बोले रायबरेली/रेलवे का हाल
Raebareli News - स्टेशन पर ठंडा पानी न लगे हैं पंखे रायबरेली, संवाददाता। रायबरेली रेलवे स्टेशन का

स्टेशन पर ठंडा पानी न लगे हैं पंखे रायबरेली, संवाददाता। रायबरेली रेलवे स्टेशन का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि यहां सारी व्यवस्थाएं वीआईपी होंगी। ऐसा इसलिए की कई दशकों तक इस जिले से जुड़े नेताओं ने देश का प्रतिनिधित्व किया। फिलहाल यहां ऐसा तो कुछ नहीं, लेकिन भीषण गर्मी में यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। स्टेशन में कई जगह वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन उनमें गर्म पानी निकल रहा है। एक वाटर कूलर में पानी तो ठंडा है पर इतना निकल रहा कि दस मिनट से अधिक समय में बोतल भर पा रही है। स्टेशन पर अभी सुधार की आवश्यकता है।
शहर के रेलवे स्टेशन में यात्री सुविधाओं की कमी, चार पहिया वाहन पार्किंग की दिक्कत, सुविधाओं के लिए अधूरा कॉम्प्लेक्स और प्रमुख शहरों के लिए ट्रेनों की अनुपलब्धता के साथ पड़ोसी जिले फतेहपुर के लिए एक भी ट्रेन न होने से परेशानी हो रही है। अन्य अव्यवस्था से यात्रियों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे के प्रयास में कमी नहीं है, लेकिन रायबरेली शहर के स्टेशन की दुश्वारियां कम नहीं हो पा रही है। लाख प्रयास के बाद भी शहर के रेलवे स्टेशन की हालत यह है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इस गर्मी में न यहां ठंडा पानी मिल रहा है न ही प्लेटफार्म नंबर दो व तीन पर पंखे लगे हैं। स्टेशन पर कोच डिस्प्ले भी खराब हैं। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर हिन्दुस्तान ने स्टेशन पर यात्रियों से बात की तो उन्होंने इसकी दुश्वारियां साझा की। यात्रियों का कहना है कि इस गर्मी में न यहां ठंडा पानी मिल रहा है न ही प्लेटफार्म नंबर दो व तीन पर पंखे दिखाई दे रहे हैं। रेल यात्रियों की सुविधा का हवाला देकर प्लेटफार्म नंबर एक पर आरएमएस के गेट के पास खुलवाया गया कैटरिंग स्टॉल यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया है। रेल डाक सेवा की ट्रालियों की आवाजाही में भी अड़चन डाल रहा है। लाखों खर्च कर परिसर में करीब एक दशक पूर्व बनवाया गया मल्टीप्लेक्स कॉम्प्लेक्स आवारा पशुओं और अराजकतत्वों की आरामगाह बना हुआ है। इसकी बाउण्ड्रीवाल भी धीरे-धीरे टूटने लगी है। रेलवे स्टेशन में यात्रियों की सहूलियत और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अनेक कार्य कराए गए। इनमें एस्केलटर, लिफ्ट, कोच पोजिशिनिंग सिस्टम, आरओ वाटर बूथ आदि शामिल हैं। इनमें से एस्केलटर और लिफ्ट लगवाने आदि में से कई कार्य तो यात्रियों के लिए फायदेमंद साबित हुए, लेकिन कुछ से उन्हें परेशानी भी हो रही है। प्लेटफार्म नंबर एक पर छोटी जगह में विभाग के साथ-साथ जीआरपी और आरएमएस के आफिस हैं। इसी प्लेटफार्म पर कैंटीन और कैटरिंग स्टॉल हैं। पेयजल की व्यवस्था भी यात्रियों की संख्या के अनुरूप नहीं है। रेल यात्रियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आरओ वाटर बूथ लगाया गया था, जहां बहुत कम दाम पर उन्हें लीटर के हिसाब से शुद्ध पेयजल मिल रहा था। वर्तमान में यह बंद पड़ा है। प्लेटफॉर्म नंबर दो और तीन पर ठंडे पानी का कोई इंतजाम नहीं है। जगह-जगह पानी पीने के इंतजाम तो दिखाई दे रहे हैं लेकिन उनसे निकलने वाला पानी उबल रहा है जिसे कोई पीने की हिम्मत नहीं कर सकता है। किसी तरह वह ठंडे पानी की बोतल और टहलकर ट्रेन आने का इंतजार करते हैं। इसके अलावा रेलयात्रियों को उनकी जरूरत की सभी सामग्री एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2011 में करीब एक करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से मल्टीप्लेक्स काम्पलेक्स बनवाया गया था, जो धीरे-धीरे बदहाल होने लगा है। इसमें बनी दुकानों का अभी तक रेलवे की ओर से आवंटन नहीं हो पाया है। अधिकारी भी इसे लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं हैं। अब यह आवारा जानवरों का अड्डा बन गया है। ऐसे में साफ है कि रेल यात्रियों की सुविधा का हवाला देकर सरकारी धन खर्च तो किया गया, लेकिन इसका सदुपयोग नहीं हो पाया। सभी सुविधाओं का अभी रेलवे स्टेशन को इंतजार है। प्लेटफॉर्म नंबर दो और तीन पर एक भी पंखा नहीं लगा हुआ है। इससे इस भीषण गर्मी में यहां आने वाले यात्रियों को बहुत ही दिक्कत होती है। इस समय स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करना इन लोगों के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है। यहां बैठकर ट्रेन का इंतजार कर रहे लोगों ने बताया कि इस भीषण गर्मी में एक तो ऐसे ही निकलना मुश्किल हो जाता है। दूसरे यदि अधिक देर इंतजार करना पड़े तो हो सकता है उनकी तबियत ही खराब हो जाए। प्रशासन को यहां जल्द ही आरओ की व्यवस्था और पंखे का इंतजाम करना चाहिए। स्टेशन परिसर पर खड़े वाहनों से होती है परेशानी रायबरेली। पूरे रेलवे परिसर में मोटर साइकिल, ई-रिक्शा और ऑटो इस कदर खड़े रहते हैं कि यदि ट्रेन आ जाए तो यात्री को उसे पकड़ने के लिए प्लेटफार्म पर पहुंचना काफी मुश्किल भरा काम होता है। निजी वाहन परिसर के अंदर तक ले जाने में 15 से 20 मिनट का समय लग जाता है। वहीं कई लोग घरों के आस-पास पार्किंग की जगह न होने से रात के समय अपने चार पहिया वाहन परिसर में ही खड़े कर चले जाते हैं, उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। अभी स्टेशन में चार पहिया वाहनों की पार्किंग की सुविधा न होने से उन्हें ऐसा करने में आसानी होती है। टूटा मैनहोल का ढक्कन हादसे को दे रहा दावत रायबरेली। स्टेशन परिसर के बाहर टूटा मेनहोल का ढक्कन हादसे को दावत दे रहा है। इससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है। क्योंकि यदि अचानक से किसी का पैर इसमें गया तो उसकी जान जोखिम में पड़ सकती है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। यात्रियों ने कहा कि इसे जल्द ही ठीक करना चाहिए। जिससे कोई परेशानी न हो। इस अव्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। नंबर गेम 78 जोड़ी ट्रेन शहर के रायबरेली स्टेशन से गुजरती हैं 3500 के करीब दैनिक यात्री स्टेशन से यात्रा करते हैं 05 प्लेटफॉर्म हैं शहर के रेलवे स्टेशन पर ---- शिकायतें -रेलवे स्टेशन से प्रमुख शहरों के लिए सीधे ट्रेन नहीं है। इससे यात्रियों की असुविधाएं होती है। -पड़ोस के जिले फतेहपुर के लिए जिले से होकर जाने वाली कोई ट्रेन नहीं है। -सुबह शाम ऑफिस के टाइमिंग के लिए कोई समुचित ट्रेन सेवा नहीं हैं। प्रतिदिन ड्यूटी करने वाले लोगों को दिक्कत होती है। -जिले में पर्याप्त ट्रेनों का संचालन नहीं होता है। यात्री निरंतर परेशान होते रहते हैं। -अक्सर ट्रेन की लेटलतीफी नौकरीपेशा लोगों की परेशानी बढ़ाती हैं। सुझाव -प्रमुख शहरों के लिए यहां से ट्रेन का संचालन होना चाहिए। इससे सबको सुविधाएं मिलेंगी। -फतेहपुर को जिले से जोड़ा जाना चाहिए। इससे सैकड़ों लोगों को राहत मिलेगी। -सुबह और शाम में ऑफिस की टाइमिंग के हिसाब से ट्रेन का संचालन हो। इससे प्रतिदिन ड्यूटी करने वाले लोगों को आसानी होगी। -जिले में भी पर्याप्त ट्रेनों का संचालन होना चाहिए। इससे यात्रा करने में आसानी हो। -ट्रेनें नियमित और समय पर चलें तो नौकरी करने वाले लोगों को दिक्कत न हो। इनकी भी सुनें प्लेटफॉर्म नंबर-1 में एक आरओ चल रहा है, जिसमें बहुत कम पानी निकल रहा है। इससे यात्रियों को बहुत दिक्कत उठानी पड़ रही है। यदि जल्दबाजी में ट्रेन पकड़नी हो तो उसे पानी नहीं मिल सकता। इस अव्यवस्था को दूर कराया जाए। कप्तान सिंह ---- पानी के लिए कई जगह टोटियां लगी हुई हैं। इनमें गर्म पानी निकल रहा है। इससे लोग परेशान होते रहते हैं। यहां ठंडे पानी के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इससे बहुत दिक्कत होती है। इसे जल्द व्यवस्थित किया जाए। राहुल कुशवाहा --- प्लेटफॉर्म नंबर दो और तीन में एक भी पंखे नहीं लगे हुए हैं। इससे इस भीषण गर्मी में यहां बैठना मुश्किल हो गया है। इस टीन शेड के नीचे बिन पंखे के कैसा महसूस होता है। यह केवल वही बता सकता है जो यहां ट्रेन का इंतजार करता है। शानू -- शुक्रवार को ठंडा पानी किसी स्टाल पर नहीं था और न ही आरओ से ठीक से निकल रहा था। इससे सब लोग परेशान हो रहे थे। वह सभी बाहरी दुकानों से बोतल लेने के लिए मजबूर रहे। इस भीषण गर्मी ने सभी का हाल बेहाल कर दिया है। अहमद रहमान -- जिला मुख्यालय से जिले के कई रूटों पर ट्रेन सुविधा नहीं है। ऐसे में शहर और कस्बों के बीच की दूरी तय करने के लिए लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राजू --- स्थानीय स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए अधिक से अधिक ट्रेनों का संचालन होना चाहिए ताकि लोग सुगमतापूर्वक और सुरक्षित एक जगह से दूसरी जगह तक आ-जा सकें। इससे सहूलियत मिलेगी। कैलाश श्रीवास्तव -- जिले के सभी कस्बों को जोड़ते हुए रेलमार्ग बनना चाहिए सबसे ज्यादा सवारियां ऊंचाहार और लालगंज रूट की ट्रेनों से सफर करती थी। कस्बों से ट्रेन की सुविधा न होने से मजबूरन यात्रियों को प्राइवेट साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इमरान -- दक्षिण भारत के लिए जिले से कोई सीधी ट्रेन नहीं है। यहां जाने के लिए आस-पास के बड़े रेलवे स्टेशनों से ट्रेन पकड़नी पड़ती है। इससे समय के साथ-साथ पैसे की बर्बादी होती है। एसके मिश्रा --- ट्रेनों की लेट लतीफी में सुधार न होने से स्टेशन पर घंटों इंतजार करना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि ऐसी व्यवस्था करे जिससे ट्रेनें अपने सही समय से संचालित हो सकें। ताकि लोगों को दिक्कत न हो। भानूप्रताप -- स्टेशन में समुचित यात्री शेड और प्रतीक्षालय का अभाव है। टीन शेड संपूर्ण स्टेशन पर नहीं है। ट्रेन की प्रतीक्षा करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे निजात मिलनी चाहिए। सोनू साहू --- रेलवे स्टेशन में समुचित सुविधाएं नहीं है। इसको कोई देखने वाला नहीं है। न पेयजल की समुचित व्यवस्था है न ही शौचालय दुरस्त है। इससे लोगों को दिक्कत होती है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ननकऊ गुप्ता --- जिले से होकर गुजरने वाली पैसेंजर की लेट-लतीफी यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है। रेलवे को इस ट्रेन को ससमय संचालित करने की दिशा में पहल करनी चाहिए। इससे लोगों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ज्योति सिंह -- रेलवे स्टेशन के पास गंदगी का अंबार लगा रहता है। कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसको जल्द से जल्द व्यवस्थित कराने की जरुरत है। साथ में साफ सफाई पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राशिद ---- स्टेशन के शौचालय में की हालत ठीक नहीं है। इससे यात्री परेशान होते हैं। खासकर महिलाओं को बहुत दिक्कत होती है लेकिन कोई इस दिक्कत पर ध्यान नहीं दे रहा। इस समस्या का समाधान होना चाहिए। नंदकिशोर --- बोले जिम्मेदार रेलवे स्टेशन की जो भी समस्याएं हैं उनके निवारण के लिए काम किया जा रहा है। जो भी अव्यवस्थाएं हैं वह जल्द ही दूर हो जाएंगी। यदि किसी भी यात्री को कोई समस्या हो रही है तो वह सुझाव पेटिका में अपनी शिकायत डाल सकता है, उसका निदान कराने का प्रयास किया जाएगा। सुनील कुमार वर्मा, डीआरएम स्टेशन के शौचालय की स्थिति बदहाल है स्टेशन परिसर में बना एक शौचालय है। उसकी सफाई व्यवस्था दयनीय है, जिससे यात्रियों को बदबू और गंदगी का सामना करना पड़ता है। यहां शौचालय की दिक्कत का सामना सबको करना पड़ रहा। यात्रियों ने बताया कि यहां सफाई की अव्यवस्था है, इससे सभी लोगों को परेशानी होती है। टीनशेड न होने से धूप में हो रही परेशानी रायबरेली,संवाददाता। यात्रियों ने बताया कि स्टेशन परिसर में पर्याप्त टीनशेड नहीं हैं। जो हैं वहां भी यात्री सुविधाओं का अभाव है। पार्किंग की सुविधा तो है लेकिन चार पहिया वाहनों के लिए कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग उपलब्ध है। मुख्य सड़क और रेलवे स्टेशन गेट के बाहर अवैध रूप से ई-रिक्शा और अन्य वाहनों की पार्किंग की जाती है और वहीं से यात्रियों को वाहन पर बैठाया जाता है। इससे यात्रियों को स्टेशन तक पहुंचने में कठिनाई होती है। रेलवे स्टेशन के सामने के सड़क पर तो ट्रेन के समय में लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। स्टेशन प्रशासन द्वारा स्टेशन के बाहर सड़क पर खड़ा करने वाले वाहनों के विरुद्ध कई बार कार्रवाई की गई है, लेकिन वह फिर से सड़क पर आ जाते हैं और पूरी तरह से मनमानी करते हैं। इसके कोई स्थाई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इससे यात्रियों को असुविधा होती है।
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