Farmers Demand MSP for Maize Amidst Poor Pricing and Storage Issues गेहूं-धान पर सरकार मेहरबान, मक्का पर खामोशी क्यों, Sambhal Hindi News - Hindustan
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गेहूं-धान पर सरकार मेहरबान, मक्का पर खामोशी क्यों

Sambhal News - इस बार जिले में मक्का की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है। समर्थन मूल्य न होने और मंडी में जगह की कमी के कारण किसान औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं। किसानों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलWed, 28 May 2025 03:44 AM
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गेहूं-धान पर सरकार मेहरबान, मक्का पर खामोशी क्यों

जिले में इस बार मक्का की बंपर पैदावार हुई है। किसानों ने 25 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की है और खेतों में मक्का की फसल लहरा रही है, लेकिन इस मेहनत का अब तक उन्हें सही मोल नहीं मिला है। मक्का का समर्थन मूल्य तय न होने और सरकारी खरीद की व्यवस्था न होने से किसान मंडी में औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर हैं। संभल तहसील क्षेत्र में मक्का की फसल बड़े पैमाने पर की जाती है। मक्का का सीजन अभी शुरू हुआ है, अगले कुछ ही दिनों में जब अधिकांश किसान कटाई के बाद फसल मंडी लाएंगे।

तो वहां जगह की भी किल्लत हो जाएगी। इससे न केवल किसानों को परेशानी होगी, बल्कि फसल का भंडारण और सुरक्षित बिक्री भी चुनौती बन जाएगी। इसके आलाव बारिश का मौसम भी शुरू हो जाएगा। जिसकी वजह से किसानों को फसल का सही रेट नहीं मिल पाता है। व्यापारी अपने हिसाब से किसान की फसल के दाम लगाते हैं। मंडी में जगह कम हैं इसकी वजह से भी मंडी में जाम की स्थिति बनी रहती है। जिससे किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसान मजबूर होकर औने पौने दामों में मक्का की फसल को बेच देते हैं। जिससे किसानों को फसल का बाजिब मूल्य नहीं मिल पाता है। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। मंगलवार को मंडी समिति में किसानों से बात की गई। जिसमें किसानों ने कहा कि सरकार गेहूं और धान की तरह मक्का की भी खरीद सुनिश्चित करे। ताकि उन्हें लागत का लाभ मिल सके। अभी स्थिति यह है कि किसान मक्का लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं, लेकिन वहां उन्हें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। हालात ये हैं कि कई बार मक्का लागत से भी कम दाम पर बेचनी पड़ती है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू की जाए। इसके साथ ही मंडियों में भंडारण की व्यवस्था और भुगतान की प्रक्रिया भी पारदर्शी बनाई जाए। किसानों का कहना है कि जब गेहूं और धान पर सरकार मेहरबान है, तो मक्का को अनदेखा क्यों किया जा रहा है। किसानों की उम्मीद अब सरकार पर टिकी है। हमने इस बार पूरी उम्मीद से मक्का बोई थी। फसल भी अच्छी हुई, लेकिन मंडी में किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। सरकार को चाहिए कि समर्थन मूल्य घोषित करे और खरीद शुरू करे। जिससे किसानों को लाभ मिल सके। -श्रीपाल सिंह धान और गेहूं पर तो सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन मक्का की कोई सुनवाई नहीं। हम दिन-रात खेत में मेहनत करें और फिर फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह मक्का का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। -नजरहसन मक्का की फसल मंडी में डालने की जगह तक नहीं मिलती। बारिश के मौसम व्यापारी मनमानी करते हैं। अगर सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई, तो किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। - रामकरन सिंह कृषि विभाग से लेकर मंडी समिति तक किसी को किसानों की चिंता नहीं है। जब फसल तैयार होती है, तभी सरकार मुंह फेर लेती है। अगर समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होती है तो किसानों को लाभ मिलेगा और उनकी मेहनत वसूल होगी। -जसवीर सिंह बीते कई वर्षों से मक्का की सरकारी खरीद करने की मांग की जा रही है। उसके बाद भी सरकार द्वारा इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया। जबकि सरकार एमएसपी पर खरीद की बात करती है, लेकिन मक्का की खरीद नहीं की जा रही है। जिसकी वजह से किसानों को भारी समस्या उठानी पड़ती है। - राजपाल सिंह यादव, जिलाध्यक्ष भाकियू अराजनैतिक असली।

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