बोले मुजफ्फरनगर: डिलीवरी ब्वॉय को चाहिए मेहनत का सम्मान
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कोई भी सामान घर तक पहुंचाने में डिलीवरी ब्वॉय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनकी काम सुबह जितनी जल्द शुरू होता है, रात का काम उतनी ही देर से खत्म होता है। धूप हो, बारिश हो या फिर कड़ाके की ठंड, हेलमेट और बैग लेकर ये लोगों के बताए पते पर सामान देने के लिए निकल पड़ते हैं। खासकर त्योहारों, सेल सीजन या बारिश जैसे मौसम में काम का दबाव दोगुना हो जाता है। उनकी आय इस बात पर निर्भर करती है कि वे कितनी डिलिवरी कर पाते हैं। दरअसल डिलीवरी ब्वॉय को पर्याप्त कमीशन और सम्मान की दरकार है। पेट्रोल के बढ़ते दाम, ट्रैफिक के दबाव और समय की पाबंदी और शारीरिक-मानसिक थकान के बीच वे सिर्फ अपने काम को अहमियत देते हैं, सामान सही समय पर ग्राहक तक पहुंचना इनकी जिम्मेदारी होती है।
डिलीवरी ब्वॉय की हमें न तो पीएफ की सुविधा मिलती है और न ही छुट्टी का भुगतान होता है। अगर किसी दिन काम नहीं किया तो उसका कोई भुगतान नहीं होता है। डिलीवरी ब्वॉय के लिए बनाई गई पूरी व्यवस्था अस्थायी होने के साथ श्रमिक विरोधी है। डिलिवरी ब्वॉय कपिल और मनीष ने कहा कि हर दिन 10-12 घंटे की मेहनत के दौरान ट्रैफिक में फंसे रहना, धूप-बारिश झेलना और समय पर डिलिवरी करने का तनाव मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। कई बार ग्राहकों का रूखा व्यवहार, फीडबैक में गिरावट और कंपनी की तरफ से कमीशन में कटौती जैसी समस्याएं काफी दर्द देती हैं। डिलीवरी ब्वॉय को जिम्मेदारी पूरा करने में तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ------------------- -- सामान टूटने या खराब होने का माना जाता है जिम्मेदार दीपक और प्रवीण का कहना है कि कभी-कभी सामान खुद ही खराब निकलता है या ट्रैवेल के दौरान टूट जाता है, लेकिन ग्राहक और कंपनी दोनों की नजर में गलती डिलीवरी ब्वॉय की होती है। ग्राहक या कंपनी का कोई व्यक्ति पूछता तक नहीं कि रास्ते में क्या हुआ, कैसे हुआ। बस डिलीवरी ब्वॉय को उसे जवाब देना होता है, नुकसान के लिए कई बार उन्हें अपने कमीशन से ही पैसे कटवाने पड़ते है। फिल्ड में डिलीवरी देते समय लोकेशन कोडिंग की आम समस्या है। ऐसे में अगर एक भी ऑर्डर डिलिवर न हो तो उनके पैसे काट लिए जाते हैं। कई बार डिलीवरी के दौरान उन्हें ऐसी जगह जाना पड़ता है, जहां ग्राहक उनके साथ झगड़े पर उतारू हो जाते है, यहां तक शिकायत करने पर पुलिस भी उनकी कोई मदद नहीं करती है। ---------------- -- कोई पढ़ाई तो कोई अन्य जरूरत के लिए कर रहा जॉब डिलीवरी ब्वॉय में बहुत से युवक ऐसे हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, या फिर कर रहे हैं। कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और डिलिवरी ब्वॉय की नौकरी कर अपना खर्च चला रहे हैं। जबकी दिन में घंटों मेहनत करने के बाद घर जाते ही रात होने पर किताबों में डूब जाते हैं। ऐसे कई डिलिवरी ब्वॉय हैं, जो अपना खर्चा खुद निकाल रहे हैं। डिलीवरी ब्वॉय कहते हैं कि इस नौकरी कब छूट जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। छोटी-सी गलती पर अगले ही दिन कंपनी के जिम्मेदार लोग बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। --------------- -- श्रम विभाग में पंजीकरण और स्वास्थ्य बीमा लाभ की है दरकार तेज धूप हो या कड़ाके की ठंड डिलीवरी ब्वॉय अपना जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं। बावजूद इसके डिलीवरी बॉय को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ प्रमुखता के साथ नहीं मिल पाता है। वहीं डिलीवरी के दौरान पैकेट के हिसाब से कम कमीशन मिलने के कारण इन्हें आर्थिक रूप से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। डिलीवरी ब्वॉय श्रवण और लोकेंद्र का कहना है कि कड़ी मेहनत करने के बाद भी श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं होने से डिलीवरी ब्वॉय सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहते हैं। अगर श्रम विभाग द्वारा डिलीवरी ब्वॉय के लिए अभियान चलाकर प्रमुखता के साथ ई-श्रम कार्ड के लिए पंजीकरण करवाए जाए तो आर्थिक रूप से जूझ रहे डिलीवरी ब्वॉय को राहत मिल सकती है। ----------------- -- जल्दबाजी में ट्रैफिक नियम टूटने के कारण भूगतना पड़ता है भारी जुर्माना ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में डिलीवरी ब्वॉय बताते हैं दिनभर काम करने के बावजूद भी कई बार देर रात तक दौड़ते रहते हैं। जितनी ज्यादा डिलिवरी करते है, उतनी ही अधिक कमाई कर पाते है। जिस कारण दिनभर डिलिवरी ब्वॉय बाइक लेकर एक जगह से दूसरी जगह तक भागदौड़ करते रहते है। जल्दी डिलीवरी पहुंचाने की होड़ में अक्सर अनजाने से ट्रैफिक नियम टूट जाते हैं, जिसके लिए उन्हें कई बार भारी चालान तक भुगतना पड़ता है। हालांकि कई बार जल्दबाजी के चलते दुर्घटनाओं का शिकार तक डिलीवरी ब्वॉय हो जाते हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें किसी तरह की बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। दुर्घटना की स्थिति में इलाज का खर्च खुद ही उठाना पड़ता है। --------------- -- समानता का परिचय देते हुए डिलीवरी कंपनी में जॉब कर रहीं युवती जब भी किसी ऑनलाइन वेबसाइट से आर्डर किया जाता है, तो आर्डर को पहुंचाने का काम डिलीवरी ब्वॉय करते हैं। हालांकि मुजफ्फरनगर के भोपा रोड पर स्थित डिलेवरी लिमिटेड में अपनी मेहनत और समानता का परिचय का देते हुए मीनाक्षी भी समय से आर्डर डिलीवर करने का काम बखूबी निभा रहीं है। एक मॉ का फर्ज निभाने और घर की जिम्मेदारी का बोझ उठाने के लिए दिनभर कोरियर डिलीवर करने काम का मीनाक्षी करती है। जिससे वह अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा के साथ ही उसकी हर जरूरत को पूरा कर सकें। ---------------- --- समस्याएं और सुझाव --- -- समस्याएं 1. डिलीवरी के दौरान पैकेट के अनुसार कम भुगतान मिलता है, जिस कारण डिलीवरी ब्वॉय को रोज मर्रा के खर्च चलाने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 2. डिलीवरी जल्द पहुंचाने की होड़ में अक्सर अनजाने से ट्रैफिक नियम टूट जाते हैं, जिसके लिए डिलीवरी ब्वॉय को कई बार भारी चालान तक भुगतना पड़ता है। 3. कड़ी मेहनत करने के बावजूद डिलीवरी ब्वॉय का श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं हो पाता है और किसी तरह के स्वास्थ्य बीमा का लाभ ही इन्हें मिल पाता है। 4. सामान डिलीवर करते समय टूटने या खराब होने का जिम्मेदार ग्राहक डिलीवरी ब्वॉय को माना जाता है, जिससे उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान होता है। --- -- सुझाव 1. कड़ी मेहनत करने वाले डिलीवरी ब्वॉय के लिए श्रम विभाग को अभियान चलाकर पंजिकरण कराना चाहिए, स्वास्थ्य बीमा का लाभ भी प्रमुखता के साथ दिया जाना चाहिए। 2. डिलीवरी ब्वॉय को मिलने वाले प्रति पैकेट के कमीशन में बढ़ोतरी होनी चाहिए, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से राहत मिल सकें और अपनी जरूरते सरलता से पूरा कर सके। 3. डिलीवरी के दौरान किसी भी सामान की टूटफूट के लिए कंपनी को ग्राहक का भुगतान करना चाहिए, जिससे डिलीवरी ब्वॉय साथ ग्राहक झगड़ा न करें। 4. डिलीवरी ब्वॉय दिनभर कड़ी मेहनत करते है, जिसके लिए कोरियर कंपनी को उन्हें सप्ताहिक अवकाश दिया जाना चाहिए। जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें। -------------- --- बोले जिम्मेदार डिलीवरी ब्वॉय किसी कंपनी के स्थायी कर्मचारी नहीं माने जाते हैं। उन्हें ऑनलाइन श्रम विभाग की वेबसाइट पर जाकर पंजिकरण कराना चाहिए, जिससे उन्हें भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सकें। देवेश सिंह, सहायक श्रमायुक्त ----------- मानक के अनुरूप कार्य करने पर प्रत्येक डिलीवरी बॉय को कंपनी द्वारा उचित प्रोत्साहन राशि प्रधान की जाती है। जबकि अधिक गर्मी को देखते हुए डिलीवरी बॉय को कंपनी द्वारा टीशर्ट हेलमेट और गर्मी से राहत देने के लिए पेय पदार्थ उपलब्ध कराए जाते हैं। उदित बंसल, कलस्टर प्रबंधक, डिलेवरी लिमिटेड ----------- शहर के भोपा रोड स्थित डिलेवरी लिमिटेड में युवाओं को प्रथमिकता के साथ रोजगार प्रदान किए जा रहे है। कंपनी में कार्यरत डिलीवरी कर्मचारियों की समस्याओं का गंभीरता के साथ शीघ्र समाधान कराया जाता है। सूर्य त्यागी, सेंटर इंचार्ज मुजफ्फरनगर, डिलेवरी लिमिटेड ----------- --- सुनें हमारी बात कोरियर पैकेट के हिसाब से मिलने वाला कमीशन बढ़ाया जाना चाहिए, वहीं सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के साथ मिलना चाहिए। मीनाक्षी चौधरी ----------- पैकेट के हिसाब से डिलीावरी ब्वॉय का कमीशन बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे रोजमर्रा के खर्चो के साथ ही आसानी से परिवार का भरण-पोषण किया जा सकें। श्रवण कुमार ----------- कई बार डिलीवरी जल्द पहुंचाने के कारण अनजाने से ट्रैफिक नियम टूट जाते हैं, जिसके लिए उन्हें ट्रेफिक पुलिस द्वारा काटे गए चालान का भुगतना खुद से ही करना पड़ता है। लोकेंद्र कुमार ----------- धूप में भागदौड़ के दौरान अक्सर बीमार होने का खतरा बना रहता है, स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिलीवरी ब्वॉय को आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ प्रमुखता के साथ देना चाहिए। राम किरण ----------- डिलीवरी के दौरान किसी भी सामान की टूटफूट के लिए डिलीवरी ब्वॉय को जिम्मेदार ठहराया जाता है, ऐसी स्थिति में कंपनी को ग्राहक का भुगतान करना चाहिए। सईम ----------- डिलीवरी ब्वॉय का श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं होने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, ना ही किसी तरह के स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल पाता है। दीपक ----------- सामान डिलीवर करते समय कई बार दुर्घटना होने पर डिलीवरी ब्वॉय चोटिल हो जाते है, जिसके लिए दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिया जाना चाहिए। कपिल ----------- डिलीवरी ब्वॉय गर्मी, सर्दी और बरसात में भी काम करते है, बावजूद इसके उन्हें कमीशन तक ही सीमित रखा जाता है, डिलीवरी ब्वॉय हर माह सैलरी निर्धारित होनी चाहिए। मनीष ----------- डिलीवरी ब्वॉय दिनभर कड़ी मेहनत करके अपना काम करते है। जिसके लिए कोरियर कंपनी द्वारा उन्हें सप्ताहिक अवकाश दिया जाना चाहिए, जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें। आशीष ----------- सामान डिलीवर करने के दौरान वाहन में लगने वाला पैट्रोल खुद से ही डलवाना पड़ता है, कंपनी को किलोमीटर के अनुसार पैट्रोल की सुविधा देनी चाहिए। मिंटू ----------- डिलीवरी ब्वॉय के लिए साप्ताहिक अवकाश निर्धारित होना चाहिए, जिससे एक दिन आराम करके शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें। सचिन ----------- डिलीवरी के अनुसार प्रति पैकेट के हिसाब से कमीशन बढ़ाया जाना चाहिए, वहीं श्रम विभाग में पंजिकरण होने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ प्रमुखता के साथ मिलना चाहिए। दीपक सिंह ----------- डिलीवरी ब्वॉय को मिलने वाले प्रति पैकेट के कमीशन में बढ़ोतरी होनी चाहिए, जिससे आर्थिक रूप से राहत मिलें और अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सके। प्रवीण ----------- श्रम विभाग द्वारा डिलीवरी कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रमुखता के साथ दिया जाना चाहिए, अभियान चलाकर ई-श्रम कार्ड बनवाने चाहिए। विक्रांत
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