इसके लिए उन्होंने साइकिलिंग और तैराकी को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। हिन्दुस्तान से बातचीत में उन्होंने बताया कि सुबह मार्निंग वॉक, साइकिलिंग और तैराकी उनकी नियमित दिनचर्या है। बेटे की सफलता पर पिता को नाज चौबेटोला निवासी डॉक्टर राजीव अग्रवाल जीडी बिनानी पीजी कॉलेज के रिटायर प्रिंसिपल हैं। शिक्षा के साथ ही वह सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। वह लायंस और रोटरी क्लब के अध्यक्ष एवं मंडलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। रचित अग्रवाल की सफलता पर उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत ने उनके बेटे को सफलता दिलाई। नौकरी मिलने के बाद आमतौर पर लोग आरामदेह जिंदगी जीने का प्रयास करते हैं। इससे इतर उनके बेटे ने कठोर परिश्रम कर ऐतिहासिक सफलता हासिल की। अक्सर मिर्जापुर आते हैं रचित रचित अग्रवाल इंजीनियर होने के साथ ही व्यवसायी भी है। उनकी पत्नी प्राची अग्रवाल एचसीएल कंपनी में सीनियर डायरेक्टर हैं। उन्हें छह वर्ष की बेटी है। माता-पिता के साथ ही उनका पत्नी और बेटी से असीम प्यार है। बताया कि वर्ष में कम से कम चार-पांच बार माता-पिता से मिलने वह नोएडा से यहां जरूरत आते हैं। उनके शब्दों में-‘मिर्जापुर मेरी जन्मभूमि है। इसे भूलने का सवाल ही नहीं उठता है। जर्मनी की झील में तैरना आसान नहीं मिर्जापुर। रचित अग्रवाल की मानें तो जर्मनी की बिनीनीलट्र झील बर्फ से भी ज्यादा ठंडी है। इसका पानी काफी ठंडा रहता है। एक जून को प्रतियोगिता वाले दिन काफी ठंड थी। बारिश भी हो रही थी। यही वजह रही कि प्रतियोगिता देर से शुरू हुई। एक नजर में एंड्योरेंस प्रतियोगिता विश्व की कठिनतम खेल स्पर्धाओं में एक एंड्योरेंस प्रतियोगिता जीतना आसान नहीं है। रचित ने मात्र 12 घंटे में 3.8 किलोमीटर तैराकी, 180 किलोमीटर साइकिलिंग और 42.2 किलोमीटर मैराथन पूरी करके इतिहास रच दिया।
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