11 साल में पीटीआर में दिनोंदिन बढ़ती गई बढ़ी बाघों की दहाड़
Pilibhit News - स्थापना दिवस पर विशेषजवानी की दहलीज की ओर पीटीआर में बढ़ी बाघों की दहाड़जवानी की दहलीज की ओर पीटीआर में बढ़ी बाघों की दहाड़जवानी की दहलीज की ओर पीटीआर

पीलीभीत टाइगर रिजर्व अब धीरे- धीरे अपनी जवानी की ओर अग्रसर होने लगा है। समय के साथ ही यहां पर संसाधनों की उपलब्धता बढ़ी तो बाघों की संख्या में तेजी के साथ संख्या बढ़ने लगी है। इससे अब टाइगर रिजर्व का दायरा भी कम पड़ने लगा है। कम दायरा होने से बाघों ने भी अन्य वन्यजीवों के साथ मानों समझौता कर लिया। आए दिन सैलानियों को बाघ व अन्य वन्यजीवों के दीदार होने से कौतूहल है। पयर्टन के मामले में भी टाइगर रिजर्व ने देश दुनिया में खास पहचान बनाई है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व को पहले अभ्यारण का स्थान दिया गया था।
इसके बाद नौ जून 2014 को शासन ने इसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां पर बाघों की घटती संख्या अधिकारियों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का कारण बनी हुई थी। उस समय यहां पर महज 25 के आसपास बाघ ही शेष बचे थे। शासन स्तर पर भी मामला गया था। टाइगर रिजर्व एरिया घोषित होने के बाद धीरे-धीरे यहां पर संसाधनों और अन्य स्टाफ की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाने लगा। सहयोग और समन्वय के बाद अब 70 से भी अधिक बाघों की मौजूदगी यहां पर है। लगातार बढ़ रही बाघों की संख्या ने टाइगर रिजर्व को देश में अलग पहचान बना दी है। बाघों के साथ ही यहां पर अन्य वन्यजीवों की संख्या में भी तेजी के साथ बढोत्तरी हो रही है। ऐसे में टाइगर रिजर्व का दायरा अब वन्यजीवों के लिए कम पड़ गया है। यही कारण है कि बाघ हो अथवा तेंदुआ जंगल से बाहर आबादी और खेतों में घूमते देखे जा रहे है। दायरा कम पड़ने के पीछे जंगल क्षेत्र के अधिकांश स्थानों पर अवैध कब्जा भी कारण माना जाता है।
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