हेडक्वार्टर कोटा को लेकर सतर्क हुआ रेलवे, अब हर ट्रेन में होगी जांच; गड़बड़झाले पर ऐक्शन
पकड़े जाने पर कोटा आवंटित कराने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। टीटीई रैंडम एचओ कोटा से आवंटित सीट के यात्री पर जाकर उनसे कोटा आवंटित कराने वाले के बारे में जानकारी करेंगे। ऐसे गड़बड़झाले में रेलवे को कुछ रेलकर्मियों पर संदेह है। जांच टीम इस पहलू को भी ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है।

रेल राज्य मंत्री के पीए के पैड पर कोटा आवंटन और उसी कोटा के लिए एजेंट द्वारा पैसा वसूलने के मामले में रेलवे ने बड़ा निर्णय लिया है। मामले की जांच के साथ ही अब हर ट्रेन में आवंटित कोटे की जांच चल टिकट परीक्षकों द्वारा की जाएगी। पकड़े जाने पर कोटा आवंटित कराने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। टीटीई रैंडम एचओ कोटा से आवंटित सीट के यात्री पर जाकर उनसे कोटा आवंटित कराने वाले के बारे में जानकारी करेंगे। इस तरह के गड़बड़झाले में रेलवे को कुछ रेलकर्मियों पर संदेह है। ऐसे में अब रेलवे की जांच टीम इस पहलू को भी ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इस तरह का मामला प्रकाश में आने के बाद गोरखपुर के कोटा सेल में किसी अधिकृत कर्मचारियों को छोड़ रेलवे के भी किसी बाहरी कर्मचारी या अधिकारी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है।
दरअसल बीते छह जून को दादर एक्सप्रेस में पांच ऐसे यात्री पकड़े गए जिनका कोटा हेड ऑफिस (वीआईपी) कोटा से हुआ था और उन्होंने उसके लिए एजेंट को प्रति टिकट 5500 यानी कुल 27500 रुपये दिए थे। इन यात्रियों की सीट एचओ कोटा से रेल राज्य मंत्री के पीएम द्वितीय के पत्र पर कंफर्म हुआ था। मामला प्रकाश में आने के बाद अब पूरे रेल महकमे में इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। छह जून को रोजाना की तरह रेलवे बोर्ड से विभिन्न अफसरों का कोटा गोरखपुर में आवंटन के लिए आया। इसमें एक कोटा पीएनआर संख्या 2436358280 थर्ड एसी में रेल राज्य मंत्री के पीए द्वितीय की तरफ से पांच यात्रियों के लिए भेजा गया। चूंकि बोर्ड से पत्र से आया था लिहाजा कोटा आवंटित कर दिया गया। पीएनआर पर बी-1 में 25,26, 27, 28 और 29 नंबर की सीट दे दी गई।
इस तरह खुला मामला
कोटा का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रमुख ट्रेनों में हेड आफिस से आवंटित सीटों पर यात्रा करने वाले यात्रियों से एक फार्म भरवाते हैं। इसमें पूरा ब्योरा देना होता है कि किस संपर्क के जरिए कोटा मिला, कोई धनराशि अदा की या नहीं। इसी क्रम में जब वाराणसी में टीटीई ने सम्बंधित पीएनआर के यात्री से फार्म भरवाया तो उसने लिखा कि टिकट एजेंट के जरिए कराया था और एजेंट को प्रत्येक टिकट के लिए 5500 रुपये दिए थे। टीटीई ने फार्म को पूरी औपचारिकता के साथ मुख्यालय भेजवा दिया। यहां आने के बाद जब डाटा से मिलान किया गया तो पता चला कि सम्बंधित पीएनआर के लिए पत्र रेल राज्य मंत्री के पीए द्वितीय के यहां से आया था।
फर्जी पैड की अभी चल रही है जांच
बीते दिनों कुछ दलालों ने विद्युत विभाग के एक अफसर का फर्जी पैड बनाकर कोटा आवंटन के लिए दिया था। फर्जी पैड पर अफसर बनकर ‘प्लीज एलॉट भी लिखा था ताकि किसी को शक न हो। सम्बंधित अधिकारी को जब शक हुआ तो उसने तुरंत कार्रवाई करने के बजाए मामले में तह तक पहुंचने की ठानी। उन्होंने कोटा एलॉट कराकर पूरी जानकारी विजिलेंस विभाग को दे दी। विजिलेंस की टीम ट्रेन में पहुंची और सम्बंधित यात्री से पूछताछ के बाद एक दलाल को पकड़ लिया। पूरे मामले की जांच विजिलेंस कर रही है। उधर, इस तरह का मामला आने के बाद अब दूसरे विभागों से आने वाले आवेदनों की स्क्रूटनी शुरू कर दी गई है।