बांके बिहारी के परिधान चयन में बदलाव नहीं, मुस्लिम कारीगरों पर बैन की मांग मंदिर प्रशासन ने की खारिज
- श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी ने मंदिर प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में कहा गया था कि यदि कोई विधर्मी जो हमारे धर्म का पालन नहीं करता है, ठाकुरजी (भगवान कृष्ण) को अपने हाथों से बनी कोई भी वस्तु अर्पित करता है, तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास ने सेवायतों को पत्र सौंपकर मांग की थी कि भगवान बांके बिहारी के परिधान मुस्लिम कारीगरों से न बनवाए जाएं। बांके बिहारी मंदिर प्रशासन ने इस मांग को खारिज कर दिया है। बुधवार को मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि भगवान कृष्ण के परिधानों के चयन की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बता दें कि मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी (जो मथुरा में चल रहे शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में भी शामिल हैं) ने मंदिर प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में कहा गया था कि यदि कोई विधर्मी जो हमारे धर्म का पालन नहीं करता है, ठाकुरजी (भगवान कृष्ण) को अपने हाथों से बनी कोई भी वस्तु अर्पित करता है, तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जो ऐसा करते हैं, वे बहुत बड़ा पाप करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर प्रशासन ने फिलहाल इस मांग को खारिज कर दिया है। मंदिर प्रशासन के एक सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हमें मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाए गए परिधानों का उपयोग बंद करने का प्रस्ताव मिला है। हमारी प्राथमिक चिंता ठाकुरजी को चढ़ाई जाने वाली पोशाकों की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित करना है। अगर मुस्लिम समुदाय के लोगों की ठाकुरजी में आस्था है, तो हमें उनसे 'पोशाक' स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र है। गोस्वामी ने कहा कि 164 साल पुराने इस मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न पृष्ठभूमियों से 30,000 से 40,000 भक्त आते हैं। सप्ताहांत और त्योहारों पर यह संख्या एक लाख को पार कर जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस बारे में पूछे जाने पर सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने कहा कि उन्हें अभी दिनेश फलाहारी द्वारा दिए गए ज्ञापन के बारे में जानकारी नहीं है। वह इस मामले की जांच करेंगे।