बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए ट्राईको कार्ड का प्रयोग करें : डीसीओ
Pilibhit News - पीलीभीत के डीसीओ खुशीराम ने गन्ना विकास परिषद के तहत किसानों को बोरर और चूसक कीटों से फसल की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने रासायनिक कीटनाशकों के बजाय जैविक विधियों को अपनाने का सुझाव दिया,...

पीलीभीत, संवाददाता। डीसीओ खुशीराम ने गन्ना विकास परिषद पीलीभीत क्षेत्र के गांव पिंजरा वमनपुरी, जगतपुर और बरादुनवा का भ्रमण किया, जहां खेतों पर पहुंचकर किसानों से संवाद कर फसल सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान की। गन्ना फसल को बोरर एवं चूसक कीटों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। डीसीओ ने बताया कि जनपद में गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसकी खेती से लाखों किसान परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है। वर्तमान समय में गन्ने की फसल को बोरर और चूसक कीटों से गन्ना फसल को नुकसान होने की सम्भावना है। इन कीटों के नियंत्रण के लिए गन्ना किसानों द्वारा परंपरागत रूप से घातक रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता रहा है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ती है।
पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वह रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैविक विधियों को अपनाएं। बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए जैविक उपाय न सिर्फ प्रभावशाली हैं। बल्कि ये पर्यावरण-संवेदनशील भी हैं। किसान जैविक विधियों को अपनाकर अपनी फसल की रक्षा कर सकते हैं। बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए ट्राईको कार्ड का प्रयोग करें। इस कार्ड मे लाभकारी परजीवी कीट होता है, जो बोरर कीटों के अंडों को नष्ट करता है। इसे प्रति हेक्टेयर 5 कार्ड की दर से 7-10 दिन के अंतराल पर खेत में लगाएं। दूसरा उपाय है फेरोमोन ट्रैप लगाएं। यह ट्रैप नर बोरर कीटों को आकर्षित करता है। नर कीट ट्रैप में फंसकर मर जाते हैं। परिणाम स्वरूप मादा कीटों से प्रजनन की प्रक्रिया रुकती है, जिससे कीटों की संख्या नियंत्रित होती है। तीसरा कारगर उपाय है नीम आधारित जैविक कीटनाशी (नीम ऑयल 5 प्रतिशत) का छिड़काव 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। एक अन्य उपाय है फसल अवशेषों को नष्ट करना-कटाई के बाद बचे हुए पौधों को जला देना या खेत में गहराई से जोताई करना जिससे कीटों का जीवन चक्र टूट सके। इस प्रकार से कीटों की रोकथाम से उत्पादन लागत में कमी आती है, क्योंकि जैविक विधियाँ रसायनों की तुलना में सस्ती होती हैं। फसल की गुणवत्ता और मिठास बनी रहती है। दीर्घकाल में मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल उत्पादन में निरंतरता रहती है। उन्होंने बताया कि जल एवं मृदा प्रदूषण में कमी आती है। परागण करने वाले मित्र कीट जैसे मधुमक्खी आदि संरक्षित रहते हैं। जैव विविधता बनी रहती है। उन्होंने सभी गन्ना किसानों से अपील की है कि बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए जैविक विधियों को अपनाएं और सतत कृषि की दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाएं। इस मौके पर ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत रामभद्र द्विवेदी, एलएच चीनी मिल के अधिकारी केबी शर्मा, संजीव राठी, गन्ना पर्यवेक्षक मनोज पाठक, गन्ना किसान जसमेल सिंह, गुरमेल सिंह, काले सिंह व अन्य मौजूद रहे। ----
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