खुद कर रहे नौकरी, अप्रशिक्षित चला रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर
Rampur News - जिले में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों का धंधा तेजी से बढ़ रहा है। यहां अप्रशिक्षित लोग अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं, जबकि लाइसेंस किसी अन्य के नाम पर है। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत...

जिले में स्वास्थ्य विभाग के गठजोड़ से निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों का धंधा फल फूल रहा है। यहां पर अप्रशिक्षित लोग अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर रहे हैं, जिनके नाम से सेंटर का लाइसेंस लिया हुआ है, वह रेडियोलाजिस्ट के रूप में दूसरे अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार जिले के अंदर 70 के करीब निजी अल्ट्रासाउंड सेंटरों का संचालन हो रहा है। नियमानुसार अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने के लिए रेडियोलाजिस्ट का होना जरूरी है। कई स्थानों पर ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं, जहां पर रेडियोलाजिस्ट के नाम से रजिस्ट्रेशन तो है मगर जिसके नाम रजिस्ट्रेशन है, वह सेंटर पर अल्ट्रासाउंड नहीं कर रहे हैं। वे खुद नौकरी कर रहे हैं और सेंटरों पर अप्रशिक्षित लोगों से अल्ट्रासाउंड करवाए जा रहे हैं। अप्रशिक्षित कर्मचारी अल्ट्रासाउंड कर लोगों को गलत रिपोर्ट देने का काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है, मगर साठगांठ के चलते ऐसे सेंटरों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। सूत्रों के अनुसार इन सब में स्वास्थ्य विभाग के ही कर्मचारी बिचौलिये की भूमिका निभा रहे हैं। वे लाइसेंस बनवाने का ठेका लेकर एमबीबीएस डाक्टर व रेडियोलाजिस्ट के कागजात भी आसानी से उपलब्ध करा देते हैं। कागजी खानापूर्ति पूरी कर अल्ट्रासाउंड का लाइसेंस दे दिया जाता है। स्वास्थ्य अधिकारी इतना भी नहीं करते कि सेंटर का लाइसेंस जारी हो जाने के बाद एक बार वहां जाकर देख लें कि पंजीकृत व्यक्ति वहां अल्ट्रासाउंड कर रहा है या नहीं।
मरीजों की जान से किया जा रहा खिलवाड़
शहर में बिलासपुर गेट, पहाड़ी गेट और स्वार रोड पर ऐसे तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटरों का संचालन हो रहा है, जहां लाइसेंस किसी के नाम पर है और अल्ट्रासाउंड कोई और कर रहा है। इसी प्रकार देहात में पटवाई, शाहबाद, सैफनी, स्वार, टांडा, मिलक, बिलासपुर आदि क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं। जिनमें अप्रशिक्षित लोगों के हाथों में लोगों का अल्ट्रासाउंड करने की जिम्मेदारी है। ऐसे ही सेंटरों पर गर्भ की जांच कर गर्भपात जैसे अवैध काम भी किए जा रहे हैं। मगर स्वास्थ्य विभाग इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
कार्रवाई के बाद दोबारा नए नाम से खुल जाता है सेंटर
स्वास्थ्य विभाग की टीम कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करती है। कई बार देखने में आया है कि जिस अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील कर बंद करा दिया गया, कुछ दिनों बाद वहीं पर दोबारा नए नाम से अल्ट्रासाउंड सेंटर खुल जाता है और मरीजों को जमकर लूटा जाता है।
जिले में सभी स्थानों पर पंजीकृत अल्ट्रासाउंड सेंटरों का संचालन हो रहा है। अगर किसी सेंटर पर रेडियोलाजिस्ट नहीं बैठ रहे हैं तो इसको दिखवाया जाएगा और जांच कराने के बाद संबंधित रेडियोलाजिस्ट और सेंटर मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
फोटो:सीएमओ
-डा. एसपी सिंह, सीएमओ
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