1500 लोग शहद के कारोबार से जुड़े
Moradabad News - मुरादाबाद, जिसे पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है, शहद का निर्यात करता है। राज्य सरकार ने इसे एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत नामित किया है। हर साल यहां 3.25 करोड़ रुपये का शहद कारोबार होता है। विभाग...

दुनिया में पीतल नगरी के रूप में स्थापित मुरादाबाद शहद का भी निर्यात करता है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत शहद को नामित किया है। यहां से हर साल औसतन सवा तीन करोड़ रुपये के शहद का कारोबार हो रहा है। उद्यान विभाग की ओर से मधुमक्खी पालन करने वालों को सरकारी सहायता दी जाती है। इस कार्य के प्रशिक्षण के बाद लाभार्थी को चयनित प्रजाति की मधुमक्खी उपलब्ध कराई जाती है। छजलैट, कांठ, बिलारी, कुंदरकी और भगतपुर ब्लॉक क्षेत्र में मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। वैसे तो फूल वाले मौसम में मधुमक्खी का विकास होता है।
नवंबर से मार्च के महीने में शहद का उत्पादन होता है। बाकी सीजन में मक्खी को बचाने के प्रयास होते हैं। इन महीनों में चीनी का घोल खिलाकर मधुमक्खी को जिंदा रखने का प्रयास होता है। विभाग की ओर से मधुमक्खी पालक को एपिस मैलीफेरा प्रजाति की मक्खी की आपूर्ति की जाती है। विभाग की ओर से इसके लिए 10 हजार बक्से दिए गए हैं। एक बक्से में औसतन 20 से 25 किलोग्राम शहद का उत्पादन होता है। यहां से दिल्ली, हरिद्वार, लखनऊ, जयपुर शहद की आपूर्ति का केंद्र बना है। 60 प्रतिशत से अधिक उत्पाद का निर्यात हो रहा है। मधुमक्खी पालन से किसान अपनी आमदनी ठीक कर रहे हैं। विभाग की ओर से एक लाभार्थी को 88,000 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। इस कार्य के लिए छोटे और बड़े बक्से दिए जाते हैं। जिले में सालाना सवा तीन करोड़ रुपये का कारोबार होता है। -बीएन सिंह, जिला उद्यान अधिकारी
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