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बोले मुजफ्फरनगर : शिक्षकों को पुरानी पेंशन और सरल स्थानांतरण प्रक्रिया की दरकार

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Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फर नगरThu, 10 April 2025 11:01 PM
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बोले मुजफ्फरनगर : शिक्षकों को पुरानी पेंशन और सरल स्थानांतरण प्रक्रिया की दरकार

जनपद में 265 माध्यमिक और 951 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें करीब 6,600 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें करीब 3,500 पुरुष और 3,100 महिला शिक्षिकाएं हैं, जो मुख्य रूप से पुरानी पेंशन बहाली के साथ ही सरल स्थानांतरण नीति चाहते हैं। इसके साथ ही गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी से रोक लगाए जाने के साथ ही महिला-पुरुष शिक्षकों की गृह जनपद में तैनाती की भी मांग शिक्षकगण कर रहे हैं। वहीं, शिक्षकगण अन्य विभागीय समस्याओं का भी सुनियोजित तरीके से निस्तारण कराने की मांग शासन-प्रशासन से अपेक्षित करते हैं। -----------

पुरानी पेंशन व सरल स्थानांतरण नीति की दरकार

मुजफ्फरनगर। जनपद में 265 माध्यमिक और 951 परिषदीय विद्यालयों में करीब 6,600 शिक्षक तैनात हैं। ये शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली के साथ ही सरल स्थानांतरण नीति के लिए पिछले 20 साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। शिक्षक संगठन अटेवा गुट के जिलाध्यक्ष प्रीतवर्द्धन शर्मा कहते हैं कि सरकार ने शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था भंग कर दी थी, जिसके विरोध में शिक्षक संगठन पिछले करीब 20 वर्षों से लड़ाई लड़ रहे हैं। काफी संख्या में शिक्षक बाहर से आकर अन्य जनपद के स्कूलों में नौकरी करते हैं, जिन्हें स्थानांतरण को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर ऐडेड विद्यालयों में शिक्षकों को स्थानांतरण के लिए एनओसी को लेकर काफी परेशान होना पड़ता है, जिससे उनका शैक्षणिक कार्य के साथ ही पारिवारिक काम भी प्रभावित होते हैं। इस स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल करते हुए बिना एनओसी की बंदिश लगाए शिक्षकों के आसानी से ट्रांसफर किए जाने चाहिए। वहीं, महिला व पुरुष शिक्षकों को उनके गृह जनपद में ही तैनाती दी जानी चाहिए, क्योंकि अन्य जनपद में नियुक्ति होने पर शिक्षक अपने परिवार की देखभाल नहीं कर पाते, जिससे उनके घर-परिवार व परिजनों को सही समय पर उनका सानिध्य नहीं मिल पाता। जिलाध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में काफी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां नियमित प्रधानाचार्य नहीं हैं। इसके चलते इन स्कूलों में शिक्षकों को लिखित परीक्षा लिए जाने के बाद ही प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए। वहीं, बड़े पैमाने पर शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में भी लगा दी जाती है, जैसे स्कूल परिसर में नए कमरे बनने हो या फिर बीएलओ समेत अन्य गैर विभागीय कामकाज। इसके चलते शिक्षकों को अपनी ड्यूटी छोड़कर अन्य कार्यों में लगना पड़ता है, जिसका असर उनके शैक्षिक कामकाज पर पड़ता है। उन्होंने शासन-प्रशासन व विभाग से शिक्षकों की समस्याओं का सुनियोजित समाधान कराए जाने की मांग की।

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मिले स्वास्थ्य बीमा व अभिभावक लीव का लाभ

मुजफ्फरनगर। शिक्षक अटेवा गुट के जिलाध्यक्ष प्रीतवर्द्धन शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा नहीं किया जाता है, जिससे शिक्षकों को बीमार होने की स्थिति में किसी भी तरह की वित्तीय मदद नहीं मिल पाती और उनका परिवार गंभीर बीमारी की स्थिति में बिखरने के कगार पर पहुंच जाता है। इसके चलते या तो शिक्षकों को सरकार द्वारा स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देनी चाहिए या फिर बीमार होने की स्थिति में स्वास्थ्य मदद मिलनी चाहिए। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय पुरुष शिक्षकों को 15 दिन की अभिभावक लीव देती है, लेकिन राज्य में शिक्षकों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता। इससे परिवार में कोई भी नया सदस्य (किसी का जन्म होने पर) आने की स्थिति में पुरुष शिक्षकों को अपने परिवार की देखभाल के लिए समय नहीं मिल पाता, जिससे वह तनावग्रस्त हो जाता है।

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एनपीएफ खाते होने चाहिए हरेक माह अपडेट

मुजफ्फरनगर। शिक्षकों के वेतन में से हर माह अन्य कर्मचारियों के पीएफ की ही भांति एनपीएफ काटा जाता है, लेकिन उसे हर माह अपडेट नहीं किया जाता। जिलाध्यक्ष प्रीतवर्द्धन शर्मा ने बताया कि शिक्षकों के वेतन से हर माह एक निश्चित धनराशि एनपीएफ के लिए काटी जाती है, जिसमें विभाग का भी योगदान होता है। वर्तमान में यह एनपीएफ खाते करीब डेढ़ साल से अपडेट नहीं किए गए हैं, जिसके चलते शिक्षकों को उनके एनपीएफ खातों के वर्तमान स्थिति और उसमें किए जा रहे योगदान की जानकारी ही नहीं हो पाती। इसके चलते खातों में अनियमितताएं होने की आशंका बन जाती है। इस संबंध में शिक्षकगण कई बार आला अफसरों से शिकायत करते हुए एनपीएफ खातों को हर माह अपडेट किए जाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने एनपीएफ खातों को हर माह अपडेट किए जाने के साथ ही शिक्षकों के मोबाइल पर इसकी जानकारी दिए जाने की भी मांग की।

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--- शिकायतें और सुझाव ---

शिकायतें ---

- महिला-पुरुष शिक्षकों को उनके गृह जनपदों से दूर तैनाती दी जाती है, जिससे वे अपने परिवार की सही देखभाल नहीं कर पाते।

- पुरुष शिक्षकों को मेटरनिटी लीव की तर्ज पर उनके परिवार में नया सदस्य आने पर उनकी देखभाल के लिए अवकाश नहीं मिलते।

- शिक्षकों की ड्यूटी बड़े पैमाने पर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा दी जाती है, जिससे शिक्षकों को काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं।

- शिक्षकों के खाते से हर माह एनपीएफ धनराशि कटती है, लेकिन उसका अपडेट नहीं होता, जिससे उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती।

सुझाव ---

- महिला व पुरुष शिक्षकों को उनके गृह जनपद में तैनाती दी जाए, ताकि पुरुष शिक्षक भी अपने परिवार की सही से देखभाल कर सकें।

- पुरुष शिक्षकों को भी महिला शिक्षकों की मेटरनिटी लीव की तर्ज पर अभिभावक लीव मिलनी चाहिए, ताकि वे परिवार को समय दे सकें।

- गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाई जानी चाहिए, क्योंकि इससे उनकी एकाग्रता भंग होने का खतरा बन जाता है।

- शिक्षकों के खातों से कटने वाली एनपीएफ धनराशि व उसके खाते हर माह अपडेट होने चाहिए, जिसकी जानकारी शिक्षकों को भी मिले।

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इन्होंने कहा ---

- शिक्षकों की स्थानीय समस्याओं का निवारण उनकी मांगो के अनुरूप करने के हमेशा प्रयास रहते है। लेकिन स्थानांतरण, पुरानी पेंशन संबंधित समस्याएं शासन स्तर की है। शिक्षक हमसे अवगत कराते है तो हम उनका मांग पत्र उच्च अधिकारियों के माध्यम से शासन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।

संदीप कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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शिक्षकों ने किया दर्द बयां

- विभागीय अधिकारी शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण करने के लिए मनमाने ढंग से कार्य करते है। विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देश के बावजूद भी लापरवाही बरती जाती है।

अरविंद मलिक

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- गैर शैक्षणिक कार्यों में अधिक ड्यूटी के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। शिक्षकों को गंभीर बीमारी होने पर सरकार की तरफ से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है।

डॉ फर्रुख हसन

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- ट्रांसफर की प्रक्रिया ऑनलाइन तरीके से की जानी चाहिए। अध्यापकों को उनके गृह जनपद के शैक्षिक संस्थानों में ही पोस्टिंग दी जानी चाहिए।

डॉ राहुल कुशवाह

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- सरकारी नौकरियों में निजीकरण को बंद किया जाना चाहिए। शिक्षकों से शिक्षा के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करवाए जाते है।

विजय कुमार त्यागी

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- शिक्षकों को स्थानांतरण नीति सरल होनी चाहिए और एनपीएफ खातों को हर माह अपडेट कर शिक्षकों को जानकारी दी जानी चाहिए।

प्रीतवर्धन शर्मा

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- महिला-पुरुषों की गृह जनपद में नियुक्ति नहीं होने के कारण परिजनों की देखभाल नहीं कर पाते है। शिक्षकों को उनके गृह जनपद में नियुक्ति दी जानी चाहिए।

अंजू वर्मा

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- शिक्षकों को गंभीर बीमारी होने पर स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के साथ दिया जाना चाहिए।

अमित उपाध्याय

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- पुरानी पेंशन बहाल की जानी चाहिए। माध्यमिक शिक्षकों के स्थानांतरण प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए। जिससे शिक्षकों को ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया में राहत मिल सके।

सुभाष यादव

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- पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर वर्ष 2005 से शिक्षक आंदोलनरत है, लेकिन सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई निर्णय नही लिया गया है।

कपिल शर्मा

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- शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक संस्थानों में लगा दी जाती है। जिस कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन होता है।

यशपाल अरोरा

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- महिला-पुरुष शिक्षकों को उनके गृह जनपद में नियुक्ति दी जानी चाहिए, जिससे वे अपने परिजनों की समय से देखभाल सके।

रमेश चंद

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- अन्य जनपदों में ड्यूटी लगने के कारण आने-जाने में समय अधिक बर्बाद होता है। शिक्षकों की शैक्षणिक कार्य के अतिरिक्त अन्य ड्यूटी नहीं लगाई जानी चाहिए।

संगीता जागला

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- शिक्षक के बीमार होने पर उन्हें स्वास्थ्य बीमा का प्रमुखता के साथ लाभ दिया जाना चाहिए। सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर निर्णय लेना चाहिए।

गरिमा राठी

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- शिक्षा विभाग में कार्यरत पति पत्नी को एक ही संस्थान में कार्यरत करना चाहिए। जिससे आने-जाने के साथ ही अन्य समस्याओं से राहत मिल सके।

गजेंद्र सिंह

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- सरकार द्वारा पुरानी पेंशन को बहाल किया जाना चाहिए। माध्यमिक शिक्षकों के ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षकों को स्थानांतरण में राहत मिल सके।

ज्योति रानी

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- शिक्षकों से शिक्षा के अतिरिक्त गैर शैक्षणिक कार्य पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सरकारी नौकरियों में निजीकरण को बंद किया जाना चाहिए।

शिक्षा

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