Nominee cannot affect rights successor Important decision High Court lucknow bench ‘उत्तराधिकारी के अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता नॉमिनी’; हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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‘उत्तराधिकारी के अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता नॉमिनी’; हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हाई कोर्ट ने निर्णय देते हुए, यह स्पष्ट किया है कि इंश्योरेंस एक्ट के तहत पॉलिसी में दर्ज नॉमिनी हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत कानूनी उत्तराधिकारी के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ, विधि संवाददाताWed, 30 April 2025 10:39 PM
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‘उत्तराधिकारी के अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता नॉमिनी’; हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने निर्णय देते हुए, यह स्पष्ट किया है कि इंश्योरेंस एक्ट के तहत पॉलिसी में दर्ज नॉमिनी हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत कानूनी उत्तराधिकारी के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान इंश्योरेंस एक्ट पर प्रबल होंगे। यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने कुसुम की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। याची का कहना था कि उसने अपनी बेटी रंजीता के नाम से 15 जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी थीं, बाद में उसकी शादी हो गई और दुर्भाग्य से 1 सितम्बर 2021 को उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने पाया कि रंजीता की मृत्यु के समय उसे 11 माह की बेटी थी।

याची का कहना था कि पॉलिसी में वह नॉमिनी थी लेकिन उसके दामाद ने अपने व उसकी नातिन की ओर से सिविल वाद दाखिल करते हुए, उक्त पॉलिसीज पर उत्तराधिकार का दावा किया, बाद में मामला लोक अदालत में चला गया और दामाद व मृतका की पुत्री के पक्ष में मामले को निस्तारित कर दिया गया। इसके विरुद्ध याची ने पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र दाखिल किया लेकिन पुनरीक्षण अदालत ने याची को उक्त बीमा पॉलिसियों की रकम मृतका की पुत्री के नाम से उसके 18 वर्ष का होने तक के लिए फिक्स डिपॉजिट करने का आदेश दिया।

याची ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उक्त पॉलिसियों में नॉमिनी होने के कारण इंश्योरेंस एक्ट के प्रावधानों के तहत इसकी रकम का अधिकार उसे मिलना चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि नॉमिनी पॉलिसी से प्राप्त रकम का स्वामी नहीं होता। न्यायालय ने कहा कि ऐसे विवाद की स्थिति में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान इंश्योरेंस एक्ट पर प्रबल होंगे।