पहलगाम हमला: बांके बिहारी मंदिर ने ठुकराया मुस्लिम बहिष्कार का आह्वान, पुजारी बोले- यह व्यवहारिक नहीं
वृंदावन में, देवता के लिए कुछ जटिल मुकुट और चूड़ियाँ मुसलमानों द्वारा बनाई जाती हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रदर्शनकारियों ने हिंदू दुकानदारों और तीर्थयात्रियों से अल्पसंख्यक समुदाय के साथ व्यापार न करने का आग्रह किया था। पुजारी ने इसे अव्यवहारिक बताया है।

वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर ने पहलगाम हमले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दक्षिणपंथी समूहों के सुझावों को खारिज कर दिया है कि मंदिर में सेवा करने वाले मुसलमानों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। मंदिर के पुजारी की ओर से कहा गया है कि यह व्यवहारिक नहीं है। बता दें कि वृंदावन में, मुस्लिमों द्वारा भगवान के मुकुट और चूड़ियाँ बनाई जाती हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार बांके बिहारी के पुजारी और मंदिर की प्रशासन समिति के सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने सोमवार को कहा- ‘मुस्लिम बहिष्कार व्यावहारिक नहीं है। मुसलमानों, विशेष रूप से कारीगरों और बुनकरों का यहां गहरा योगदान है। उन्होंने दशकों से बांके बिहारी के कपड़े बुनने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उनमें से कई की बांके बिहारी में गहरी आस्था है और वे मंदिर भी जाते हैं।’
मथुरा और वृंदावन में प्रदर्शनकारियों ने हिंदू दुकानदारों और तीर्थयात्रियों से अल्पसंख्यक समुदाय के साथ व्यापार न करने का आग्रह किया था। समूहों ने मुस्लिम दुकानदारों से व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर मालिकों के नाम लिखने के लिए भी कहा। गोस्वामी ने कहा कि वृंदावन में, देवता के लिए कुछ जटिल मुकुट और चूड़ियाँ मुसलमानों द्वारा बनाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हम पूरी तरह से सरकार के साथ हैं। लेकिन वृंदावन में, हिंदू और मुसलमान शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार ज़्यादातर पुजारी और स्थानीय लोग गोस्वामी की बात से सहमत दिखे।
वहीं मंदिर प्रशासन के इस रुख मुस्लिम कारीगरों को बड़ी राहत मिली है। ऐसे ही एक दुकानदार जावेद अली का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने उनसे साइनबोर्ड पर मालिक का नाम लिखने को कहा था। जावेद अली के मुताबिक वह 20 साल से ये दुकान चला रहे हैं। उनके पिता यहां दर्जी का काम करते थे। जब भी कोई ग्राहक सामान खरीदता है, तो वह आमतौर पर उन्हें अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखी बिल रसीद देते हैं। जावेद कहते हैं कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। बांके बिहारी के आशीर्वाद से यह जगह हमेशा शांत रहती है। वहीं जावेद अली की दुकान के बगल में स्थित दुकान चलाने वाले निखिल अग्रवाल ने कहा कि उन्हें कभी कोई समस्या नहीं हुई है। यहां लोग अक्सर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।