याददाश्त बढ़ाने वाले 14 यौगिकों की वैज्ञानिकों ने की पहचान
Prayagraj News - प्रयागराज के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 14 यौगिकों की पहचान की है, जो याददाश्त बढ़ाने में सहायक हैं। इन यौगिकों का परीक्षण अमेरिकी लैब में किया जा रहा है, जिसमें तीन यौगिकों की रिपोर्ट...

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के वैज्ञानिकों ने 14 ऐसे यौगिकों की पहचान की है, जो मनुष्य की याददाश्त बढ़ाने में कारगर हैं। ये यौगिक (मॉलिक्यूल) दिमाग की सिकुड़ती नसों को खोलने में मदद करते हैं। रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो. रमेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने यह यौगिक लैब में विकसित किए। खास बात यह है कि इन यौगिकों का परीक्षण अमेरिकी लैब में किया जा रहा है, अब तक हुए परीक्षण में इनमें से तीन यौगिक की रिपोर्ट सकारात्मक मिली है। प्रो. सिंह के इस शोध से जुड़ा शोध पत्र नीदरलैंड के प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है।
प्रो. सिंह का यह शोध याददाश्त बढ़ाने और दिमाग की सेहत में सुधार करने के लिए नया विकल्प प्रदान करेगा। बहुत जल्द सबसे प्रभावी मॉलिक्यूल से दवा का निर्माण शुरू करने की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे। प्रो. सिंह ने बताया कि हाइपर फॉस्फोराइलेटेड (किसी प्रोटीन में फॉस्फेट के समूह का अधिक मात्रा में जुड़ना) टाउ प्रोटीन के कारण मनुष्य की याददाश्त कमजोर हो जाती है। दिमाग में इस प्रोटीन का निर्माण एसिटिलकोलीन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी से होता है। इस ट्रांसमीटर की कमी के लिए एसिटिलकोलीन एस्टरेज एंजाइम जिम्मेदार है। खोजे गए 14 नए यौगिक एंजाइम की इस क्रिया को रोकने में कारगर साबित होंगे। उन्होंने बताया कि शोध टीम ने इसके लिए रसायन विज्ञान की लैब में रासायनिक क्रिया कराकर कंप्यूटर की मदद से कई प्रकार के यौगिकों की पहचान की। फिर, मॉलिक्यूलर डॉकिंग व कंप्यूटर सिमुलेशन विधियों से यौगिकों की सक्रियता और कोशिकाओं को मारने या नुकसान पहुंचाने की क्षमता का विस्तृत अध्ययन किया। अध्ययन में मिला कि 14 यौगिक काफी प्रभावशाली रहे।
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