Challenges Faced by Students at Indira Gandhi Women s College in Raebareli No Science Department and Hostel Facilities बोले रायबरेली/ इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय, Raebareli Hindi News - Hindustan
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बोले रायबरेली/ इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय

Raebareli News - महिला कॉलेज में विज्ञान वर्ग और छात्रावास नहीं रायबरेली, संवाददाता। जिले के एक मात्र

Newswrap हिन्दुस्तान, रायबरेलीSat, 17 May 2025 06:38 PM
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बोले रायबरेली/ इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय

महिला कॉलेज में विज्ञान वर्ग और छात्रावास नहीं रायबरेली, संवाददाता। जिले के एक मात्र महिला महाविद्यालय में शिक्षक तो हैं, लेकिन अभी संसाधनों का अभाव है। पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन वैसी सुविधाएं यहां की छात्राओं को नहीं मिल पा रही हैं। इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय में विज्ञान वर्ग नहीं है। चार साल से कामर्स ब्लॉक की फाइल शासन में अटकी है। इससे भवन नहीं बन पाया है। मनोविज्ञान और होम साइंस की प्रयोगशालाएं भी अभी नहीं बन पाई हैं। छात्राओं को बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कालेज में खेल का मैदान अव्यवस्थित है।

शौचालय भी गंदे पड़े हैं। कॉलेज प्रबंधन के तमाम प्रयासों केबावजूद समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। शहर के इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय में विज्ञान वर्ग नहीं है। बीएससी की पढ़ाई के लिए उन्हें दूसरे कॉलेजों का रुख करना पड़ता है। यहां छात्रावास नहीं है। इसकी कमी दूर दराज से आने वाली छात्राओं को महसूस होती है। कॉमर्स ब्लॉक बनाने के लिए चार साल पहले प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। यहां रोजगारपरक शार्ट टर्म कोर्स शुरू हो जाएं तो छात्राओं को और फायदा मिलेगा। शहर में स्थापित इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय का उद्घाटन 12 सितंबर 1993 में राज्यपाल मोती लाल बोरा ने किया था। पहली बार यह 80 विद्यार्थियों से शुरू हुआ था। इसके बाद यहां लगातार यहां की संख्या बढ़ती गई। करोनाकाल के बाद अचानक से कॉलेज की ओर छात्राओं का रुझान कम होने लगा। यहां छात्राओं की समस्याओं का समाधान उनके शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। एक समय में इस कालेज में छात्राओं के प्रवेश के लिए सिफारिश करनी पड़ती थी। अब हालत ये है कि सीट भरने में आफत है। साइंस फैकल्टी और छात्रावास की ओर ध्यान दिया जाए तो छात्राओं को राहत मिल सकती है। इन समस्याओं को लेकर अपने अपने हिन्दुस्तान अखबार ने यहां पढ़ने वाली छात्राओं से बात की तो उन्होंने खुल कर अपनी बात रखी। छात्राओं ने कहा कि कॉलेज प्रशासन, शिक्षकों, छात्रों और स्थानीय समुदाय के संयुक्त प्रयासों से इन चुनौतियों का सामना किया जा रहा है। उचित योजना और क्रियान्वयन से कॉलेज का वातावरण सुधरेगा और छात्रों को एक सुरक्षित और समृद्ध शैक्षणिक माहौल मिलेगा। महाविद्यालय में विज्ञान विभाग नहीं है। ऐसे में इस क्षेत्र की छात्राएं पढ़ाई करने के लिए दूसरे कॉलेजों का चक्कर लगाने को विवश हैं। महाविद्यालय में कामर्स ब्लॉक बनाने के लिए चार साल पहले उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव गया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कॉलेज में खेल व्यवस्थाओं का अभाव है। खेल का मैदान अव्यवस्थित है। छात्राओं ने बताया कि कॉलेजों में आयोजित होने वाले वार्षिक खेलों में बहुत ज्यादा मौका नहीं दिया जाता है। कॉलेज के खेल इंचार्ज से बार-बार छात्राएं मिलती हैं। लेकिन, उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया जाता है। बहुत छात्राएं खेल में बढ़िया प्रदर्शन कर सकती हैं, लेकिन उन्हें प्लेटफॉर्म नहीं उपलब्ध हो पा रहा रहा है। इसी तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे नृत्य, गीत- संगीत के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। कॉलेज में वाद्ययंत्र भी उपलब्ध नहीं है। यहां पार्किंग की सुविधा न होने के कारण भी दूर से आने वाली छात्राओं को अपना वाहन बाहर रखना पड़ता है। कॉलेज के बाहर ही दोपहिया व चार पहिया गाड़ी लोग इधर-उधर खड़ा कर देते हैं। इससे परेशानी होती है। कालेज के विभागों में शिक्षक तो हैं लेकिन अब छात्राएं कम आती हैं। कई लड़कियां कॉलेज में नियमित तौर पर पढ़ाई करना चाहती है। लेकिन दूरी की वजह से कॉलेज नहीं आ पाती है। वैसी मेधावी छात्राएं पढ़ने के लिए इच्छुक हैं। उन्हें हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो इनको रेगुलर पढ़ाई मिल सकती है। अभी वर्तमान में कई छात्राएं कॉलेज के आसपास के इलाकों में किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। प्रशासन ने छात्र-छात्राओं के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य तो कर दिया है। कॉलेजह में कला वर्ग के विद्यार्थी कम हो रहे हैं। कुछ शार्ट टर्म कोर्स शुरू हो तो यहां की छात्राओं को राहत मिल सकती है। प्रस्तुति-सुनील पाण्डेय, दुर्गेश मिश्रा। फोटो-सुनीत कुमार -- शिकायतें -छात्राओं के लिए एनसीसी की व्यवस्था नहीं है। इससे उनको यहां आने का कोई विशेष लाभ नहीं मिलता। -महाविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का अभाव है। इससे व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। -कॉलेज परिसर में पार्किंग एरिया नहीं होने के कारण दोपहिया व चारपहिया गाड़ी इधर-उधर लोग खड़ा कर देते हैं। जिससे आवागमन में परेशानी होती है। -नया पैटर्न अब तक सभी छात्राओं को समझ में नहीं आया है। इसको समझाने की व्यवस्था नहीं है। -वार्षिक खेलों में यहां की छात्राओं को बहुत ज्यादा मौका नहीं मिलता। इससे छात्राओं को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। --- सुझाव -कॉलेज में एनसीसी की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे यह विषय लेने वाली छात्राओं को कोई परेशानी न हो। -कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई तत्काल शुरू करानी चाहिए। इससे इस क्षेत्र के दूसरे क्षेत्रों के कॉलेजों का चक्कर लगाने से छात्र-छात्राओं को निजात मिलेगी। -छात्राओं को खेलकूद में मौका मिलना चाहिए। ताकि वह स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें और अपना भविष्य बना सकें। -कालेज में परिचारक की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे नामांकित छात्र-छात्राओं को कुछ पूछने या समस्या के निदान में मदद मिलेगी। -कालेज के पास पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे कोई बेतरतीब वाहन न खड़े हों और आवागमन में कोई परेशानी न हो सके। -------- नंबर गेम 03 राजकीय महाविद्यालय जिले में हैं 13 शिक्षक महिला महाविद्यालय में अध्यापन कर रहे 480 सीटें बीए में हैं महाविद्यालय में --------- नई शिक्षा नीति के लिए सेमिनार हों रायबरेली। नई शिक्षा नीति के बाद कई बदलाव किए गए हैं। अब बीए-बीकॉम में भी सेमेस्टर सिस्टम हो गया है। लेकिन छात्राओं को समझ में नहीं आ रहा है। इस पैटर्न में अब सेमेस्टर में परीक्षाओं को बांट दिया गया है। साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित हो रहीं हैं और एडमिशन भी इसी तरह दो बार हो गए हैं। इसको लेकर भी छात्राएं परेशान होती हैं। इसके लिए कॉलेज प्रशासन को सेमिनार का आयोजन करना चाहिए। ताकि वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को इस पैटर्न के विषयों की जानकारी मिल सके। इससे यह लोग इस पैटर्न में खुद को ढाल सकते हैं। ----- हर छोटे कामों के लिए जाना पड़ता है लखनऊ रायबरेली। छोटे मोटे काम या की रिजल्ट पेंडिंग हो जाने पर विश्वविद्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। इसके बावजूद जल्दी काम नहीं होता है। ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं छात्राओं को दिक्कत होती है। समय से समाधान न होने पर छात्र संख्या लगातार कम होती जा रही है। यदि जल्दीबाजी में एडमिट कार्ड दिया जाता है तो इसमें भारी गलतियां पाई जाती हैं। छात्र अपने एडमिट कार्ड को सही करवाने के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं। कॉलेज में पढ़ाई करने वाली छात्राओं का कहना है कि यहां स्किल से संबंधित नए कोर्स को शुरू करने की आवश्यकता है। एनएसएस, एनसीसी व स्पोर्ट्स के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को कॉलेज में प्राथमिकता देते हुए उचित अवसर प्रदान करना चाहिए। साथ ही उनके लिए नामांकन में अलग से सीटों की व्यवस्था रहनी चाहिए। --- अन्य कोर्सों की ओर हो रहा रुझान रायबरेली। अब छात्राओं का इंटर के बाद टेक्निकल कोर्स के लिए रुझान बढ़ रहा है इस लिए अब वह पारंपरिक रूप से बीए आदि के कोर्स में बहुत कम छात्र नामांकन लेते हैं। जिसके कारण यहां सीटें खाली रह जाती है। सरकार द्वारा कई तरह की छात्रवृत्ति योजना चलाई जा रही है। लेकिन सूचना के अभाव में बच्चें छात्रवृत्ति का लाभ कम उठा पाते हैं। कॉलेज में इनका इंतजाम किया जाना चाहिए। इससे छात्राओं की संख्या भी बढ़ेगी। इनकी भी सुनें-- ---------- कॉलेज परिसर के बाहर खुली नालियां हैं। इससे गंदगी और दुर्गंध से दिक्कत होती है। इसकी समस्या के स्थायी समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन को मिलकर उचित व्यवस्था विकसित करनी चाहिए। कॉलेज के आसपास के घरों के लोगों को जागरूक किया जाए। वह भी इसमें सहयोग करें। वारिसा ------- कॉलेज में कक्षाओं का नियमित संचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। शिक्षकों की उपस्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए एक समिति का गठन होनी चाहिए। इससे छात्राओं की रुचि और बढ़ेगी और सभी को राहत मिलेगी। नाजिया ------ कॉलेज के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्य सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों से वित्तीय सहायता कॉलेज को प्राप्त हो रही है। लाइब्रेरी, लैबोरेटरी और खेल सुविधाओं का विकास तो हुआ है लेकिन अभी और विकास हो जो छात्रों के समग्र विकास में सहायक होगा। ममता ---- छात्राओं के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित कर उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना जाना चाहिए। इससे कॉलेज प्रशासन और छात्राओं के बीच विश्वास बढ़ेगा और समस्याओं का समाधान शीघ्र हो सकेगा। तनु ------ एनएसएस व स्पोर्ट्स के प्रतिभावान छात्राओं को कॉलेज में प्राथमिकता देते हुए उचित अवसर प्रदान करना चाहिए। साथ ही इनके लिए नामांकन में अलग से सीटों की व्यवस्था होनी चाहिए। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। वर्षा ------- छात्राओं की संख्या अच्छी आना शुरू हो जिससे कक्षाओं का नियमित संचालन होता रहे।कभी कभार शिक्षकों की अनुपस्थिति और प्रशासनिक उदासीनता जैसी समस्याएं भी हम छात्रों के समक्ष आती हैं। जिससे हमारी शिक्षा प्रभावित होती है और हमारी बुनियाद कमजोर होती है। शिवानी ------- यहां पार्किंग की सुविधा न होने के कारण कॉलेज परिसर में दोपहिया व चारपहिया गाड़ी लोग इधर-उधर खड़ा कर देते हैं। जिसके कारण आवागमन बाधित होता है। कई बार झगड़ा की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। लक्ष्मी यादव ------- सैकड़ों की संख्या छात्राएं कॉलेज के आसपास के इलाकों में किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। कॉलेज परिसर में प्रयाप्त छात्रावास हो तो किसी को बाहर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस ओर भी कालेज प्रशासन की ओर ध्यान देने की जरूरत है। स्वाति ----- कई लड़कियां कॉलेज में नियमित तौर पर पढ़ाई करना चाहती है। लेकिन, दूरी की वजह से कॉलेज नहीं आ पाती हैं। वैसी मेधावी छात्राएं जो पढ़ने हेतु इच्छुक हैं, उन्हें हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए। इस पर कालेज प्रशासन को ध्यान दिया जाना चाहिए। स्नेहा ------ यहां स्किल से संबंधित नए कोर्स को शुरू करने की आवश्यकता है। जिससे छात्राएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, शेयर मार्केट जैसे विषय को समझ सकेंगे और इस क्षेत्र में खुद को मजबूत बना सकेंगे। इससे सभी को लाभ मिलेगा और छात्राएं भी बढ़ेंगी। रागिनी ------ सरकार द्वारा कई तरह की छात्रवृत्ति योजना हम छात्र-छात्राओं के लिए चलाई रही है। लेकिन सूचना के अभाव में हमलोग छात्रवृत्ति का लाभ नहीं उठा पाते हैं। लाभ के लिए समय पर सूचना मिलनी चाहिए। जिससे सभी लोग इसका लाभ उठा सकें। अंजली सिंह -------- छात्र-छात्राओं के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य तो कर दिया है। लेकिन, जब हम इतने सारे बच्चे एक साथ कॉलेज पहुंच जाते हैं तो अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता है। इस पर कालेज प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। जिससे सभी को लाभ मिलेगा। अर्चना सोनकर ----- छात्राएं छोटे मोटे काम को सही करवाने के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं। कभी कभी छात्राओं का रिजल्ट पेंडिंग हो जाने पर उन्हें भी कोई निश्चित उपाय तक नहीं बताया जाता है। नासरा खातून --------- कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल बनाया जाए।जिससे बाहरी छात्राओं को यहां प्रवेश लेने में दिक्कत न हो। छात्रावास न होने के कारण छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि छात्रावास का निर्माण हो जाए तो सभी को राहत मिलेगी। सुहानी ----------- क्या बोले जिम्मेदार ------ इन्दिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय में प्राचार्य के स्तर से जो भी संभव है वह व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं। बाकी जो भी दिक्कत हो तो कार्यालय में छात्राएं आ कर बता सकती हैं उनका फौरी तौर पर समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। प्राचार्य डा सुषमा देवी, प्राचार्य इंदिरा गांधी राजकीय महिला महाविद्यालय, रायबरेली

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