Saharanpur Railway Station Faces Passenger Challenges Delays Cleanliness and Security Issues बोले सहारनपुर : यात्रियों को आरामदायक सफर, Saharanpur Hindi News - Hindustan
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बोले सहारनपुर : यात्रियों को आरामदायक सफर

Saharanpur News - सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ट्रेनों की लेटलतीफी, गंदगी, और सुरक्षा की कमी के चलते यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों ने रेलवे...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरSun, 15 June 2025 01:03 AM
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बोले सहारनपुर : यात्रियों को आरामदायक सफर

सहारनपुर रेलवे स्टेशन ए श्रेणी का रेलवे स्टेशन है। इसके बावजूद ट्रेन यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। ट्रेनों की लेटलतीफी और डिब्बों में गंदगी, सुरक्षा की कमी, स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर यात्रियों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भारतीय रेलवे देश की सबसे बड़ी परिवहन सेवाओं में से एक है, जो प्रतिदिन करोड़ों यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का कार्य करती है। यह मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है। सहारनपुर रेलवे स्टेशन ए श्रेणी का रेलवे स्टेशन है।

सहारनपुर रेलवे स्टेशन से रोजाना करीब 153 ट्रेनें गुजरती हैं जो देहरादून, हरिद्वार, जम्मू, गंगानगर, मुरादाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, ऊना, काठगोदाम आदि मार्गों पर संचालित की जाती हैं। रेल यात्रियों ने बताया कि उनको ट्रेनों की लेटलतीफी से लेकर डिब्बों की गंदगी, सुरक्षा की कमी से लेकर स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव तक, यात्रियों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है लेकिन रेलवे सफर के दौरान कई परेशानियां है, जिनके समाधान की आवश्यकता है। हिन्दुस्तान टीम से बातचीत के दौरान उन्होंने ट्रेनों को समय से चलाने, आरक्षित डिब्बों में अनाधिकृत प्रवेश, डिब्बों के शौचालयों की सफाई, पैसंजर ट्रेनों में भी शौचालयों की सुविधा, स्टेशन पर बैंचों की संख्या बढ़ाने और रेलवे में सफर के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की है। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए। सबसे आम और सबसे गंभीर समस्या ट्रेनों के समय से न चलने की है। यात्रियों की योजना अक्सर ट्रेनों के निर्धारित समय पर निर्भर करती है। लेकिन जब ट्रेन दो से तीन घंटे देरी से चलती है या कभी-कभी इससे भी अधिक देर हो जाती है तो यात्रियों को अपने कार्यों, अन्य परिवहन साधनों आदि को लेकर परेशानी झेलनी पड़ती है। यह समस्या विशेष रूप से ग्रामीण और कस्बे के क्षेत्रों से लंबी दूरी तय करने वाले यात्रियों के लिए गंभीर होती है क्योंकि वहां वैकल्पिक परिवहन के साधन सीमित होते हैं। रेल यात्रियों का कहना है कि ट्रेनों को समय पर चलाया जाए। इसके लिए रेलवे को अपने सिग्नलिंग सिस्टम, इंजन रखरखाव और प्लेटफॉर्म प्रबंधन को दुरुस्त करना चाहिए। समय का पालन न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए जरूरी है, बल्कि रेलवे की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के लिए भी आवश्यक है। रेल यात्रा के दौरान सुरक्षा का मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है। खासतौर पर रात के समय यात्रा कर रही महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ती है, क्योंकि कई बार डिब्बों में असामाजिक तत्वों की मौजूदगी देखी जाती है। आरक्षित डिब्बों में भी कई बार टिकट रहित यात्रियों का प्रवेश देखने को मिलता है, जिससे न केवल अव्यवस्था फैलती है बल्कि सुरक्षित माहौल भी बिगड़ता है। यात्रियों की मांग है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए डिब्बों में विशेष सुरक्षाकर्मी तैनात किया जाए। साथ ही हर ट्रेन में जीआरपी और आरपीएफ के जवानों की तैनाती अनिवार्य की जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में यात्री उन्हें संपर्क कर सकें। सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल पेट्रोलिंग टीम की व्यवस्था भी जरूरी है। आरक्षित डिब्बों में अनधिकृत यात्रियों का प्रवेश न केवल यात्रियों की सुविधा में बाधा डालता है, बल्कि कई बार झगड़ों और विवादों की वजह भी बनता है। जिन यात्रियों ने किराया देकर सीट आरक्षित की है, वे जब देखते हैं कि उनकी सीटों पर बिना टिकट वाले लोग कब्जा जमाए बैठे हैं, तो उन्हें गुस्सा और असहायता महसूस होती है। टीटीई की लापरवाही और स्टाफ की उदासीनता से यह समस्या और अधिक गंभीर बन जाती है। यह सुनिश्चित किया जाए कि आरक्षित डिब्बों में केवल टिकटधारी यात्री ही प्रवेश कर सकें। इसके लिए डिब्बों के प्रवेश द्वारों पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं। टीटीई की जिम्मेदारी तय की जाए और लापरवाही पर दंडात्मक कार्यवाही हो। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए। यात्रियों के सुझाव न केवल व्यावहारिक हैं, बल्कि लागू किए जाने योग्य भी हैं। यदि इन पर ईमानदारी से कार्य किया गया, तो न केवल यात्रियों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि रेलवे की सेवा भी वास्तव में ‘जन सेवा का प्रतीक बन जाएगी। ---- स्टेशन पर बेंच की संख्या बढ़ाई जाए सहारनपुर रेलवे स्टेशन की गिनती ए श्रेणी में होती है। सहारनपुर के कायाकल्प के चलते रेलवे स्टेशन पर कई सुविधाएं प्रदान की गई। यात्रियों के बैठने के लिए स्टील की बेंच लगाई गई हैं। लेकिन इन बैंचों की संख्या यात्रियों की संख्या के अनुपात में काफी कम है। अक्सर रेलयात्रियों को खड़े होकर या जमीन पर बैठकर ही इंतजार करना पड़ता है। यात्रियों के अनुसार प्लेटफार्म पांच और छह पर बेंच की संख्या बढ़ाई जाए। ---- पैसेंजर ट्रेनों में शौचालयों की समस्या कई ट्रेनों में अब भी शौचालयों की सुविधा नहीं है, खासकर पैसेंजर ट्रेनों में। यह न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि मानव गरिमा के विरुद्ध भी है। और जहाँ शौचालय उपलब्ध हैं, वहाँ उनकी साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब रहती है। रेल यात्री वासिफ ने बताया कि सहारनपुर दिल्ली के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में शौचालय की सुविधा नहीं है। करीब पांच घंटे के सफर में बिना शौचालय की सुविधा न होना यात्रियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। ------------- रेल यात्रियों की समस्याएं -ट्रेनों का समय से न चलना आम समस्या है, जिससे योजनाएं प्रभावित होती हैं। -ट्रेनों मे सफर के दौरान सुरक्षा की कमी को लेकर सुधार की आवश्यकता है। -रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या के अनुसार बैंचों की व्यवस्था नहीं है। -आरक्षित डिब्बों में अनधिकृत प्रवेश की समस्या विवाद का कारण बनती है। -कई ट्रेनों में शौचालय नहीं होने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। - ट्रेन के डिब्बों में शौचालयों की सफाई को लेकर भी समस्या बनी हुई है। सुझाव -ट्रेनों को समय पर चलाय जाए, जिससे यात्रियों की योजनाएं प्रभावित न हो -ट्रेनों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाए, खासकर महिला डिब्बों में -आरक्षित डिब्बों में अनधिकृत प्रवेश पर सख्ती से रोक लगाई जाए -ट्रेन के डिब्बों में बने शौचालयों की नियमित सफाई की जाए -जिन पैसेंजर ट्रेनों में शौचालय नहीं हैं, उनमें शौचालय की सुविधा मिले -रेलवे स्टेशन पर बैंचों की संख्या बढ़ाई जाए ------------------- प्रतिक्रियाएं---- 0-वर्जन सीजन के दौरान ट्रेनों की मांग बढ़ जाती है। जिससे टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है। सीजन के दौरान मांग के अनुसार ट्रेनों की संख्या अथवा डिब्बों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। -जय मेहता 0-वर्जन ट्रेनों की लेटलतीफी सबसे बड़ी समस्या है। रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है। लेकिन, ट्रेनों के समय पर संचालन को लेकर सुधार की आवश्यकता है। -हर्षित तनेजा 0-वर्जन कई पैसेंजर ट्रेनों में शौचालय न होने की समस्या है। जहां पर यात्रा अवधि एक घंटे से अधिक है, वहाँ की सभी पैसेंजर ट्रेनों में शौचालय की सुविधा दी जानी चाहिए। -प्रवेश कुमार 0-वर्जन ट्रेनों को समय पर चलाया जाए। इसके लिए रेलवे को अपने सिग्नलिंग सिस्टम, इंजन रखरखाव और प्लेटफॉर्म प्रबंधन को दुरुस्त करना चाहिए। -वासिफ 0-वर्जन यह सुनिश्चित किया जाए कि आरक्षित डिब्बों में केवल टिकटधारी यात्री ही प्रवेश कर सकें। इसके लिए डिब्बों के प्रवेश द्वारों पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं। -गुड्डू 0-वर्जन रेल यात्रा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। महिला डिब्बों में महिला पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं। जिससे महिलाएं निडर होकर रेल में सफर कर सके। -तसमीया 0-वर्जन सहारनपुर से शामली के लिए बड़ी संख्या में रेल यात्री सफर करते हैं। इस रुट पर ट्रेनों की संख्या काफी कम है। इस रुट पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। -उस्मान मलिक 0-वर्जन रेल यात्रियों की सबसे बड़ी समस्या ट्रेनों की लेटलतीफी है। ट्रेनो के समय पर न चलने से कई बार बड़ा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। पूर्ण विकास तभी माना जाएगा जब ट्रेनें समय पर चलेंगी। -अतुल कपूर 0-वर्जन ट्रेनों को तय समय पर संचालित किया जाना चाहिए। समय पालन न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए जरूरी है, बल्कि रेलवे की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के लिए भी आवश्यक है। -राकेश कुमार 0-वर्जन सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या के अनुसार बैंचों की संख्या कम है। प्लेटफार्म पर यात्रियों को जमीन पर बैठकर इंतजार करते देखा जा सकता है। यात्रियों के बैठने के लिए स्टील की बैंच लगाई जाएं। -रमेश 0-वर्जन महिलाओं की सुरक्षा के लिए डिब्बों में विशेष सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं। साथ ही हर ट्रेन में जीआरपी और आरपीएफ के जवानों की तैनाती अनिवार्य की जाए। -विकास 0-वर्जन कोरान काल के बाद कई पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है। सभी यात्री एक्सप्रेस ट्रेनों में सफर नही कर सकते। रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाए। -मो.शाहनवाज 0-वर्जन हर ट्रेन में एक सफाईकर्मी तैनात हो, जो नियमित रूप से शौचालयों की सफाई करे। इसके अलावा स्वचालित शौचालयों (बायो-टॉयलेट) का दायरा बढ़ाया जाए। -आशीष 0-वर्जन जहां पर यात्रा अवधि एक घंटे से अधिक है, वहाँ की सभी पैसेंजर ट्रेनों में शौचालय की सुविधा दी जानी चाहिए। यह सुविधा न होने के कारण वृद्ध, महिलाएं और बीमार यात्री परेशान रहते हैं। -रमन अग्रवाल

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