Players Await Floodlights and Water Supply at Prayagraj Stadium बोले प्रयागराज : सख्त मिट्टी पर अंधेरे में कैसे अभ्यास करें खिलाड़ी, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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बोले प्रयागराज : सख्त मिट्टी पर अंधेरे में कैसे अभ्यास करें खिलाड़ी

Prayagraj News - प्रयागराज के मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में खिलाड़ियों को सिंथेटिक ट्रैक और फ्लड लाइट का इंतजार है। चार साल बाद ट्रैक बनकर तैयार हुआ, लेकिन अब फ्लड लाइट और नलकूप के चालू होने का इंतजार है। खिलाड़ियों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजThu, 1 May 2025 05:36 PM
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बोले प्रयागराज : सख्त मिट्टी पर अंधेरे में कैसे अभ्यास करें खिलाड़ी

प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए इंतजार करना नियति बन गई है। खिलाड़ियों ने पहले सिंथेटिक ट्रैक के लिए चार साल इंतजार किया। सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण के लिए स्टेडियम से क्रिकेट को विदा कर दिया गया और क्रिकेट के प्रशिक्षक भी हटा दिए गए। सिंथेटिक ट्रैक बन गया तो अब खिलाड़ी स्टेडियम में लगी फ्लड लाइट के रोशन होने का इंतजार कर रहे हैं। खिलाड़ी अपनी प्यास बुझाने के लिए बोतल में पानी लेकर आते हैं। नलकूप न चलने से मैदान की मिट्टी इतनी सख्त हो गई है कि खिलाड़ी आए दिन चोटिल हो जाते हैं।

पहले सिंथेटिक ट्रैक का इंतजार किया। अब फ्लड लाइट से स्टेडियम के रोशन होने और नलकूप के चालू होने का इंतजार करना पड़ रहा है। और कितना इंतजार करना पड़ेगा, किसी को नहीं पता। स्टेडियम में अभ्यास के लिए प्रतिदिन सैकड़ों खिलाड़ी आते हैं। सुबह खिलाड़ी अभ्यास कर चले जाते हैं। शाम को अभ्यास के दौरान सूर्यास्त होने लगता है तो लगभग हर खिलाड़ी स्टेडियम में लगी फ्लड लाइट की तरफ देखता है। सभी खिलाड़ी एक ही सवाल करते हैं, फ्लड लाइट कब जलेगी। फ्लड लाइट जलती तो और देर तक अभ्यास करते। करोड़ों की लागत से स्टेडियम में फ्लड लाइट के लिए खड़े किए गए चार टावर बस शोपीस बनकर रह गए हैं। पूछने पर जल्द स्टेडियम रोशन होने का आश्वासन मिलता है। इसी तरह स्टेडियम के बाहर जिमखाना के पास बनाए गए मिनी नलकूप से भी पानी का इंतजार किया जा रहा है। फ्लड लाइट के साथ नलकूप का निर्माण किया गया, लेकिन यह आज तक नहीं चालू हो सका। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान की टीम ‘बोले प्रयागराज के तहत जब स्टेडियम में अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों से बात की तो उन्होंने बताया कि स्टेडियम का सिंथेटिक ट्रैक तैयार होने में चार साल लग गए। टावर खड़ा है, लाइटें लग गई हैं, लेकिन इसमें बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। बिजली कनेक्शन नहीं होने से फ्लाइड लाइट की तरह नलकूप भी बंद पड़ा है। अभ्यास के दौरान पीने के लिए बोतल में पानी लेकर आते हैं। ग्राउंड की मिट्टी नरम रखने के लिए नियमित पानी का छिड़काव होना चाहिए। स्थिति यह है कि जब यहां पीने का पानी नहीं मिलता तो ग्राउंड पर छिड़काव कैसे हो। सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। जालियों से घिरे ग्राउंड में कोई भी आकर घूमने लगता है। खिलड़ियों की तरह प्रशिक्षक भी फ्लड लाइट के जलने, नलकूप से पानी मिलने के साथ स्टेडियम में अधूरे कामों के शीघ्र पूरा होने का इंतजार कर रहे है। प्रशिक्षकों का कहना है कि सभी काम समय से होते तो स्टेडियम में अभ्यास करने वाले खिलाड़़ियों के खेल का स्तर सुधर जाता। जहां से होती है कमाई वो काम समय से पूरा प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कोरोना के पहले यहां काम शुरू किया। कंपनी ने स्टेडियम से सटे जिमखाना क्लब को नए सिरे से विकसित किया। कंपनी ने यहां टेनिस व अन्य कोर्ट बनाए। जिमखाना क्लब के सभी काम समय से पूरे कर दिए गए। वही प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड सरकारी स्टेडियम व इससे जुड़े काम वर्षों में पूरा नहीं कर पाया। कई खिलाड़ियों का कहना है कि जिमखाना क्लब से कमाई के चक्कर में सभी काम समय से पूरे किए गए। जिमखाना क्लब से प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड की कमाई हो रही है। सरकारी स्टेडियम से कमाई की उम्मीद नहीं थी तो काम बहुत धीमी गति से किया। शिकायत -स्मार्ट सिटी के तहत स्टेडियम का कोई काम पूरा नहीं हुआ। -स्टेडियम में निर्माण सामग्री बिखरी होने से अभ्यास में दिक्कत। -लापरवाही के कारण फ्लड लाइट चालू नहीं हो पा रही है। -नलकूप चालू नहीं होने के चलते बाहर से पानी लाना पड़ता है। -पानी का छिड़काव नहीं होने से मैदान की मिट्टी ठोस हो गई है। सुझाव -फ्ल़ड लाइट जल्द चालू की जाए। -नलकूप से पानी की सप्लाई शुरू हो। -जिमखाना के पास अभ्यास स्थल पर सुरक्षा हो। -सटेडियम के बाहर ग्राउंड पर लाइट लगाई जाए। -स्टेडियम का काम पूरा कर निर्माण सामग्री हटाएं। हमारी भी सुनें मैदान में लाइट नहीं रहती, जिससे शाम 6.30 बजे के बाद प्रैक्टिस नहीं कर पाते। लाइट हो तो दो घंटे और प्रैक्टिस का समय मिल सकता है। - आकाश यहां ट्यूबवेल तो है लेकिन चलता नहीं है, जिसके कारण खिलाड़ियों को पानी की दिक्कत होती है, मैदान की तराई भी नहीं हो पाती, धूल उड़ती रहती है।-यदुजीत यादव मैदान सूखा पड़ा है। धूल उड़ती रहती है। गड्ढे बन गए हैं। पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पीने का पानी भी खुद अपने साथ लेकर आना पड़ रहा है।-रुद्र पांडेय एक साल से ट्यूबवेल नहीं चला है, पानी के अभाव में घास सूख गई है और मैदान की मिट्टी सख्त हो गई है। खिलाड़ी गिरते हैं तो चोट लग जाती है। -अश्वनी यादव मैदान में जब लाइट लगी थी तभी चेक करने के लिए जलाई गई थी, उसके बाद लाइट नहीं जली। रोशनी न होने से शाम के बाद अभ्यास नहीं कर पाते।-श्वेतांग त्रिपाठी मैदान की मिट्टी सूख कर सख्त हो गई है। मैदान में झाड़-झंखाड़ के कारण प्रशिक्षण में काफी परेशानी होती है। न बिजली की व्यवस्था है न पानी की।-विजेन्द्र प्रताप सिंह खिलाड़ी मात्र दो घंटे से भी कम समय अभ्यास कर पाते हैं। अगर मैदान में प्रकाश की व्यवस्था हो जाए और नलकूप चलने लगे तो काफी सहूलियत होगी।- अफसर अहमद विभिन्न जनपदों से आए खिलाड़ी यहां किराए पर रह रहे हैं, जो कुछ बनना चाहते हैं। बिजली-पानी की सुविधा न होने से खिलाड़ी काफी निराश हैं।- मोहम्मद अहमद जो पानी हम साथ लेकर आते हैं, वह एक घंटे भी नहीं चलता, उसके बाद बिना पानी के रहना पड़ता है। ट्यूबवेल चल जाए तो मैदान की भी तराई हो।- यश यादव दो लीटर पानी की बोतल लेकर आते हैं लेकिन जल्द ही खत्म हो जाता है। ट्यूबवेल चले तो लोगों की पानी की समस्या दूर हो और मैदान भी न सूखने पाए।- सूर्यांश मिश्र मैदान में रोशनी न होने से शाम को दिक्कत होती हैं। न फ्लड लाइट जलती है न ट्यूबवेल चलता है। एक बोतल पानी लेकर आते हैं जो कम पड़ जाता है।- अजय यादव पानी न पड़ने से मैदान की मिट्टी इतनी सख्त हो गई है कि चोट लगने का खतरा बना रहता है। मैदान में धूल उड़ती रहती है, जिससे परेशानी होती है।- दया तराई न होने से मैदान इतना सख्त हो गया है कि खेल के उपकरण टूट जाते हैं। डिस्कस थ्रो के लिए उपकरण कई बार लोग अपने खर्च से खरीद चुके है।-सौरभ यादव खिलाड़ियों के लिए मैदान पर बिजली-पानी की व्यवस्था जरूरी है। लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं, गर्मी में पानी की ज्यादा जरूरत होती है लेकिन पानी नहीं मिल पाता।- ओमप्रकाश यादव फ्लड लाइट जलती नहीं। मैदान की मिट्टी सख्त हो गई है। पानी की तराई हो तो मैदान खेलकूद के लायक हो सके। पीने के लिए पानी भी साथ लाना पड़ता है।-वरुण राठी डिस्कस थ्रो की प्लेट सख्त मैदान के कारण टूट जाती है, खिलाड़ियों की परेशानी को देखते हुए अपने प्रयास से प्लेट खरीद कर लानी पड़ती है।- अंशू राय शाम होते ही मैदान में अंधेरा छा जाता है। जब प्रैक्टिस का समय होता है, उसी वक्त मजबूरन लौटना पड़ता है। फ्लड लाइट न जलने से परेशानी होती है।- अरुण सिंह शौचालय एवं वॉशरूम न होने से महिला खिलाड़ियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। खिलाड़ी पीने के पानी के लिए भी परेशान रहते हैं।-- रेनू यादव बोले जिम्मेदार--फोटो नहीं है मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में फ्लड लाइट शीघ्र चालू करने का प्रयास हो रहा है। बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन पहले ही कर दिया गया। मीटर का काम चल रहा है। उम्मीद है 15 मई तक स्टेडियम की फ्लड लाइट चालू हो जाएगी। जिमखाना क्लब के पास नलकूप काम के दौरान लगाया गया था। यहां से वाटर सप्लाई की पहले कोई योजना नहीं थी। संजय रथ मिशन मैनेजर, प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड फोटो है-- प्रयागराज स्मार्ट सिटी के अधिकारी को स्टेडियम में फ्लड लाइट चालू करने के लिए कहा है। कंपनी के अधिकारी का कहना है कि बिजली विभाग को ट्रांसफॉर्मर लगाना है। ट्रांसफॉर्मर लगाने के बाद ही लाइट चालू होगी। बिजली का कनेक्शन मिलते ही नलकूप भी चालू हो जाएगी।-- प्रेम कुमार, क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी प्रयागराज

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